Thursday, 5 October 2017

भारत की बढ़ती पहचान को चाइना नहीं कर पा रहा बर्दाश्त : प्रो. सोलंकी

सीआरएस विश्वविद्याल में भारत चीन पर सेमिनार छह को
राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर के वक्ता  लेंगे भाग 

जींद 
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के उप कुलपति प्रो. आरबी सोलंकी ने कहा कि आज भारत विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाने में लगा है और इसी पहचान को पड़ोसी देश चाइना बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है। इसीलिए चाइना अपनी अतिक्रमणवादी नीति के तहत भारत पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है। जिसे भारतवर्ष किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा। इसी को लेकर सीआएस विश्वविद्यालय द्वारा छह अक्तूबर को भारतीय पुनरूत्थान, पुन: आग्रही चीन एवं विश्व शांति, उभरते परिदृश्य को लेकर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन करने जा रहा है। इस सेमिनार में राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय वक्ता भारत-चीन संबंधों को लेकर विचार व्यक्त करेंगे और फिर सेमिनार से जो भी निष्कर्ष निकलेगा उसे भारत सरकार को अवगत करवाया जाएगा। चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के उप कुलपति प्रो. आरबी सोलंकी बुधवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्व सेनारियो में भारत ऊपर जा रहा हे और इससे पड़ोसी देश चाइना खुश नहीं है। क्योंकि चाइना अपनी विस्तारवादी नीतियों से बाज नहीं आ रहा है और भारत के विश्व पटल पर गौरव प्राप्त करने को लेकर चाइना टकराव चाह रहा है। ऐसे में सीआरएस विश्वविद्यालय ने भारत-चाइना ज्वलंत मुद्दे को लेकर सेमिनार का आयोजन किया है ताकि इस सेमिनार में अध्यापक, प्राध्यापक, जनसेवक, सैन्य अधिकारी, वक्ता, प्रवक्ता तथा छात्रों के साथ-साथ हर वर्ग के लोग इस विषय पर अपने विचार रख सकें और भारत निर्माण में अपना सहयोग देने के लिए ऐसी नीति बनाएं जिससे भारत देश को फायदा हो और चाइना को मुंह की खानी पड़े। उन्होंने कहा कि अध्यापक तथा प्राध्यापकों का छात्रों के साथ-साथ देश के प्रति भी कर्तव्य बनता है कि वो अपने को आपको देश से जोड़ कर विचारशील बनाएं और अपने चिंतन, सोच और मनन से देश को आगे ले जाने में अपना अहम योगदान दें। एक अध्यापक का कार्य केवल छात्र को पढ़ाने तक ही सीमित नहीं हो सकता है बल्कि अध्यापक को ऐसी कौशिश करनी चाहिए कि वे देश को बेहतर बनाने में अपनी भूमिका निभाए और देश तरक्की की तरफ अग्रसर हो। प्राचानी काल में गुरुओं ने ही राजाओं के लिए नीतियां बनाई थी। आज फिर से अध्यापक उसी नीति को अपनाएं ताकि अपने विचारों से भारत को तरक्की पथ पर ले जा कसें। उन्होंने बताया कि सेमिनार में अनेकों वक्ता आएंगे जो भारत के दूसरे देशों से रिश्तों के बारे में बताएंगे। सीआरएस विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार राजबीर सिंह ने कहा कि आजादी के बाद से चाइना भारत की राह में रोड़े अटकाते आया है लेकिन भारत  इन सब से आगे निकला और आज विश्वभर के देश भारत को सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। इसके साथ ही चीन द्वारा सताए देश भी भारत की तरफ  देख रहे हैं। डोकलाम इसका ताजा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भारत के योग को पूरे विश्व ने माना और सारे विश्व ने एक साथ मिल कर योग दिवस पर योग किया। भारत के विश्व पटल पर छाने को चाइना बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है और चीन भारत की राह में अनेकों समस्याएं खड़ी कर रहा है। इन सब समस्याओं का हल आम आदमी है और वो अपने विचारों से देश की तरक्की में अपना योगदान दे सकता है। इसी को लेकर  विश्वविद्यालय द्वारा इस सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है ताकि हर वर्ग के लोग भारत-चाइना विषय पर अपने विचार व्यक्त करें और फिर जो निष्कर्ष निकले उसे सरकार तक पहुंचाया जा सके। इस मौके पर प्रो. एसके सिन्हा ने भी भी विचार व्यक्त किए। 

No comments:

Post a Comment

खुद को पर्यावरण के लिए महिला वकील ने कर दिया समर्पित

अब तक लगवा चुकी 177 त्रिवेणी जींद। महिला एडवोकेट संतोष यादव ने खुद को पर्यावरण की हिफाजत के लिए समर्पित कर दिया है। वह जींद समेत अब तक...