तांत्रिक क्रिया के लिए जलघर के साथ बनाया हुआ है एक अवैध कमरा
जलघर में रखा हुआ तांत्रिक क्रिया का सारा साजो सामान
सफीदों
नगर के हाट रोड पर स्थित जनस्वास्थ्य विभाग के जलघर में ट्यूब्वेल आप्रेटर द्वारा अधिकारियों की नाक तले मच्छली पालन के लोगों को अवैध रूप से पानी बेचने व कार्यालय में तांत्रिक क्रिया करने का मामला सामने आया है। इसके लिए आप्रेटर ने जलघर में ही अवैध निर्माण कर एक कमरा भी बना रखा है। जिसको तांत्रिक क्रिया के लिए प्रयोग किया जा रहा है। आप्रेटर से बात की गई तो उसने खुद माना कि मछली पालन करने वाले लोग स्वयं उसके पास आकर पानी के बदले कुछ पैसे दानपात्र मेें डाल जाते है। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि आप्रेटर ओमप्रकाश के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें, ताकि सरकारी कार्यालय पर हुए कब्जे से मुक्त करवाया जा सके। उसकी तांत्रिक प्रक्रियाओं से आसपास के लोग भी परेशान है। लोगों ने बताया कि इस जलघर के ट्यूबवैल के कमरे में तांत्रिक कार्य करता है। यहां हर रोज आप्रेटर ओमप्रकाश के पास बाहर से लोग आकर तांत्रिक कार्य करवाते है। इसके लिए कर्मचारी ने सरकारी जमीन पर एक कमरा भी बनाया हुआ है, जहां रात भर तांत्रिक का काम किया जाता है, जिससे हमेशा उन्हेंं डर लगा रहता है। इसके अलावा उक्त कर्मचारी अवैध रूप से मच्छली पालन करने वाले लोगों को पैसे लेकर पानी बेचा जाता है। मछली पालन वाले लोग यहां आकर अपने कैंटर में पानी भरवा कर ले जाते है, जिनसे कर्मचारी द्वारा 250 से 300 रुपये प्रति कैंटर लिए जाते है। इससे मच्छली पालन को अपनी मच्छलियों को जीवित रखने में मदद मिलती है, ताकि वे समय पर मच्छलियों को बाजार तक पहुंचा सके। सफीदों में इससे पहले भी तांत्रिक बाबा व ढोंगियों द्वारा महिलाओं को झांसे में लेकर ठगी करने के कई मामले सामने आए है। गत दिनों पुरानी अनाज मंडी के पास ही अशोक शास्त्री नामक व्यक्ति ने वार्ड नंबर 11 निवासी महिला से लाखों रुपए के जेवरात ठगने का मामला समाने आया था। पुलिस को दी शिकायत में महिला के पति मदन ने बताया था कि उसकी पत्नी साधना देवी को बहकाकर जेवर दोगुने करने का झांसा दिया। जिसके लिए उससे पानी का लोटा मंगवाया और सोने के करीब 18-20 तोले जेवर भी मंगवा लिए। उसने कहा कि आप इस थैली को तीन-चार घंटे के बाद खोलना। जब खोला तो जेवर नकली पाए, असली जेवर लेकर ढोंगी ज्योतिषी फरार हो गया।
क्या कहना है कर्मचारी का
कर्मचारी ओमप्रकाश ने बताया कि चिमटा, मोगर, त्रिशूल आदि सभी सामान उसके द्वारा की जाने वाली पूजा में काम आता है। वह कोई तांत्रिक कार्य नहीं करता है। उसने बताया कि यह कमरा उसने आराम करने के लिए बनाया हुआ है, जिसकी जानकारी अधिकारियों को भी है। इसके अलावा पानी के बदले लोग स्वयं ही दानपात्र मेें पैसे डालते है और कई बार मुझे भी दे देते है। जिसे मैं दानपात्र में डालकर गोशाला में दे देता है।
क्या कहना है एसई का
जनस्वास्थ्य विभाग के एसई उमेश भारद्वाज ने कहा कि यह मामला उनकी संज्ञान में नहीं है। ऐसे कार्यों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। कर्मचारी द्वारा बनाए गए कमरे के बारें में भी उन्हें नहीं पता है, मै इसकी जांंच कर उचित कार्रवाई करूंगा। सरकारी जगह पर ऐसे कार्यों को कोई भी अधिकारी इजाजत नहीं दे सकता है।
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