Wednesday, 13 June 2012

टपरीवास कालोनी मूलभूत सुविधाओं से मरहूम कालोनी में न पाइप लाइन, न बिजली कनेशन



जींद। एक तरफ तो प्रदेश सरकार जींद जिला के विकास के लिए करोड़ों रुपये विकास करने की बात कर रही है। लेकिन दूसरी तरफ जींदरोहतक रव्लवे लाइन के निकट स्थित टपरीवास कालोनी के हालात कुछ और ही यां कर रहे हैं। कालोनी में न तो पीने के पानी के लिए पाइप लाइन बिछाई गई है और न ही बिजली के कनेशन दिए गए हैं। जिसके चलते कालोनीवासी सरकार द्वारा देय सुविधाओं से वंचित रह रहे हैं। बुधवार को कुछ लोगों ने कालोनीवासियों को डरा धमका कर कालोनी खाली करने के लिए कहा। कालोनी खाली न करने पर उन्हें जान से मारने की धमकी भी। जिस पर कालोनीवासियों ने लामबंद होकर सरकार तथा प्रशासन के खिलाफ नारव्बाजी की और नप अधिकारियों पर मिलीागत का आरोप लगाते हुए घटना की दोबारा पुनर्रावृति होने पर भविष्य में जाम लगाने की चेतावनी दी।


टपरीवास कालोनी के प्रधान मोहमद दलीप खान ने बताया कि वे पिछले ३० वर्षें से काठ मंडी के निकट झुग्गी झोपड़ी बना कर रह रहे थे। दो वर्ष् पहले प्रशासन ने उनसे वो जगह खाली करवा ली और उन्हें जींदरोहतक रव्लवे लाइन के निकट जगह देकर मकान बनाने के लिए कहा। लेकिन प्रशासन द्वारा न तो कालोनी में मूलभूत सुविधाएं उपलध करवाई गई और न ही कालोनीवासियों को मकान बनाने के लिए इजाजत दी गई। उन्होंने बताया कि कालोनी के चारों तरफ गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। पेयजल के लिए भी उन्हें दूर दराज के क्षेत्र में जाना पड़ता है। सफाई व्यवस्था के नाम पर न तो यहां किसी सफाईकर्मी की डयूटी लगाई गई है। जिसके चलते यहां गंदगी के ढ़ेर लगे हुए हैं। कालोनी में समस्याएं उपलध करवाने को लेकर वे उपायुक्त सहित प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन हर बार उन्हें आश्र्वासन देकर टाल दिया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि बुधवार सुबह कुछ लोग नप कर्मियों के साथ कालोनी में पहुंचे और कालोनी को खाली करने के लिए कहा। कालोनी खाली न करने पर उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी गई। उन्होंने मांग की कि प्रशासन ने ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की तो वे जाम लगाने को मजबूर होंगे। जिसकी जिमेवारी प्रशासन तथा सरकार की होगी। उधर, कालोनीवासियों का नेतृत्व कर रहे हजकां जिला महासचिव सज्जन कश्यप ने कहा कि सरकार विकास के नाम पर बड़ेबड़े दावे कर रही है। लेकिन आमजन को न तो मूलभूत सुविधाएं मिल पा रही हैं और न ही उनकी कहीं सुनवाई हो रही है। गरीब आदमी जब प्रशासन के पास अपनी शिकायत लेकर जाता है तो उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।

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