Thursday, 12 October 2017

...और विदेशी की बजाय स्वदेशी की ओर बढ़ रहे कदम

अबकी दीपावली पर चाइनीज लड़ी की बजाय ज्यादा दिखेंगे मिट्टी के दीये 
सीमा पर समझौता लेकिन दिल से अब भी चीनी सामान को ना
सोशल मीडिया पर फैल रहे मैसेज छोड़ रहे लोगों के दिलों पर छाप
स्कूल और अन्य शिक्षण संस्थान भी ले रहे चीनी सामान उपयोग नहीं करने की शपथ

जींद : इस बार दीपावली की खास बात यह होगी कि दीपावली के दिन चाइनीज लडिय़ों की बजाय मिट्टी के दीयों की संख्या अधिक होगी। चीन के साथ डोकलाम के मुद्दे पर चल रहे भारत के विवाद को लेकर भले ही सीमा पर समझौता हो गया हो, लेकिन दिल से भारतीयों ने चीन देश का बना सामान पूरी तरह से नकार दिया है। इस दीपावली चाइनीज सामान की बिक्री नहीं के बराबर होगी। स्कूल और अन्य शिक्षण संस्थान भी चाइनीज सामान उपयोग नहीं करने की शपथ ले रहे हैं और चाइनीज सामान के विरोध में रैली निकाल रहे हैं। चाइनीज सामान के बहिष्कार में सोशल मीडिया भी अहम भूमिका निभा रहा है। 
पिछले कई सालों से लोग दीपावली के अवसर पर चीन देश में बने चाइनीज दीये, चमकदार लाइटों का ज्यादा प्रयोग करते थे। इससे मिट्टी के बने स्वदेशी दीयों का क्रेज कम हो रहा था। मिट्टी का काम करने वाले लोगों का धंधा लगभग चौपट सा हो गया था। मिट्टी का काम करने वाले लोग अपने व्यवसाय को छोडऩे लगे थे। पिछले साल चीन के साथ भारत के तनाव ज्यादा बढ़ जाने के बाद भारत के लोग देशभक्ति का परिचय देने लगे और चाइना के बने सामान का विरोध करने लगे। इस समय यह विरोध पूरे भारत में देखने को मिल रहा है। चाहे रक्षा बंधन हो या फिर दशहरा या कोई अन्य त्यौहार, लोग मेड इन चाइना के सामान को खरीदने से कतराने लगे हैं। लोग अब जागरूक हो गए हैं और उन्हें पता लग गया है कि चीन के लिए भारत कमाई का जरिया है। इस जागरूकता ने चीनी अर्थव्यवस्था की नींव हिलाने का काम किया है। 
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सोशल मीडिया का भी अहम रोल
मेड इन चाइना सामान के बहिष्कार में सोशल मीडिया सबसे अहम रोल अदा कर रहा है। सोशल मीडिया पर फेसबुक, यू-टयूब और व्हाट्सएप के जरिए कोई भी संदेश एक मिनट में लाखों लोगों तक पहुंच जाता है। इस समय चाइनीज सामान के बहिष्कार के संदेश हर जगह वायरल हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर चीन के प्रति नफरत और भारतीय जवानों के प्रति हमदर्दी के संदेश लोगों के दिलों पर छाप छोड़ रहे हैं। 
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ग्रामीण आंचल में मेड इन चाइना को पूरी तरह ना

शहर की बजाय ग्रामीण एरिया में चाइनीज सामान का अधिक बहिष्कार किया जा रहा है। गांव के सरपंच, पंच और अन्य गणमान्य लोग गांव में चाइनीज सामान का उपयोग नहीं करने बारे में आम लोगों को जागरूक कर रहे हैं। गांव के दुकानदारों ने भी चीन देश में बने सामान को लाना बंद कर दिया है। घोघडिय़ां गांव के दुकानदार संजय कौशिक ने बताया कि हर साल दीपावली पर उसकी लगभग 40 हजार के चाइनीज सामान लड़ी, चमकीली लाइटें, चाइनीज बल्ब आदि सामान की सेल थी। चीन के भारत के प्रति रवैये के बाद उसने पिछले साल से चाइनीज सामान को बेचना बंद कर दिया था। जो चाइनीज सामान उसके पास स्टाक में था, उसे उसने बेचने की बजाय जला दिया। वह दुकान पर आने वाले लोगों को चाइना का सामान नहीं खरीदने के बारे में भी जागरूक कर रहे हैं। 

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औंधे मुंह गिर रहा चाइनीज बाजार
दीपावली के अवसर पर जींद में सामान के होल-सेल विक्रेता सुनील डाहौला के अनुसार चीन देश में बने सामान चाइनीज लड़ी, दीपक, चमकदार लाइटें, रंग-बिरंगे बल्ब आदि सामान की मांग बहुत कम हो गई है। सुनील डाहौला ने बताया कि उनकी सेल आधे से भी कम रह गई है। उसके पास स्टाक तो है लेकिन उसे खरीदने के लिए कोई दुकानदार या ग्राहक ही नहीं मिल रहा। 
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स्वदेशी माल की ज्यादा होगी बिक्री : राहुल 
जींद के मेन बाजार में मिट्टी के बर्तन बेचने का काम करने वाले राहुल के अनुसार इस बार दीपावली पर उनका काम दो गुणा अधिक होगा, ऐसी उन्हें उम्म्ीद है। लोगों ने चीन के सामान का बहिष्कार किया है और लोग फिर से स्वदेशी माल की ओर लौटने लगे हैं। राहुल ने बताया कि उन्हें नवरात्र के बाद से ही पता चल जाता है कि सीजन कैसा रहेगा। पिछली साल दीपावली पर 70 हजार दीयों की लागत थी, जो अबकी बार एक लाख पार पहुंचने की उम्मीद है। 
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विद्यार्थी निकाल रहे जागरूकता रैली
सरकारी और प्राइवेट स्कूल के बच्चे भी गांवों और शहरों में जागरूकता रैली निकाल कर चाइनीज सामान का प्रयोग नहीं करने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं। लोगों द्वारा भी बच्चों की रैली का भरपूर समर्थन किया जा रहा है। ाहर की सामाजिक संस्थाएं भी चाइना के सामान का बहिष्कार करने का आह्वान लोगों से कर रही हैं। इन संस्थाओं ने चाइनीज सामान का बहिष्कार कर चीन की अर्थव्यवस्था पर करारी चोटी की है। 

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