पटाखे नहीं तो जुगाड़ से फोड़े कान
लोगों ने एक दूसरे के घर जाकर बांटी मिठाइयां
देर रात तक हुई आतिशबाजी
खूब बिका गन्ना, केले, आम और सीरस के पत्ते
जींद
जिलेभर में वीरवार को दीवाली का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया। दिन में लोगों ने बाजारों में जमकर खरीददारी की और रात को दोस्तों व रिश्तेदारों के घरों में मिठाइयां भेजकर दीवाली की बधाई दी व जमकर आतिशबाजी की। बाजारों में उमड़ी लोगों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। दीपावली पर्व पर वीरवार सुबह से ही लोग बाजार पहुंचना शुरू हो गए। पूरे दिन बाजारों में गहमा गहमी रही। दुकानदारों ने भी ग्राहकों की भीड़ को देखते हुए सेलें लगाई हुई थी। शहर के पंजाबी बाजार, झांझ गेट, फव्वारा चौक, सर्राफा मार्केट, कैंडी मार्केट, रानी तालाब पर पूरा दिन मेले जैसा माहौल रहा। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया वैसे-वैसे बाजार में लोगों की संख्या भी बढ़ती गई। रात को लोगों ने अपने घरों व दुकानों के बाहर दीप जलाकर दीवाली का त्यौहार मनाया। लोगों ने एक दूसरे को मिठाइयां देकर दीवाली की मुबारकबाद दी।
देर रात तक हुई आतिशबाजी
रोक के बावजूद जिलाभर में लोगों ने देर रात तक आतिशाबाजी की। पटाखों की आवाज दूर-दर तक सुनाई दे रही थी। हालांकि जिला प्रशासन द्वारा आतिशबाजी बिक्री पर रोक लगाई हुई थी, बावजूद इसके लोगों ने
लिए रात को दस बजे तक का समय दिया हुआ था लेकिन लोगों ने देर रात तक आतिशबाजी की।
पटाखे नहीं तो जुगाड़ से फोड़े कान
ग्रामीण क्षेत्र में इस बार लोगों को दिवाली पर बम और पटाखे नहीं मिल पाए तो कुछ लोगों ने कान फोडऩे के लिए जुगाड़ का इस्तेमाल किया। इसमें ग्रामीणों ने दुकानों से पोटाश खरीदा और लोहे की राड को मोड़कर पोटाश फोड़कर बम जैसा शोर पैदा करने का जुगाड़ बनाया था। यह बम जैसा शोर कर रहा था। यह जरूर था कि ग्रामीण क्षेत्र में भी बम और पटाखे लोगों को नहीं मिल पा रहे थे।
इस दिवाली घटा प्रदूषण का स्तर : डीसी अमित
डीसी अमित खत्री के अनुसार इस बार दिवाली पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन की तरफ से काफी सख्ती की गई थी। इसके तहत बम और पटाखों की सेल पर रोक लगाई गई थी। नतीजा यह रहा कि इस दिवाली जींद में प्रदूषण का स्तर पिछले सालों की तुलना में काफी कम रहा।
खूब बिका गन्ना, केले, आम और सीरस के पत्ते
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के लिए गोले समेत गन्ने, केले के पत्तों और सीरस के पत्तों की जरूरत पड़ती है। इसे देखते हुए शहर में जगह-जगह यह सामान बेचने के लिए स्टाल लगी हुई थी। किसान अपने खेतों से गन्ना टै्रक्टर ट्राली में लेकर शहर पहुंचे थे और यह गन्ना हाथों-हाथ बिका। इसी तरह केले, आम और सीरस के पत्ते भी लक्ष्मी पूजन के लिए खूब बिके।
आतिशबाजी रहित दीवाली मनाने के दावे हुए खोखले साबित
दीपावली पर्व पर पटाखे तथा आतिशबाजी न कर पर्यावरण को बचाने का आह्वान वीरवार को बेअसर साबित हुआ। दीपावली पर जमकर आतिशबाजी की गई और कानों से आगे जाकर धरती तक को दहला देने वाले बम फोड़ कर जबरदस्त प्रदूषण फैलाया गया। हर बार दीपावली पर प्रशासन और स्कूलों की तरफ से प्रदूषण रहित दीपावली मनाने का आह्वान स्कूली बच्चों और दूसरे लोगों से किया जाता है। इस बार भी दीपावली से पहले इस तरह का आह्वान किया गया लेकिन वीरवार रात को जब दीपावली मनाने की बात आई तो प्रकाश के इस उत्सव पर इतने धमाके और आतिशबाजी हुई कि प्रकाश का उत्सव इनके नीचे दब कर रह गया। रातभर बमों के धमाकों से धरती तक दहलती रही। इससे उन लोगों को काफी दिक्कत हुई, जिन्हें दिल की बीमारी है। पटाखों, बमों और आतिशबाजी के धुएं से अस्थमा पीडि़त लोगों को भी सांस लेने में जबरदस्त दिक्कत हुई। जींद जिले में रात भर लोग अपने घरों के बाहर निकल बम और पटाखे बजाते रहे। रविवार रात एक बजे तक बम और पटाखों के कान फोड़ शोर ने लोगों को खूब परेशान रखा।
पर्यावरण को पहुंचा भारी नुकसान
दीपावली की रात लोगों द्वारा रात को जमकर बम और पटाखे फोड़े जाने से पर्यावरण को भी भारी नुकसान हुआ। पूरी फिजां में बम और पटाखों का धुआं रम गया था। एक स्वस्थ व्यक्ति को भी ऐसे में सांस लेते दिक्कत हो रही थी। अस्थमा से पीडि़त लोगों के लिए तो दीपावली की रात इस प्रदूषण और धुएं के कारण बेहद भारी गुजरी। उनके लिए तो सांस लेना एक आफत बन गया था।
सुरक्षा के रहे कड़े इंतजाम
वीरवार रात दीपावली पर किसी तरह की कोई अप्रिय घटना नहीं हो, इसके लिए जींद के पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हुए थे। एसएसपी डा. अरूण के आदेशों पर पुलिस टीम रात भर गश्त करती रही।
सफाई करते निकला पसीना
वीरवार की रात दीपावली के उपलक्ष में सड़कों और गलियों में बम तथा पटाखे फोड़े जाने के बाद उनके कागजों से लेकर कांच के टुकड़ों तक की सफाई करने में महिलाओं का पसीना निकल गया। शुक्रवार को महिलाओं ने खुद ही गलियों और सड़कों पर अपने मकानों के आगे सफाई की।
दियों तथा मोमबत्तियों की दिखाई दी जगमग
इस बार मकानों पर चाइनीज लडिय़ों की चमक की जगह दीयों की जग-मग दिखाई दे रही थी। आतिशबाजी भी पिछली साल की अपेक्षा कम दिखाई दी। घरों पर लोगों ने दीये लगाने के साथ-साथ मोमबत्तियां भी जलाई।
सैनिकों, देशभक्ति के पोस्टरों की हुई बिक्री
बाजारों में भी इस बार फिल्म पोस्टरों की बिक्री की बजाए सैनिकों, देशभक्ति पोस्टरों की बिक्री अधिक हुई। पोस्टर विक्रेता सोनू ने बताया कि देवी-देवताओं के पोस्टरों की मांग इस बार पिछली बार से अधिक रही। मिठाइयों की खरीद की अपेक्षा लोगों का रूझान देशी घी की जलेबी की खरीद पर रहा।
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