Tuesday, 3 October 2017

पतलून नाटक से सामाजिक व्यवस्थाओं पर किया कटाक्ष

समय पर इच्छा पूरी न हो तो उस इच्छा का कोई फायदा नहीं 
11 दिवसीय नाट्य उत्सव का हुआ समापन

 जींद 
एक्टिव थियेटर एंड वैलफेयर सोसायटी द्वारा हरियाणा कला परिषद व हरियाणा संस्कृत अकादमी पंचकूला के तत्वावधान में चल रहे 11 दिवसीय नवरस राष्ट्रीय नाट्य उत्सव के ग्यारवें दिन पतलून नाटक के साथ समापन हुआ। नाटक का निर्देशन रंगकर्मी मनीष जोशी द्वारा किया गया था। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्यअतिथि सीआरएसयू कुलपति प्रो. आरएस सोलंकी, कृष्णा सोलंकी, सेवानिवृत मुख्याध्यापक सूरजभान अलेवा ने द्वीप प्रज्जवलित करके किया। पतलून भगवान नामक एक किरदार के इर्द गिर्द घूमता है जो बंधुआ भ_ा मजदूर के रूप के साल एक भ_े पर काम करता रहा है। बहुत सालों बाद जब आजाद हुआ तो उसे एक शहर में छिड़ दिया गया जहां उसने बूट पोलिश का काम शुरू किया। एक बार गलती से पोलिश करते हुए वो ग्राहक की पेंट पर पोलिश लगा देता है जिस पर उसे गालियों का सामना करना पड़ता है। उसे लगता है कि पतलून में ऐसा क्या खास है कि उसके पीछे लोग इसे दुत्कारते हैं। वह भी पतलून खरीदने का निश्चय करता है और एक शोरूम में पतलून देख लेता है जो बहुत महंगी होती है। वर्षों पैसे इक_े कर बहुत संघर्षों के बाद जब पतलून खरीदता है तो उसके लिए ये वो मिसफिट होती है। नाट्यक दिखाता है कि कई बार हमारी इच्छाएं टैब पूरी होती हैं जब हमें उसकी आवश्यकता नहीं होती है। मरीन भगवान का किरदार रामनारायण ने किया। पतलून का किरदार राखी जोशी ने निभाया। मुख्यअतिथि प्रो. आरएस सोलंकी ने कहा कि इस तरह के नाटक समाज के लोगों के लिए प्रेरणादायी होते है। जो कि समय समय पर होते रहने चाहिए ताकि लोग नाटकों से जुड़े और संवेदनशील बन सकें। इंडस निदेशक सुभाष श्योराण ने कहा कि कलाकरों के लिए जींद में एक सभागर होना चाहिए जिससे व इधर-उधर रिहर्सल करने की बजाए बनाए गए सभागार में बिना किसी परेशानी के एक साथ रिहर्सल कर सकें। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सुरजभान अलेवा ने कहा यह नाटक मेरे जीवन के लिये बहुत प्ररेणादायक रहा है। इस मौके पर डा. राजेश जैन, सोहनदास, डीसी विकास, मंगतराम शास्त्री, डा. प्रियदर्शनी, प्रवेश आदि मौजूद रहे। 

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