जींद। आइटी विलेज बीबीपुर में आयोजित देश की पहली महिला ग्राम सभा ने सोमवार को रव्जूलेशन पारित कर कन्या भू्रण हत्या रोकने की शपथ ली। महिला ग्राम सभा में महिलाओं ने अहम फै सला लिया कि महिला जाति को मिटने नहीं दिया जाएगा। सभा में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने लिए गांव में चौदह कमेटियों का गठन किया है। कमेटियों का कार्य न केवल महिलाओं को कन्या भ्रूण हत्या रोकना होगा, बल्कि उन महिलाओं को भी पकड़वाया जाएगा। जो गर्भ में कन्या भ्रूण हत्या करके घृणित कार्य करती हैं। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आइटी विलेज बीबीपुर की नीमवाली चौपाल में सुबह ग्यारह बजे महिलाओं की ग्राम सभा शुरू हुई। सभा की अध्यक्षता गांव के सरपंच सुनील जागलान ने की। लगभग दो घंटे तक महिला ग्राम सभा ने कन्या भ्रूण हत्या पर गहन मंथन किया। कन्या भ्रूण हत्या पर कैसे रोक लगे, या कदम उठाये जाएं, किस प्रकार से घृणित कार्य को रोका जाए। साठ वषर््ीय बीरमति ने अपने विचार रखते हुए कहा कि कन्या भू्रण हत्या को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदम कारगार नहीं है। चिकित्सक भी घृणित कार्य को बढ़ावा दे रहे हैं। अल्ट्रासाऊंड की फीस पांच रूपये से अधिक नहीं होती है। लेकिन चिकित्सक महिलाओं के पेट में पल रहे भ्रूण की जांच के नाम पर मोटा पैसा कमा रहे हैं। बीरमति ने कहा कि चिकित्सक पांच हजार रुपये भ्रूण की जांच करते हैं। भ्रूण जांच में जब यह पता चलता है कि गर्भ में कन्या का भू्रण है, तो उसका गर्भपात करने का रास्ता भी चिकित्सक ही बताते हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सक भगवान को रूप होते हैं। अगर चिकित्सक ही ऐसे घृणित कार्य को बढ़ावा देंगे तो फिर यह पाप कैसे रूकेगा। बीरमति ने कहा कि भ्रूण जांच के लिए जो पांच हजार रुपये चिकित्सक को देते है उसी राशि को जन्म लेने वाली कन्या के नाम करवा दिया जाए, ताकि भविष्य में राशि काम आ सके। हेमलता ने कहा कि जब तक महिलाएं घृणित कार्य के खिलाफ नहीं खड़ी होंगी तब तक इसके सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आयेंगे। कन्या भ्रूण हत्या के लिए महिलाएं ही जिमेवार हैं।
रव्खा ने सभा में बताया कि उसके पास दो बेटियां है। हर रोज ताने सुनने को मिलते हैं। पुरूषें की बजाये महिलाएं ही उसे ताने सुनाती हैं। ऐसी स्थिति में वह या करव्। दो घंटे तक चली ग्राम सभा में कन्या भ्रूण हत्या पर मंथन करने के बाद निर्णय लिया गया कि कन्या भ्रूण हत्या रोकने की शुरूआत गांव से ही की जाए। जिसके चलते सभा में ही १४ कमेटियों का गठन किया गया। जो महिला के गर्भवती होने से बच्चे का जन्म होने तक उस पर नजर रखेंगी।
बास
आइटी विलेज बीबीपुर का महिला पुरूष् अनुपात देश के अनुपात से कही अधिक है। वर्ष् २०११ में जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक देश का अनुपात एक हजार महिलाओं के पीछे ८६७ का है। बीबीपुर का अनुपात ८९० है। बावजूद इसके यहां की महिलाओं में इस बात का पूरा विश्र्वास है कि वे इसमें और सुधार लाएगीं। पिछले दो साल से गांव की महिलाएं बेटी बचाने के लिए अलख जगा रही हैं। महिलाओं को इस बात की उमीद है कि वे अपने अभियान में सफल रहेंगी।
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