बढऩे लगी जिले में लाडो की संख्या
विभाग के प्रयास ला रहे रंग
जींद, 3 साल पहले तक जिस जींद जिले में लड़कियों के नाम पर केवल कन्या भ्रूण हत्या के बारे में ही सुनने को मिलता था, आज उसी जींद में बेटियों की किलकारियां सुनने को मिलने लगी हैं। अब जींद की कोख में भी बेटियां पलने लगी हैं। जिले में लिंगानुपात के मामले में लड़कियों की संख्या बढऩे लगी है। स्वास्थ्य विभाग के भू्रण हत्या पर रोक के प्रयास अब रंग लाने लगे हैं। नतीजा यह है कि जिले में लिंगानुपात के मामले में लड़कों की बजाय लड़कियों की संख्या बढऩे लगी है।
केंद्र सरकार द्वारा जारी 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा का लिंगानुपात सर्वाधिक चिंता का विषय था। 3 साल पहले 2014 में जींद जिले में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 863 थी। 2015 में यह बढ़कर 857 हो गई। इसके बाद धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता आने लगी और 2016 में यह आंकड़ा 900 तक जा पहुंचा। 2017 के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो जनवरी महीने में लिंगानुपात 877, फरवरी में 887, मार्च में 881, अप्रैल में 896, मई में 888, जून में 900, जुलाई में 904 और सितम्बर में 900 प्रति हजार दर्ज किया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि लोगों में जागरूकता आने लगी है और वह लड़का और लड़की के बीच कोई फर्क नहीं समझ रहे हैं। केंद्र और प्रदेश सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ओ की मुहिम का भी काफी असर देखने को मिला है।
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कन्या जन्म लिंगानुपात में छाप्पर गांव सबसे पीछे
कन्या जन्म लिंगानुपात में छाप्पर गांव सबसे पीछे है। छाप्पर गांव की जनसंख्या 1336 है और सितम्बर माह तक यहां प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या मात्र 154 दर्ज हुई है। उसके बाद रोजखेड़ा गांव में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 250, खरकड़ा गांव में 286, सैंथली में 379 और रामकली गांव में 389 है।
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लिंगानुपात मामले में गढ़वाली गांव सबसे उपर
प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों के जन्म के मामले में जिले का गढ़वाली गांव सबसे उपर है। गढ़वाली गांव में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 3600 है, जो अब तक जिले में सबसे ज्यादा दर्ज की गई है। करसिंधु गांव में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 3000, गोसाईं खेड़ा में 2750, चांदपुर गांव में 2667 और मोहाल खेड़ा गांव में 2667 है। लिंगानुपात मामले में यह गांव जींद में सबसे उपर हैं।
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यूपी में जाकर गर्भपात करवा रहे हैं लोग : डा. प्रभुदयाल
जींद के सिविल अस्पताल के डिप्टी सिविल सर्जन और पीएनडीटी के प्रभारी डा. प्रभुदयाल ने बताया कि जिले में लिंगानुपात में सुधार के लिए वह हर संभव प्रयास कर रहे हैं। समय-समय पर वह रेड भी करते हैं। पिछले 8 महीने में वह 6 बार रेड कर चुके हैं लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिल पाई। इससे स्पष्ट है कि जिले में गर्भपात जैसे गैर-कानूनी काम पर लगभग लगाम लग चुकी है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि कुछ लोग गर्भपात करवाने के लिए पानीपत के साथ लगते उत्तर प्रदेश में कुछ जगहों पर जा रहे हैं। वह हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि इसको रोका जाए।
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विभाग के प्रयास ला रहे हैं रंग : सिविल सर्जन
जींद के सिविल सर्जन डा. संजय दहिया ने बताया कि लिंगानुपात में सुधार को लेकर विभाग के प्रयास अब रंग ला रहे हैं। लोगों में जागरूकता आने लगी है। जिले में भू्रण हत्या अब बहुत कम हो गई हैं। डा. संजय दहिया ने बताया कि जिन गांवों में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या कम है, उन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पीएनडीटी एक्ट को सख्ती से लागू करने के निर्देश दे रखे हैं। जल्द ही पूरे जिले में लड़कियों की संख्या लड़कों से ज्यादा होगी।
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