स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग से देश होगा मजबूत : लालसिंह चौधरी
दुराग्रही चीन एवं विश्व शांति उभरते परिदृश्य पर सम्मेलन आयोजित
देशभर के बुद्धिजीवियों ने सीआरएसयू में मजबूत भारत पर किया मंथन
चीन ने जिसका साथ दिया उसका हुआ बेड़ा गर्क : गोयल
युवा शक्ति किसी भी देश की पहचान होती : श्रीनिवासन
जींद
सीआरएसयू में शुक्रवार को शिक्षा संकाय एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के तत्वाधान में विषय भारतीय पुनरूत्थान, दुराग्रही चीन एवं विश्व शांति उभरते परिदृश्य पर सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के तौर पर जम्मू एंड कश्मीर के पर्यावरण मंत्री लालसिंह चौधरी व राष्ट्रीय समाज सुधारक एवं चिंतक इंद्रेश कुमार ने शिरक्त की। कार्यक्रम की अध्यक्षता सीआरएसयू के उप कुलपति प्रो. आरबी सोलंकी ने की। जबकि सम्मलेन के संयोजक विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डा. राजबीर सिंह रहे। मुख्यअतिथि जम्मू व कश्मीर के पर्यावरण मंत्री लालसिंह चौधरी ने कहा कि भारत विश्व में सबसे आगे बढ रहा है लेकिन चाइना को यह हजम नहीं हो रहा। जिसके चलते वह भारतीयों से खुश नजर नहीं आता, उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि चाइना से आने वाले मोबाइल फोन को न अपनाए। खुद के देश में निर्मित टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल करें, इससे हमारी अर्थव्यवस्था बेहतर होगी व चीन की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट होगी, उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है, जिसमें औरतों के पास बेहतर इकानॉमी है। वह अच्छे तरीके से घर परिवार सभाल सकती है, उन्होंने कहा कि हमारे देश का प्रधानमंत्री इतना शक्तिशाली है, जिसके सामने चाइना कुछ नहीं, उन्होंने कहा कि भारत विश्व गुरू होते हुए, बाकि देशों को लाइन में लगा सकता है, तो चाइना हमारे समाने कुछ नहीं है।
चीनी वस्तुओं को त्यागना होगा : इंद्रेश कुमार
राष्ट्रीय समाज सुधारक एवं चिंतक इंद्रेश कुमार ने कहा कि हमें विदेश से बनी वस्तुओं खासकर चीन की वस्तुओं को त्यागना होगा। देश में निर्मित वस्तुओं को अपनाना होगा, यही हमारी संस्कृति है, यही हमारी परंपरा है और यही हमारा धर्म है। उन्होंने कहा कि यह हमारी संस्कृति की लडाई है, हम खुद की बनी वस्तुओ अपनाये जिस पर हमें गर्व हो, एक पहचान मिले। उन्होंने कहा कि सच्चे भारतीय होने की पहचान हमारे विचारों, धर्म, संस्कृति, मेल-मिलाप से ही हमने दुनिया को साथ मिलकर चलना सिखाया है। भारत के विचारों को पूरी दुनिया मान रही है, फिर चीन क्या है, हमने हमेशा चीन को हर क्षेत्र में पिछे छोडा है, यहीं वजह है कि उसे भारत कि तरक्की सह नहीं होती, कदम-कदम पर भारत से पंगे लेता है, व मुहं की खाता है। उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया के सामने मजबूती से खडा करना है, भारत माता को सुदृढ़ बनाना है। उन्होंने कहा है कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था उस देश को बेहतर बनाती है, हमें अपने देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ इसके लिए हमें अभी से प्रयास करना होगा।
चीन ने जिसका साथ दिया उसका हुआ बेड़ा गर्क : गोयल
हरियाणा के मुख्यमंत्री के निजी सचिव राजेश गोयल ने कहा कि चीन एक ऐसा देश है जो खुद की सोचता है। भारत ही नहीं सभी देशों के साथ चीन ने स्वार्थ का रिश्ता कायाम किया है। चीन पहले देश को आवश्यकता की पूंजी देता है फिर उस देश की अर्थव्यवस्था को खराब कर देता है। जिसमे उदहारण के तौर पर श्रीलंका व पाकिस्तान के साथ-साथ बहुत सारे देश हैं। उन्होंने बताया कि चीन अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सैन्य शक्ति को बेहतर करता चाहता है कमजोर देशों पर अपनी पकड मजबूत करें, आतंकवाद को बढावा दे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने पिछले दो वर्षों से चीन को लेकर अपनी पॉलिसी मे परिवर्तन किया है। जिससे हमारे अर्थव्यवस्था काफी सुधरी व हम हर क्षेत्र में चीन से आगे बढ़ रहे है। उन्होंने सुझाव दिया कि शोधार्थियों को सोचना होगा कि हम किस प्रकार अपनी मैन्यूफम्चरिंग को बेहतर बनाएं व चीन की वस्तुओं का प्रयोग ना करें, उन्होंने कहा कि अगर भारतीय जनशक्ति ने तय कर लिया कि चाईना कि वस्तुओं का बहिस्कार करना है, तो वह दिन दूर नहीं जब चीन खुद ही खत्म हो जाएगा, और भारत जैसे की विश्व गुरू रहा है, दुनिया में अपना परचम लहरायेगा।
