Thursday, 26 October 2017

जींद-कटड़ा बस सेवा पर लगे ब्रेक

घाटे के चलते रोडवेज ने उठाया कदम
पिछले दो साल से घाटे में चल रही थी जींद-कटड़ा बस सेवा
घाटे को देख रूट बदलने की थी मांग, नहीं उठाया कदम

जींद
रोडवेज बस से वैष्णवी देवी के दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए बुरी खबर है। जींद डिपो ने घाटे तथा सवारियों की किल्लत के चलते जींद-कटड़ा बस सेवा को बंद कर दिया है। जींद डिपो का कटड़ा के लिए बस संचालन करना दो साल के दौरान आमदनी अठनी, खर्चा रुपया वाला अनुभव रहा है। बस का संचालन सुचारू रखने के लिए जींद डिपो के अधिकारियों ने विभाग के आला अधिकारियों से संपर्क साधकर वाया खनौरी-पातड़ा की बजाए अम्बाला के रास्ते परमिट जारी करने की
अपील की थी। बावजूद इसके रोडवेज विभाग ने बस को लाभ के रूट पर चलाने की कोई सुध नहीं ली। जिसके चलते जींद डिपो ने जींद-कटड़ा रोडवेज बस सेवा को बंद कर दिया।
आमदनी अठनी, खर्चा रुपया, नहीं ली सुध
जींद से कटड़ा जाने वाली रोडवेज बस पर हर रोज 22 हजार से ज्यादा खर्च हो रहा था। एक फेर में 15 हजार रुपये का डीजल, चार हजार रुपये का टोल टैक्स, तीन हजार रुपये मैटेनैंस खर्च हो जाता था। इसके अलावा दूसरे राज्यों से गुजरते समय स्टेट ट्रांसपोर्ट टैक्स का अलग से भुगतान किया जाता था। जींद से कटड़ा जाते समय बस में यात्रियों की संख्या सीटों के हिसाब से ठीक रहती थी लेकिन वापसी के दौरान बस की ज्यादात्तर सीटें खाली रहती थी। जिसके चलते जींद डिपो को बस संचालन में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था। जींद डिपो ने आला अधिकारियों को पत्र लिखकर वाया अम्बाला रूट परमिट जारी करने की मांग की थी। ताकि बस का संचालन सूचारू रह सके और श्रद्धालुओं को वैष्णवी देवी के दर्शन हो सकें। जींद-कटड़ा बस सेवा को घाटे से उभारने के लिए स्टेट लेवल पर भी कोई कदम नहीं उठाया गया। 
2015 सर्द नवरात्रों के दौरान मिली थी जींद-कटड़ा बस सेवा की सौगात
13 अक्टूबर 2015 को माता वैष्णवी देवी जाने वाले श्रद्धालुओं की समस्या को देखते हुए जींद डिपो ने जींद से कटड़ा के लिए बस सेवा शुरु की थी। जिसका शुभारंभ परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने किया था। पिछले दो साल से बस लगातार कटड़ा तक के फेर लगाती रही। एक साइड का किराया 570 रुपये निर्धारित किया गया था। सुबह छह बजकर 50 मिनट पर जींद बस अड्डा से रवाना होती थी और शाम को कटड़ा पहुंचती थी। बकायदा ऑन लाइन बुकिंग की सुविधा भी जींद डिपो द्वारा श्रद्धालुओं को दी गई थी। हर रोज हजारों रुपये का घाटा सहने के बाद जींद कटड़ा बस सेवा को बंद कर दिया गया। 
दूसरे राज्यों में डिपो की बस को नहीं मिलती थी तवज्जो
रोडवेज सूत्रों के अनुसार कटड़ा की तरफ जाने वाली रोडवेज बस पंजाब, हिमाचल राज्यों से होकर गुजरती थी। बस जब दूसरे राज्यों के बस अड्डों पर पहुंचती थी तो वहां के लोकल ट्रांसपोर्टर बस को बूथ पर नहीं लगने देते थे। या फिर वहां से जल्दी चलने के लिए दबाव डालते थे। जिसके चलते जींद डिपो की बस को प्रर्याप्त संख्या में सवारियां नहीं मिल पाती थी और उन्हें ज्यादातर समय खाली सीटों के साथ गंतव्य की तरफ रवाना होना पड़ता था। 
जींद डिपो महाप्रबंधक महताब सिंह खर्ब ने बताया कि जींद-कटड़ा बस काफी समय से घाटे में चल रही थी। अधिकारियों को दूसरे रूट से परमिट देने के लिए पत्र लिखा गया था। जिसका कोई जवाब जींद डिपो के पास नहीं आया। घाटे में चल रही बस को बंद करने के अलावा कोई और चारा नहीं था। 

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