बम, पटाखों के कारण वातावरण में बनी धुएं की परत
सैर पर निकलने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है खामियाजा
जींद
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद भी दीपावली पर्व पर जमकर आतिशबाजी तथा बम, पटाखे फोड़े गए। जिसका सीधा असर पर्यावरण पर साफ देखने को मिल रहा है। सुबह के समय जहरीले धुएं की परत वातावरण में छा जाती है। जिसका असर न केवल स्वास्थ्य बल्कि आंखों प
र भी पड़ रहा है। जिससे आंखों में जलन पैदा हो रही है। सुबह को सैर पर निकले लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। देखने में यह धुआं कोहरे की तरह दिखाई देता है। वातावरण में छाये धुएं का असर आंखों के कॉर्निया, पलकों, सिलेरिया और यहां तक कि लेंस पर भी होता है। धुएं के कारण आंखों में ज्यादा खुशकी आ रही है, जिसके चलते आंसू नहीं बनते या बहुत जल्दी सूख जाते हैं। यहां तक की जहरीले धुएं की वजह से आंखों में जख्म भी हो सकते हैं। कोर्निया से रगड़ खाने लगती हैं और क्षति पहुंचा देती हैं जिससे नजरों को भी खतरा हो सकता है। दीपावली पर्व पर फोड़े जाने वाले बम, पटाखों से स्वास्थ्य तथा वातावरण पर पडऩे वाले दुष्प्रभाव को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनसीआर इलाके में बम, पटाखों पर प्रतिबंद्ध लगा दिया था। बावजूद इसके लोगों ने आदेशों की अवमानना कर जमकर बम, पटाखे फोड़े। यहां तक की जुगाड़ बनाकर पोटाश के माध्यम से बारूद का जहर उगला। जिसका असर वातावरण पर साफ दिखाई देने लगा है। दिन में गर्मी तथा रात को ठंड होने के कारण जहरीला धुएं की परत सुबह के समय वातावरण में देखने को मिल रही है। जो लोग सुबह सैर के लिए निकलते हैं उनकी आंखों में जलन होती है और साथ में सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी है। वातावरण में घुला जहरीला धुआं लोगों के लिए परेशानी बन गया है। हर रोज आठ से दस लोग नेत्र चिकित्सकों के पास आंखों में जलन होने की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं।
पटियाला चौंक निवासी काला ने बताया कि पिछले पांच दिनों से वातावरण में धुआं घुला हुआ है। सुबह जब वे सैर के लिए जाते हैं तो आंखों में जलन पैदा होती है। सुबह यह सोचकर घर से निकलते हैं कि स्वच्छ वातावरण में घुमने से फायदा मिलेगा लेकिन अब वातावरण में जहरीला धुएं का असर साफ देखने को मिल रहा है।
पटेल नगर निवासी वासदेव ने बताया कि सुबह जब सैर को निकलते हैं तो हरियाली वाले इलाके में कोहरे की तरह धुएं की परत दिखाई देती है। जिससे न केवल सांस लेने में दिक्कत होती है बल्कि आंखों में भी जलन होती है। सुबह के समय अब वे चश्मा लगाकर तथा मुंह पर रूमाल लगाकर घर से बाहर निकलते हैं।
जहरीले धुएं का आंखों पर क्या होता है असर
बढ़े हुए प्रदूषण की वजह से हमारे वातावरण में स्मॉग, फॉग और धुएं का मिश्रण बहुत ज्यादा बढ़ गया है। जिससे आंखों में सूखापन, लाली, सेंसेटिविटी आदि इसके लक्षण हैं।
क्या-क्या करें उपाय
1. रखें आंखों की सफाई का ध्यान।
2. चश्में का करें प्रयोग।
3. आई मेकअप से रहें दूर।
4. आंखों को ठंडे पानी से धोएं।
5. चिकित्सक से करें तुरंत संपर्क।
नेत्र विशेषज्ञ राजबीर बेरवाल ने बताया कि बम, पटाखें फोड़े जाने से जहरीला धुआं वातावरण में फेल गया है। जिसका असर आंखों पर पड़ रहा है। सुबह के समय धुएं की परत साफ वातावरण में दिखाई देती है। जहरीले धुएं से कोर्टिकल कैटेरेक्ट का खतरा बढ़ जाता है। जिससे आंखों के लेंस के प्रोटीन की व्यवस्था बिगड़ सकती है और लेन्ज एपिथीलियम को क्षति पहुंच सकता है, जिससे लेंस धुंधला हो जाता है। जहरीले धुएं से आंखों में संक्रमण हो सकता है। यहां तक की नजर भी जा सकती है। अगर आपको भी कोई ऐसी समस्या हो रही है, तो फौरन नेत्र चिकित्सक से संपर्क करें।
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