जींद। अण्णा टीम के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जब तक आम आदमी एकजुट नहीं होगा तब तक ा्रष्टाचार का अंत नहीं किया जा सकता। भ्रष्टाचार के खिलाफ आरपार की लड़ाई लड़ने के लिए २५ जुलाई से दिल्ली के जंतर मंतर पर अनशन किया जा रहा है, जिसमें देशभर से लाखों की संチया में लोग भाग लेंगे और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करव्ंगे। अरविंद केजरीवाल सोमवार को अग्रवाल धर्मशाला में जन क्रांति यात्रा के तहत जींद पहुंचने पर लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से अण्णा टीम देश का दौरा कर लोगों को भ्रष्टाचार के प्रति जागरूक कर रही है। अण्णा के इस आंदोलन ने देश को एक सूत्र में जोड़ दिया है। जबकि एक साल पहले तक उन्होंने सोचा भी नहीं था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ देश इकट्ठा होगा। लेकिन अण्णा हजारव् की ा्रष्टाचार के खिलाफ इस लड़ाई में आज हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सब एकजुट होकर आवाज उठा रहे हैं और लोकपाल बिल को लाने की मांग कर रहे हैं। सरकार ने अभी तक लोकपाल बिल पेश नहीं किया, लेकिन देश एकजुट हो गया है। देश अब निराशावाद से आशावाद की तरफ बढ़ने लगा है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार जनलोकपाल बिल को संसद में पारित नहीं होने दे रही है। योंकि सरकार के १५ मंत्री भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं। बावजूद इसके प्रधानमंत्री अपना लोकपाल बिल जनता पर मढ़ना चाह रही है। जोकि भ्रष्टाचार को समाप्त करने की बजाए उसे संरक्षण देने का कार्य कर रहा है। उन्होंने २५ जुलाई को भ्रष्टाचार के खिलाफ जंतर मंतर पर होने वाले अनशन के लिए युवाओं को बढ़चढ़ कर भाग लेने का आह्वान करते हुए कहा कि यह आजादी की दूसरी लड़ाई है। पहली आजादी की लड़ाई में भी युवाओं ने अहम भूमिका निभाई थी और इस दूसरी आजादी की लड़ाई में भी युवा अपना अहम बलिदान देकर सशक्त जनलोकपाल बिल को पास करवाने और भ्रष्टाचार को समाप्त करवाने के लिए उनकी मदद करव्ं।
या है जनलोकपाल बिल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी को जनलोकपाल बिल के बारव् में ज्यादा कुछ नहीं पता है। लेकिन उनकी दो बातों में ही जनलोकपाल बिल की परिभाष समझ में आ जाएगी। एक तो भ्रष्टाचार जांच मामले की रिपोर्ट छह माह में आए। दोष्ी पाए जाने पर भ्रष्टाचारी को सजा हो और उसकी संपाि जत करने के साथसाथ उसे नौकरी से बर्खास्त किया जाए। दूसरा हर काम की समय सीमा तय है, ताकि लोगों को अपने कार्यों के लिए विभागों के चक्कर न काटने पड़ें। तय समय सीमा में काम न होने पर संबंधित अधिकारी की पगार से राशि काट कर पीड़ित व्यक्ति को दी जाए और उसे सजा दी जाए। उन्होंने कहा कि दोनों ही बात सरकार को रास नहीं आ रही हैं, और हर बार सरकार उन्हें धोखा दे रही है।
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