Wednesday, 18 October 2017

आयुर्वैदिक चिकित्सा पद्धति आज भी है कारगर : डीसी

दुनिया के विकसित देश अपनाने लगे हैं आज योग
आयुर्वैदक के जनक धनवतरी की याद में कार्यक्रम आयोजित

जींद
आयुर्वैदिक विभाग द्वारा स्थानीय सामुदायिक केन्द्र में राष्ट्रीय आयुर्वैैदिक धनवतरी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें आयुर्वैद से दर्द की चिकित्सा विषय को प्रमुखता से लिया गया। जिला स्तरीय इस कार्यक्रम में डीसी अमित खत्री मुख्य अतिथि थे। आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीसी अमित खत्री ने कहा कि आयुर्वैदिक चिकित्सा पद्धति का आज भी उतना ही महत्व है जितना कि वर्षों पहले था। आज भी अनेक ऐसे घरेलू नुस्खे है जो पूरी तरह से कारगर है। उन्होंने कहा कि हमारी आयुर्वैदिक चिकित्सा पद्धति के क्षेत्र में अनुसंधान चल रहे है। हल्दी पर अनुसंधान चल रहे है, हमारी योग की शैली भी अनेक प्रकार के शारीरिक विकारों को दूर करने में सहायक बनती है। खानपान व आधुनिक जीवन शैली के कारण मानव शरीर में अनेक प्रकार के रोग अपनी जगह बना लेते है। योग व प्राचीन चिकित्सा पद्धति से निरोग रहा जा सकता है। उन्होंने कहा दुनिया के विकसित देश आज योग को अपनाने लगे है। डीसी ने कहा कि हमारे पूर्वज प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाते रहे है। प्रदुषण रहित वातावरण में  जीवन व्यतीत करते थे। खानापीना भी साधारण था। यहीं कारण था कि उनकी जीवन शैली साधारण थी और लम्बे समय तक जीवित रहते थे। आधुनिकता की इस दौड़ में आजकल अनिद्रा मधुमेय जैसी बिमारियां पनपती है। उन्होंने आयुर्वैद विभाग के कर्मियों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि वे लोगों में आयुर्वैद के प्रति चेतना जागृत करे। जिला आयुर्वैद अधिकारी डा. सुशीला ने उपायुक्त का स्वागत करते हुए कहा कि जिला में आयुर्वैद की चालीस संस्थान कार्यरत है, इनमें ओपीडी की सुविधाएं दी जा रही है। आयुर्वैद से असाध्य बिमारियों का भी ईलाज संभव हुआ है। यह एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिसमें समय तो ज्यादा लगता है लेकिन बीमारी पूरी तरह से समाप्त हो जाती है। इस मौके पर चिकित्सा शिविर भी लगया गया। जिसमें लोगों को उपचार की सुविधा के साथ-साथ नि: शुल्क दवाईयां भी उपलब्ध करवाई गई। डा. सुशीला ने बताया कि हुडा के नए सेक्टर में बने अस्पताल में पंचकर्म जैसी ईलाज की पद्धति भी उपलब्ध है। इस मौके पर आयुर्वैद विभाग के डा. योगेश ने मन संचालन किया। कार्यक्रम में डा. संदीप गोयल, डा. शमशेर, डा. कृष्ण श्योकंद, योग स्पैशलिस्ट डा. गोविंदा, डिस्पैंसर कुलबीर, डा. रविकांत, डा. जयबीर मौजूद रहे।

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