Thursday, 5 October 2017

ब्लू व्हेल गेम के खौफ को दूर करेगी जींद शिक्षा सहयोग समिति

सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को किया जाएगा जागरूक
व्हाट्सएप ग्रुपों पर भी ब्लू व्हेल को लेकर भेजे जाएंगे मैसेज
सैमीनारों का आयोजन कर युवा वर्ग को भी करेंगे गेम के प्रति सचेत 

जींद : देश भर में डेथ गेम के नाम से प्रसिद्ध हो चुकी ब्लू व्हेल गेम के खौफ को दूर करने के लिए सामाजिक संस्थाएं आगे आई हैं। इन संस्थाओं द्वारा इस गेम के खौफ को दूर करने के लिए सोशल मीडिया का ही सहारा लिया जाएगा। इसके अलावा व्हाट्सग्रुपों के माध्यम से भी संस्था स
दस्य लोगों को ब्लू व्हेल के आतंक से बचाने का काम करेंगे। देश में अब तक कई बच्चों के इस गेम को खेलते हुए अपनी जान से हाथ गवांने के समाचार प्राप्त हुए हैं। ऐसे में इस गेम से और जाने नहीं जाएं इसके लिए जींद शिक्षा सहयोग समिति तथा महात्मा गांधी इंस्टीटयूट ने ब्लू व्हेल गेम के खौफ को दूर करने के लिए जागरूकता शिविरों को लगाने का निर्णय लिया है ताकि बच्चे इस गेम से दूर रहे और कोई भी इस गेम को खेल कर अपनी जान नहीं गवाएं।
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जींद शिक्षा सहयोग समिति करेगी जागरूक
जींद शिक्षा सहयोग समिति तथा महात्मा गांधी इंस्टीटयूट ने ब्लू व्हेल गेम पर जागरूकता कैंप लगा कर बच्चों को जगरूक करने का निर्णय लिया है। जींद शिक्षा सहयोग समिति के एमडी शुभम तथा महात्मा गांधी इंस्टीटयूट के निदेशक राजकुमार भोला ने कहा कि आज का के बच्चे ब्लू व्हेल गेम से अंजान हैं। यह एक सबसे बड़ा खतरनाक गेम है। यह गेम बच्चे का माइंड वाश कर देता है और ऐसे टास्क होते हैं जिसकी आखिरी मंजिल मौत है और इस मौत के भी विल्कप होते हैं। जैसे छत से कूदना, पानी में डूबना, हाथ काट लेना, फांसी लगा लेना, ये सब इस गेम की आखरी टास्क में आते हैं। 
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सोशल मीडिया के माध्यम से कर रहे हैं जागरूक 
राजकुमार भोला तथा शुभम ने बताया कि ब्लू व्हेल गेम के आतंक से बच्चों को बचाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा भी लिया जा रहा है। जिन सोशल नेटवर्किंग के माध्यम से ब्लू व्हेल जैसे खतरनाक गेम में बच्चों को धकेला जा रहा है आ उसी सोशल मीडिया के जरिये इस गेम को टक्कर देते हुए इससे बच्चों की जिंदगी भी बचाने का प्रयास कर रहे हैं। वो प्रतिदिन सोशल मीडिया, व्हाट्सएप तथा फेसबुक पर मैसेज भेज कर न केवल अभिभावकों को जागरूक कर रहे हैं बल्कि बच्चों व युवाओं को भी इससे दूर रहने के लिए कह रहे हैं ताकि व्यापक स्तर पर इस गेम के बारे में जागरुकता लाई जा सके। उन्होंने बताया कि वह जहां माता-पिता को अपने बच्चों के हावभाव पर नजर रखने व उन्हें अकेले न छोडऩे की सलाह दे रहे हैं तो वहीं बच्चों को भी ऐसे जानलेवा गेम से दूर रहने के लिए जागरूक कर रहे हैं। उन्हें पूरी उम्मीद भी है कि उनके द्वारा किए जा रहे यह प्रयास अवश्य ही बच्चों की जिंदगी बचाने के काम आएंगे।  
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क्या कहना है साइक्लोजिस्ट का 
साइक्लोजिस्ट डा. नरेश जागलान ने कहा कि सोशल मीडिया हर किसी की जिंदगी का हिस्सा बनता जा रहा है और उसका उपयोग सबसे ज्यादा युवा वर्ग कर रहा है। युवा वर्ग को चाहिए कि वो सोशल मीडिया या इंटरनेट माध्यम को अपने ऊपर हावी न होनें दें साथ ही इंटरनेट पर किसी भी खेल को पूरी तन्यमता से खेलना भी गलत है। अभिभावकों को भी चाहिए कि वो अपने बच्चों का ध्यान रखें। अगर बच्चा ऐसी चीजों के लिए नेट सर्फिंग करता है जो उसके लिए ठीक नहीं है तो उस पर तुरंत रोक लगाएं। इसके अलावा मोबाइल इंटरनेट यूज करते हुए बच्चे की गतिविधि पर ध्यान रखें। उन्होंने बच्चों से भी आह्वान किया कि वह ऐसे खेल से दूर रहें जो उन्हें मौत के मुंह तक ले जाए। 

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