बारिश न होने से फसलों की पैदावार रुकीसिंचाई के लिए महंगा डीजल फूंक रहे किसान
अब तक ७० हजार हैटेयर में लगी धान की फसल
२५ से ३० प्रतिशत यूरिया खाद की खपत होगी ज्यादा
कुलदीप सिंहजींद। मानसून ने भले ही जिला में दस्तक दे दी हो। लेकिन इंद्र देवता जिला के किसानों पर अभी तक उतने खुश नहीं हुए हैं, जितनी की किसानों को दरकार है। धरती अब भी प्यासी है और किसान आसमान की तरफ टकटकी लगाए देख रहे हैं कि कब आसमान से उनकी फसलों के लिए सोना बरसेगा। लेकिन मानसून की देरी से किसानों पर अधिक खर्च को बोझ बढ़ गया है। जिला में कृष्ि विभाग द्वारा एक लाख १५ हजार हैटेयर में धान फसल का लक्ष्य रखा गया है। जबकि अब तक लगभग ७० हजार हैटेयर में धान लगाई जा चुकी है। धान फसल की बढ़त के लिए २५ से ३० प्रतिशत अधिक यूरिया खाद की अधिक खपत का डर बन गया। इन बुरे हालातों का लाभ उठाने के लिए कई नामी गिरामी रसायनिक कंपनियां भी किसान को लूटने कव् लिए बाजार में हावी हो गई हैं। जिससे धरती का स्वास्थ्य तो खराब होगा ही, साथ में मित्र कीटों की भी बलि चढ़ेगी। हालांकि कृष्ि विभाग प्रतिमाह कीटनाशक दवा विक्रेताओं की दुकानों पर दस्तक देकर स्टॉक की जांच करने का दावा कर रहा है।
बारिश न होने कव् कारण प्रदेश में हालात ज्यादा खराब हो गए हैं। पानी की कमी कव् चलते फसल सामान्य हालतों की तरह बढ़त कर रही हैं। इस स्थिति में धान की अधिक पैदावार के लिए किसान यूरिया खाद का प्रयोग कर रहे हैं। लेकिन सूखे कव् कारण यूरिया भी पूरी तरह काम नहीं कर पा रहा है। फसल की बढ़त कव् लिए किसान ज्यादा खाद डाल रहे हैं। यही हालात कपास फसल के हैं। उचाना निवासी किसान प्रताप, राजेंद्र, भोला, संदीप ने बताया कि इन दिनों बारिश नहीं होने से किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। फसल की सिंचाई कव् लिए मंहगा डीजल फूंक रहे हैं। वहीं फसल पर बीमारियों कव् प्रकोप कव् चलते मंहगी कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना पड़ रहा है। आने वाले दिनों में अगर बरसात नहीं हुई तो इसका सीधा असर फसल की पैदावार पर होगा। हर साल जुलाई माह में बरसात होती थी लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जब जुलाई में भी बरसात कव् लिए किसानों को आसमान की तरफ टकटकी लगाकर देखना पड़ रहा है।
उप कृष्ि निदेशक डा. रामप्रताप सिहाग ने कहा कि जिन किसानों ने धान फसल लगाई हुई है वह जमीन को निरंतर गीला रखें। बारिश न होने से फसल में बीमारियों का प्रकोप बढ़ने का डर रहता है। किसानों को चाहिए कि वो किसी न किसी तरीकव् से फसल में सिंचाई अवश्य करें। कीटनाशकों का प्रयोग कम करव्ं और अपनी फसल में ऐसे उत्पाद न डालें जो बढ़त कव् नाम पर माकर्व्ट में बिकते हैं।
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