जींद। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के आह्वान पर सोमवार को लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एट २०११ के विरोध में जिलाभर के निजी अस्पताल बंद रहे। जिसके चलते मरीजों को अच्छी खासी परव्शानी का सामना करना पड़ा। निजी अस्पताल संचालकों ने कहा कि नए एट के लागू होने से इलाज मंहगा होगा। जिसका असर सीधा जनता पर पड़ेगा। चिकित्सकों ने मांग की कि लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एट २०११ को वापस लिया जाए। बाद में निजी अस्पताल संचालक लघु सचिवालय पहुंचे और मांगों से संबंधित ज्ञापन डीसी डा. युद्धवीर सिंह チयालिया को सौंपा।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर सोमवार को जिलाभर के निजी चिकित्सकों ने अपने अस्पतालों तथा लीनिकों को नए एट के विरोध में बंद रखा। सभी निजी चिकित्सालयों के बाहर चिकित्सकों के हड़ताल से संबंधित बैनर चस्पाये गए थे। निजी अस्पतालों में उपचाराधीन तथा गंभीर मरीजों को छोड़कर चिकित्सकों ने ओपीडी को बंद रखा। नेहरू पार्क में निजी अस्पतालों के चिकित्सकों को संबोधित करते हुए आईएमए के जिलाध्यक्ष डा. सुरव्श जैन ने कहा कि लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एट २०११ में नये नियम थौंपे गए हैं। जिसके तहत निजी अस्पताल, लैब, स्टाफ, उपकरण, अस्पताल में मौजूद संसाधनों का पंजीकरण करवाना जरूरी कर दिया है। जिसके लिए निजी चिकित्सकों को विभिन्न विभागों से अनापाि प्रमाण पत्र लेने होंगे तथा तीन साल बाद नवीनीकरण करवाना होगा। अगर नए नियमों पर खरा उतरा जाए और न केवल समय की बर्बादी होगी, बल्कि अस्पताल तथा लैब चलाना बहुत मुश्किल हो जाएगा। जिसका असर इलाज पर भी पड़ेगा और अस्पतालों की स्वायाा खत्म हो जाएगी। उन्होंने मांग की कि एस्टेबलिशमेंट एट २०११ को वापस लिया जाए। ताकि आम आदमी को सस्ता तथा सुलभ इलाज मिल सके। बाद में चिकित्सक लघु सचिवालय पहुंचे और मांगों से संबंधित ज्ञापन उपायुक्त डा. युद्धबीर सिंह チयालिया को सौंपा। इस मौके पर डा. प्रमोद बंसल, विनोद कुमार, एमएल गैरा, राजेश गर्ग, आरके सेठी, सत्यवान शर्मा, अश्र्वनी मिढा, अनिल गुप्ता, अनिल जैन, डीपीएस खर्ब, विपुल अग्रवाल, डीपी जैन मौजूद थे।
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