Sunday, 8 October 2017

करवा चौथ के मध्यनजर बाजार में उमड़ी भीड़

बाजार में लगी मेहंदी की लम्बी लाइन
लंबे अर्से के बाद आई दुकानदारों के चेहरे पर रौनक
आरिजीनल की बजाय आर्टिफिशियल गहनों को तवज्जो दे रहे लोग
आठ बजकर 40 मिनट पर होंगे चांद के दर्शन

जींद
करवा चौथ को लेकर शनिवार को बाजार में अच्छी खासी भीड़ रही। महिलाओं ने जमकर खरीददारी की। बाजार में महिलाएं तथा युवतियां मेहंदी रचवा रही थी। वहीं करवे, कपड़े, चुडिय़ा, ज्वैलरी की भी खरीददारी की गई। जिसके चलते पिछले एक माह से बाजार में छाई विरानगी भी चहल पहल के चलते दूर हो गई। रविवार को करवा चौथ का व्रत है। करवाचौथ का त्यौहार सुहागिनों के लिए सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। करवाचौथ के व्रत को लेकर बाजार दुल्हनों की तरह सज चुके हैं। पहले नोटबंदी फिर जीएसटी लागू होने के बाद बाजारों में पहली बार ऐसी रौनक देखने को मिल रही है। जींद के बाजार में जगह-जगह मेहंदी लगाने वालों के, चीनी और मिट्टी के करवों के स्टाल देखे जा सकते हैं। जयंती देवी मंदिर के पंडित नवीन शास्त्री के अनुसार रविवार रात 8 बजकर 40 मिनट पर चंद्रोदय होगा और इसके कुछ देर बाद चंद्रमा दिखाई देगा। इसके बाद सुहागिने अपना व्रत खोलेंगी। कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवाचौथ का त्यौहार मनाया जाता है। अखंड सुहाग की कामना के लिए मनाए जाने वाले इस त्यौहार को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह है। शनिवार को महिलाओं की भीड़ शहर के छोटे-बड़े ब्यूटी पार्लर्स और बाजारों में देखने को मिली। करवाचौथ के दिन से पूर्व शनिवार सायं महिलाएं बाजारों में खरीददारी करने और मेहंदी लगवाने में जुटी रहीं। शहर के रानी तालाब, मेन बाजार, हनुमान मंदिर, एसडी स्कूल मार्कीट के पास मेहंदी लगावाने को लेकर महिलाएं अपने नंबर के लिए इंतजार करती देखी गई। बाजार में अनेक स्थानों पर खास तरह के डिजाइन किए मिट्टी के करवे भी आकर्षण का केंद्र बने रहे। इनकी कीमत 20, 30, 40 और 50 रुपये के दो करवे रही। महिलाएं करवे और छलनी के साथ श्रंगार के सामान की जमकर खरीददारी कर रही हैं। 
लंबे अर्से के बाद आई दुकानदारों के चेहरे पर रौनक
पहले नोटबंदी फिर जीएसटी ने दुकानदार और व्यापारी वर्ग की कमर तोड़ दी थी। इससे दुकानदारों का धंधा चौपट होने की कगार पर पहुंच गया था। पहले नवरात्र, दशहरा, अब करवाचौथ और कुछ दिन बाद दिपावली को लेकर बढ़ रही बाजारों में ग्राहकों की भीड़ को देखते हुए लंबे अर्से के बाद दुकानदारों के चेहरे पर रौनक देखी गई। पिछले लंबे समय से उन्हें रोजी-रोटी जुटाने के लिए भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। 
आरिजीनल की बजाय आर्टिफिशियल गहनों को तवज्जो दे रहे लोग
प्रदीप ज्वैलर्स के प्रदीप भोला ने बताया कि नोट बंदी और जीएसटी लागू होने के कारण लोग खरीददारी से हाथ खींच रहे हैं। प्रदीप भोला ने बताया कि पिछले साल इस सीजन में उनके पास खाने-पीने के लिए भी समय नहीं होता था लेकिन इस बार ग्राहकों के लाले पड़ रहे हैं। पूरे दिन में मुश्किल से इक्का-दुक्का ग्राहक  ही आता है। गहनों पर जीएसटी लागू होने के चलते लोग ओरिजीनल गहनों की बजाय आर्टिफिशियल गहनों को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। आरिजीनल की तरह दिखने वाले यह गहने आर्टिफिशियल रूप में मात्र 150 से 200 रुपये तक ही मिल जाते हैं। 
सजी लंहगो तथा साडिय़ों की दुकाने
करवा चौथ के मध्यनजर बाजार में साडिय़ों, लहंगों की दुकानों को सजाया गया था। अलग-अलग वैरायटी की साडिय़ों तथा लंहगों को दुकानों के बाहर लटका कर कीमत से संबंधित पट्टिका लगाई हुई थी और साथ ही खरीद पर छूट दी जा रही थी। ब्यूटी पार्लरों पर भी महिलाओं की भीड़ रही। बाजार में वर्क साड़ी की कीमत अढ़ाई हजार रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक बेची जा रही है। 
करवो तथा खिलों के लगे स्टॉल
करवा चौथ पर पूजा के लिए चीनी से बने करवो की अच्छी खासी डिमांड रही। बाजार में दुकानों पर चीनी के करवो को खील के साथ सजा कर रखा गया था। 25 रुपये प्रति करवे के हिसाब से बाजार में बेचा जा रहा है। इसके अलावा करवा चौथ थाली, लोटा, छलनी, करवा रुमाल व गणेश जी का नारियल की भी महिलाओं ने जमकर खरीददारी की। 
बाजार में लगी मेहंदी की लम्बी लाइन
करवा चौथ के मध्यनजर मेहंदी लगवाने के लिए भी बाजार में महिलाओं की अच्छी खासी भीड़ उमड़ी। बाजार में मेहंदी लगवाने वाले युवक कर्सियां डालकर गलियों में बैठे हुए थे। जिनकी संख्या भी अच्छी खासी थी। महिलाओं को मेहंदी रचवाने के लिए इंतजार करते भी देखा गया। मेहंदी लगवाने की कीमत ८० रुपये से लेकर ३०० रुपये तक थी। 
आठ बजकर 40 मिनट पर होंगे चांद के दर्शन
जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि रविवार को चांद की किरण आठ बजे से पहले दिखनी शुरू हो जाएगी। इस बार महिलाओं को चंद्र दर्शन आठ बजकर 40 मिनट पर ही हो सकेंगे। रविवार की शाम चार बज कर 58 मिनट से तृतीय रहेगी और चतुर्थी आरंभ सोमवार दोपहर दो बजकर 16 मिनट तक रहेगी। उन्होंने बताया कि रविवार को कथा एवं पूजन का समय शाम पांच बजकर 55 मिनट से रात सात बजकर दस मिनट तक होगा।  

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