Tuesday, 3 July 2012

कीट समाज में उलझे खाप चौधरी कीटों को जानने के लिए करनी पड़ रही है माथापच्ची खाप पंचायत में शामिल हुए चूरड़ा व डाकू बुगड़ा कीटों का पक्ष सुनकर खाप चौधरियों के छुटे पसीने


जींद। किसानों तथा कृष्ि कीटों के बीच चल रहे झगड़े को निपटाने के लिए मंगलवार को गांव निडाना के कीट साक्षरता केंद्र में फिर से खाप पंचायत हुई। जिसकी अध्यक्षता बिनैन खाप के प्रधान नफे सिंह नैन ने की। पंचायत में チारक पूनिया से पूनिया पंचग्रामी के प्रधान अमीर सिंह पूनिया, स्मैनबिठमड़ा チााप के प्रतिनिधि व チााप प्रवक्ता सूबे सिंह गिल तथा बरहा कलां बारहा के प्रधान कुलदीप ढांडा सहित कई खापों के प्रतिनिधि शामिल हुए। कृष्ि कीटों की तरफ से सलेटी भूंड, भातभात के टिडे, लाल व बिहारन बालों वाली सुंडी, कुबड़ा कीट, अंधे कीट, सुरंगी कीट, तबाकू सुंडी, सफेद मチाी, चूरड़ा, डाकू बुगड़ा, क्राइसौपा, मकड़ी, मकड़ी, सलेटी भूंड, अंगीरा  भी सर्वजातिय सर्वखाप पंचायत का हिस्सा बने। सर्व जातीय सर्व チााप के प्रतिनिधियों ने लगभग साढ़े चार घंटे तक गहनता से मंथन किया। किसान チोत पाठशाला के मास्टर ट्रेनर किसानों ने チााप प्रतिनिधियों के सामने बेजुबान कीटों का पक्ष रチाा। शाकाहारी कीटों पर रहा फोस
शाकाहारी कृष्ि कीटों का पक्ष रखते हुए मनबीर रव्ढू ने बताया कि जीवों का अपना एक समाज है जो मानव समाज तथा पर्यावरण से जुड़ा हुआ है। हर जीव की अपनी अहमियत है और जीव संरचना में अहम योगदान हैं। उन्होंने बताया कि एक रस चुसने वाले तथा दूसरव् चबाकर チााने वाले। रस चुसने वाले कीट पाों से रस चुसकर तथा चबाकर チााने वाले कीट पाों को チााकर अपनी वंश वृद्धि करते हैं। उन्होंने बताया कि कपास की फसल में पाों का チााने वाले सलेटी भूंड, भातभात के टिडे, तबाकू सुंडी होती है।
सामाजिक मुद्दे तो सुलझे, लेकिन कीट मामले में उलझे
खाप पंचायते सामाजिक मुद्दों को सुलझाने का मादा रखते हैं। लेकिन कृष्ि कीट तथा किसानों के बीच चले आ रहे विवाद ने उन्हे उलझा दिया है। भले ही कीट बेजुबान हो, लेकिन खापों के चौधरी कीटों की जुबान समझने लगे हैं। बकायदा कुछ कीटों के उनकों नाम भी याद हो गए हैं। खाप चौधरी यह भी जान गए हैं कि कीटों के खाने से फसल के उत्पादन पर कोई फर्क पड़ता है। जिसके चलते खाप चौधरी भी द्वंद में पड़ गए हैं। यों न कीटों के बारव् में अच्छी तरह जाना जाये ओर फिर किसी फैसले पर पहुंचा जाए।

किसान पाठशाला की प्रयोगशाला ने निभाई अहम भूमिका
बेजुबानों कीटों का पक्ष रखने के लिए प्रयोगशाला अहम भूमिका निभा रही है। पाठशाला के संचालक डा. सुरेंद्र दलाल ने एक फार्मुला अपनाते हुए पंचायत में पहुंचे チाापों के चौधरियों के हाथों से नरमा के पांच पौधों के प्रत्येक पो का तीसरा हिस्सा कटवा दिया। उन्होंने कहा कि जितना नुकसान खाप चौधरियों ने किया है उतना नुकसान कीट फसलों को नहीं पहुंचा सकते। लेकिन उत्पादन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
निर्णय तक पहुंचने के लिए खाप चौधरियों को करनी होगी माथापच्ची
खाप चौधरियों को किसानों तथा कीटों के बीच चले आ रहे झगड़े में अपना फैसला सुनाने के लिए लबी सुनवाई के दौर से गुजरना होगा। नरमा के खेत में कौनकौन से कीट मौजूद हैं। इसकी पहचान करने के लिए खाप चौधरियों के पांच ग्रुप बनाये गए हैं। प्रत्येक ग्रुप के चौधरी दसदस पौधों पर मौजूद कीटों को बही खाते में उतारव्गा। मास्टर ट्रेनर रणबीर मलिक ने बताया कि सफेद मチाी, चूरड़ा व हरा तेला पाों से रस चुस कर तथा सलेटी भूंड पाों के किनारव् チााकर अपना गुजारा करते हैं। डाकूबुगड़ा चूरड़ा का チाून पी कर तथा क्राईसौपा शाकाहारी कीटों को チााकर अपनी वंशवृद्धि करता है। अंगीरा मिलीबग के पेट में अपने बच्चे पलवाता है और इस प्रक्रिया में मिलीबग का チात्मा हो जाता है। इस प्रकार शाकाहारी व मासाहारी कीटों की जीवन यापन की प्रक्रिया में किसान को लाभ मिल जाता है।

बराह बारह तपा के प्रधान कुलदीप ढांडा ने कहा कि मामला पेचिदा है। मानव समाज में समझा जा सकता है। कृष्ि कीटों के बारव् में जानकारी जुटाकर उन्हें समझा जा सकता है। कीटों के बारव् में जानकारी होने के कारण किसी निर्णय पर पहुंचा जा सकता है। खाप चौधरी कीटों के बारव् में लगातार कीट विशेष्ज्ञों के संपर्क में हैं।

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