पिछले 41 सालों से कीटों व किसानों के बीच चल रहे अनव्रत युद्ध को खत्म करने के लिए खाप पंचायतों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। खाप पंचायतें कीटों व किसानों की बात सुनकर अपना फैसला सुनाएंगी। यह पहली बार होगा, जब कोई खाप पंचायत कीट व किसान के बीच चल रहे अनव्रत युद्ध का निपटारा करेंगी। खाप पंचायतों ने गत मंगलवार से अनव्रत युद्ध को समाप्त करने के लिए पक्ष सुनना शुरू कर दिया है। गत मंगलवार को आठ खाप पंचायतें निडाना के खेतों में पहुंची थी। फिलहाल नतीजा क्या आएगा? यह नवंबर माह के प्रथम सप्ताह में ही पता चल सकेगा।
जिले के निडानी, निडाना, ललितखेड़ा, चाबरी, सिवाहा, खरकरामजी, ईगराह, राजपुरा भैण आदि गांवों के दर्जनों किसानों ने अपना पक्ष रखते हुए खाप पंचायतों को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कीटों को अपनी फसल के लिए नुकसानदायक माना है और इन्हें खत्म करने की वकालत की है, जबकि दूसरा पत्र उन किसानों द्वारा लिखा गया है, जो कीटों की भाषा समझने लगे हैं।
कीटों की भाषा समझने वाले निडाना निवासी रणबीर, ईगराह निवासी मनबीर, खरकरामजी निवासी रोशन ने खाप पंचायतों को लिखे पत्र में निवेदन किया है कि कीटों से फसलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता, जबकि वह संतुलन बनाए रखने में सहायक होते हैं। इसका एक पहलू यह भी रखा गया है कि हर साल किसानों द्वारा की जा रही वर्तमान तरीके की खेती से करोड़ों कीट व किसान मरते हैं। कीटों का तर्क है कि उनकी वजह से उत्पादन बढ़ा है, इसलिए फसल पर उनका हक बनता है, जबकि किसानों का तर्क है कि उनकी मेहनत की वजह से उत्पादन बढ़ा है और सारे उत्पादन पर उसका हक है। कीटों का कहना है कि परपरागनी फसलों में उनकी उपस्थिति के बिना पैदावार होना नामुमकिन जैसा है। इसी चल रहे युद्ध को लेकर अब खाप पंचायतों को मध्यस्थता के लिए आमंत्रित किया गया है।
उत्तर भारत की हरियाणा, दिल्ली व उत्तर प्रदेश की लगभग सवा तीन सौ पंचायतों के प्रतिनिधि हर मंगलवार को कीट व किसानों की बात सुनेंगे और बारीकी से अध्ययन करेंगे। यह कार्य 18 सप्ताह तक जारी रहेगा। 30 अक्टूबर यानी मंगलवार को आखिरी पंचायत होगी। इसके बाद नवंबर माह के प्रथम सप्ताह में सर्वखाप महापंचायत का आयोजन किया जाएगा, जिसमें 18 सप्ताह तक हुए अध्ययन का सर्वमान्य हल पेश किया जाएगा।
पेस्टीसाइड प्रयोग पर टिप्पणी से किया इंकार :
बराह कलां बारह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा का कहना है कि उनके पास कीटों व किसानों के बीच की जंग को लेकर चिट्ठी आई है। इसका खाप पंचायतें अध्ययन कर रही है। हरियाणा, दिल्ली, यूपी की खाप पंचायतें यहां आकर कीटों व किसानों की बात सुनेंगी। उन्होंने पेस्टीसाइड प्रयोग पर टिप्पणी से इंकार किया और कहा कि वह इसके हक या विरोध में फिलहाल कुछ नहीं कह सकते। जहर तो जहर ही होता है, लेकिन उनके पास केवल कीट व किसानों के बीच के विवाद को हल करना प्राथमिकता है।
विवाद सुलझाने के लिए क्यों चुनी खाप पंचायतें :
किसान रणबीर सिंह का कहना है कि इन खापों के अलावा उन्हें ऐसा कोई नजर नहीं आया, जो इस विवाद को मुफ्त में आकर सुलझा सके। यदि वह कोर्ट-कचहरी में जाते तो उनके पैसे लगते और वकील करने पडे़ंगे। हो सकता कि किसी की समझ में यह बात भी न आती, इसलिए उन्होंने खाप पंचायतों को विवाद सुलझाने के लिए चुना। खाप पंचायतों ने उनकी फरियाद सुनी, जिसके वह उनका धन्यवाद करते हैं।
No comments:
Post a Comment