Saturday, 23 June 2012

अब मनरेगा मजदूर बनाएंगे कंपोस्ट खाद


भूमि की उर्वरा को बनाए रखने और कम्पोस्ट खाद की तरफ किसानों का रुझान बढ़ाने के लिए सरकार ने एक परियोजना तैयार की है। इस परियोजना के तहत भूमि की उर्वरकता शक्ति बढे़गी, जिससे किसानों को भरपूर पैदावार मिलेगी। यही नहीं मनरेगा मजदूरों को रोजगार भी मिलेगा। इस योजना के तहत मनरेगा मजदूर अपने गाव में पंचायती जमीन अथवा निजी जमीन पर खाद तैयार करेंगे। इससे मनरेगा मजदूरों को रोजगार मिलेगा तथा भूमि की उर्वरा शक्ति को भी संरक्षित किया जा सकेगा। इस परियोजना के लिए प्रदेश में करीब 50 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा प्रत्येक जिले के लिए करीब अढ़ाई करोड़ का अनुमानित बजट बनाया है। इस बजट के अनुसार ही कृषि विभाग इस परियोजना को तैयार करेगा।
इस परियोजना के तहत मनरेगा मजदूरों को सरकार की तरफ से अनुदान राशि अथवा कंपोस्ट खाद बनाने के लिए सहायता राशि दी जाएगी। इसे मजदूर एरोबिक व एनेरोबिक विधि से कंपोस्ट खाद तैयार करेंगे। एनेरोबिक विधि में मजदूर गाव में किसी स्थान पर 12 गुना पांच फुट चौड़ा गढ्डा बनाएंगे। इसकी गहराई तीन फुट होगी। इस गढ्डे को किसान कटी हुई सब्जिया, सड़े-गले फल, पत्तों के अवशेष इत्यादि को गोबर के साथ मिलाकर उसे ढक देगा।
इसके 120 दिनों के बाद इस गढ्डे में कंपोस्ट तैयार हो जाएगी। इसी प्रकार एरोबिक विधि में किसानों को इसी आकार का जालीदार दीवार खींचकर प्लांट तैयार करना होगा। इस चारदीवारी के भीतर भी सब्जिया, सड़े-गले फल, पत्तों के अवशेष डालकर ढकना होगा। कुछ समय बाद कंपोस्ट खाद तैयार हो जाएगी। इसमें से एक बार में करीब एक टन यानी 10 क्विंटल खाद तैयार की जा सकेगी। इसके अलावा नदेप स्कीम से भी गोबर की खाद तैयार करने तथा लिक्विड बायोमैन्योर विधि द्वारा भी खाद तैयार करने की योजना भी इसके साथ शामिल की गई है।
क्या-क्या होंगे फायदे :
1. योजना के तहत मनरेगा मजदूरों को रोजगार मिलेगा
2. कंपोस्ट खाद खेती को प्राथमिकता मिलेगी।
3. गाव में कूडे़ कचरे को प्रयोग में लाया जा सकेगा, जिससे कम्पोस्ट खाद बनगी।
4. पर्यावरण स्वच्छ रहेगा।
वर्जन
परियोजना के बारे में कुछ दिन पहले ही जानकारी मिली है। इसके तहत मनरेगा मजदूरों को कृषि संबंधित प्रोग्राम से जोड़ना है, ताकि उन्हें आमदनी भी हो और भूमि की उर्वरा भी बनी रहे। इससे भूमि की उर्वरकता शक्ति बढे़गी, साथ ही मनरेगा मजदूरों को रोजगार भी मिलेगा।
-डॉ. रामप्रताप सिहाग, कृषि उप निदेशक

No comments:

Post a Comment

खुद को पर्यावरण के लिए महिला वकील ने कर दिया समर्पित

अब तक लगवा चुकी 177 त्रिवेणी जींद। महिला एडवोकेट संतोष यादव ने खुद को पर्यावरण की हिफाजत के लिए समर्पित कर दिया है। वह जींद समेत अब तक...