युवा शक्ति किसी भी देश की पहचान होती : श्रीनिवासन
अखिल विद्यार्थी भारतीय परिषद् के राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री श्रीनिवासन ने कहा कि युवा शक्ति किसी भी देश की पहचान होती है, युवा वह शक्ति है जो देश को बेहतर भविष्य प्रदान करती है, और भारत इस का बेहतर उदाहरण है, इस समय देश में युवा शक्ति का बोलबाला है, वह देश की बेहतर दिशा मे लेकर जा रहे है, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमें अपनी जनशक्ति को मजबूत बनाना है, जिस देश की जनशक्ति मजबूत होगी वहां बेहतर कार्य होगें। श्री निवासन ने युवाओं से आग्रह किया कि वे देश हित में कार्य करें, व देश को मजबूत बनाये।
हम चीन से बेहतर : प्रो. आरबी सोलंकी
सीआरएसयू के उपकुलपति आरबी सोलंकी ने कहा कि हमें सोचना होगा कि भारत की नीतियां चीन के प्रति कैसी हो व हमें उसकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करना होगा। उन्होंने कहा अगर चीन के सामान की खरीदारी बंद करे व भारत में निर्मित सामान खरीदे तो निश्चय ही भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि सीआरएसयू ने विश्व स्तर पर यह सेमीनार कर एक संदेश दिया है कि हम हमेशा से चीन से बेहतर है। उन्होंने कहा कि इसमें शिक्षक अपनी बेहतर भूमिका अदा कर सके।
चीन के हालात अंदरूनी तौर पर बदत्तर : डा. राजबीर
सीआरएसयू के रजिस्ट्रार डा. राजबीर सिंह ने कहा कि चीन में तीन प्रकार का वर्ग है, शहरी वर्ग, औधोगिक वर्ग, ग्रामीण वर्ग, अगर हम वहां के ग्रामीण वर्ग की बात करें तो स्थिति दयनीय है, चीन अपने ग्रामीण क्षेत्र की ओर ने सोचते हुए दूसरे देशों के साथ संबंध खराब कर रहा है, उसे पहले खुद को बेहतर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से ही मजबूत राष्ट्र रहा है चाइना दूर ही रहे तो बेहतर है। इस दौरान मंच का संचालन डा. पवन बक्शी ने किया व विश्वविद्यालय का समस्त टींचिग व नॉन टींचिग स्टाफ उपस्थित रहा। सेमीनार के आयोजक सचिव प्रोफेसर संजय कुमार सिन्हा, प्रोफेसर संदीप बेरवाल, प्रोफेसर गीता सिंह अध्यक्षा विश्वग्राम, भरत रावत सचिव, भारत-तिब्बत-चीन-चैपटर रहें। विषय पर अन्य वक्ताओं के रूप में देश-विदेश से आये विद्वान, प्रोफेसर, शोधार्थी रहे।
इन्होंने भी रखे अपने विचार
जिनमें मुख्य तौर पर प्रोफेसर आरके अनायत कुलपति दीनबंधु छोटूराम विश्वविद्यालय साईंस एंड टैक्नॉलॉजी मुरथल, महर्षि दयान्द विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बिजेन्द्र कुमार पूनिया, जामिया मिलिया विश्वविद्यालय दिल्ली से रजिस्ट्रार डा. मलिक, वाईएमसीए विश्वविद्यालय फरीदाबाद के रजिस्ट्रार डा. संजय शर्मा, स्वामी राघवानंद, प्रोफेसर एके चावला, डा. चन्द्रप्रकाश दिल्ली विश्वविद्यालय, आरबीआई से रिटायर्ड रश्मी फौजदार, दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रोफेसर आरबी सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय से रिटायर्ड प्रोफेसर चन्द्रप्रकाश भारद्वाज, लद्दाख से प्रो. डॉरजे आंगचूक, शौर्य चक्र कर्नल रामरास दहिया, बिग्रेडियर आरपी सिंह, प्रोफेसर कपिल कपूर कुलपति महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा, रिटायर्ड बिग्रेडियर नरेंद्र कुमार, अश्वनी महाजन नेशनल कॉ कन्वीनर स्वेदशी जागरण मंच, केंद्रीय विश्वविद्यालय महेन्द्रगढ़ के प्रो. आर सी कुहाड के अलावा लगभग 700 शोध प्रतिभागियों ने इसमें हिस्सा लिया व भारत की मजबूती व बिखरते चीन को लेकर अपने-अपने मत दिये।
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