४० दिन लगातार ज्योत प्रज्ज्वलित करने से होती है हर मनोकामना पूर्णशिव रात्रि तथा महाशिव रात्रि को होता है मेले का आयोजन
कुलदीप सिंहजींद। सफीदों गेट स्थित प्राचीन भूतेश्र्वर मंदिर में सावन माह के पहले सोमवार को काफी संチया में श्रद्धालुओं ने भगवान शिव शंकर की पूजा अर्चना की और सुखद भविष्य की कामना की। मान्यता है कि ४० दिन लगातार शिवलिंग पर जलाभिष्ेक तथा ज्योत प्रज्जवलित करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है। यहां पर शिवलिंग स्थापित नहीं किया गया है, बल्कि स्वतः स्थापित है। पुराणों के अनुसार ऐतिहासिक तीर्थ सोम, सोमनाथ मंदिर से लेकर गांव पांडू पिंडारा तक फैला हुआ था। पांडू पिंडारा सोम तीर्थ पर पांडवों ने युद्ध के बाद अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया था। उसी सोम तीर्थ के एक भाग को भुतेश्र्वर तीर्थ के नाम से जाना जाता था। भुतेश्र्वर तीर्थ के किनारव् पर शिवलिंग था। जिसे पर शिवालय बनाया गया। जिसे अब प्राचीन भुतेश्र्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर के निकट मिले सीढ़ियों के अवशेष् तीर्थ होने की तरफ साफ इशारा करते हैं। किदवंतियों के अनुसार मुगल शासकों ने शिवलिंग को काटने का प्रयास किया था। लेकिन जितना काटा गया उतना ही शिवलिंग बढ़ता चला गया। शिवलिंग पर तेजधार हथियारों के निशान आज भी मौजूद हैं। मंदिर की महाा को देखते हुए सैंकड़ों श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए यहां पर आते हैं। सावन माह में शिवरात्रि तथा फागुन माह में महाशिव रात्रि को यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है। हर पूर्णिमा को भंडारव् का आयोजन किया जाता है। प्राचीन भुतेश्र्वर मंदिर कमेटी के प्रधान देशराज अरोड़ा ने बताया कि शिवलिंग महाभारत काल से है। प्राचीन शिवालाय का जिर्णोद्वार कर मंदिर बनवा दिया गया है। शिव रात्रि तथा महाशिव रात्रि को सैंकड़ों की संチया में कावड़ यहां पर चढ़ाई जाती है। मंदिर की देखभाल कमेटी कर रही है।
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