कला एवं संस्कृति पर आधारित बैंकाक में होने वाली अंतर्राष्ट्रीय एशियन काफ्रेंस के लिए जींद के जुलाना कस्बे के राजकीय महाविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डॉ. सुमिता आशरी को आमंत्रित किया गया है। डॉ. आशरी डायस्पोविक एक्सपीरियंस, कल्चरल हाइब्रिटिड एंड पेंग्स ऑफ माइग्रेशन इन वीएस नायपाल ए पोस्ट-कोलोनियल परस्पेक्टिव पर बैंकाक की श्रीनखरिनविरात विश्वविद्यालय में 9-10 अगस्त को अपना शोधपत्र प्रस्तुत करेगी।
डॉ. आशरी ने इस शोधपत्र में भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की गहरी प्रतिबद्धता को मूल्याकित किया है। इसमें उन्होंने दर्शाया है कि प्रवास के दौरान भी वीएस नायपाल अपनी जड़ों से जुड़ने को लालायित रहे। इसलिए भारतीय समाज एवं सभ्यता से दूर होने के बावजूद उन्होंने भारतीय मूल्यों, परिवेश और अनुकरणीय संस्कृति को विश्लेषित किया है, जो आने वाले समय में विश्व समाज में मनुष्य के अस्तित्व के लिए उच्चकोटि का अनुकरणीय उदाहरण बन जाएंगे।
डॉ. आशरी के यह शोधपत्र इस अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस में भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति को विश्व समाज की अन्य संस्कृतियों का मार्गदर्शक एवं पर्याय बनाने की एक अनूठी मिसाल प्रस्तुत करेगा। बैंकाक में होने वाले इस अंतरराष्ट्रीय एशियन कान्फ्रेंस के लिए देश के तीन लोगों को ही आमंत्रित किया गया है। इस कान्फ्रेंस में डॉॅ. आशरी का भाग लेना प्रदेश के लिए ही नहीं देश भर में अहम स्थान रखता है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के भूतपूर्व कुलपति डॉ. भीम सिंह दहिया एवं राजकीय महाविद्यालय जुलाना के प्राचार्या संतोष मलिक के अलावा अनेकों शिक्षाविदें ने डॉॅ. सुमिता आशरी को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।
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