सफीदों। ग्रामीण आंचल में लड़केलड़कियों के बीच भेदभाव अब समय लद गया है। हर क्षेत्र में लड़कियां अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। ऐसी ही विलक्षण खेल प्रतिभा गांव सिल्लाखेड़ी निवासी रव्नू पांचाल है। जो पिछले चार साल से लड़कों के साथ कबड्डी खेलती आ रही है। रव्नू को लड़कों के साथ खेलने में कोई संकोच नहीं है, बल्कि अपनी ताकत के बल पर प्रतिद्वंदियों को पल में धूल चटा रही है। लड़कों के साथ खेलने में रव्नू की न केवल प्रतिभा निखरी है, बल्कि शौहरत भी मिल रही है। अभिभावकों तथा सहयोगी खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों के प्रोत्साहन के चलते कबड्डी में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही है।
बीएसएम स्पोटर्स एकेडमी में रव्नू लगातार कबड्डी के गुर सिख रही है और अपनी खेल प्रतिभा को निखार रही है। रव्नू स्टेट लेवल पर खेल चुकी है और उसकी इच्छा राष्ट्रीय कबड्डी टीम का प्रतिनिधित्व कर देश का नाम रोशन करना है। रव्नू ने विशेष् बातचीत में बताया कि बचपन से ही कबड्डी के प्रति उसका रूझान था। शुरू में उसने लड़कियों के साथ कबड्डी में जोर अजमाइश की, लेकिन कबड्डी के असली गुर लड़कों के साथ खेलने में मिला जो लगातार उसका हौसला बढ़ाते हैं। लड़कों के साथ खेलने पर कुछ सुगबुगाहट सुनने को भी मिली, लेकिन सफलता ने उसे आदर्श बना दिया। अब हर कोई उस पर गर्व करता है।
या कहते है रव्नू के अभिभावक
कबड्डी खिलाड़ी रव्नू पांचाल की मां रोशनी देवी तथा पिता राममेहर पांचाल ने बताया कि रव्नू के कबड्डी के प्रति रूझान को देखते हुए उसे हर प्रकार की सहायता उपलध करवाई। लड़कों के साथ खेलने पर रव्नू की प्रतिभा में निखार आया है और उसका उत्साह भी बढ़ा है। वह दिन दूर नहीं जब रव्नू न केवल प्रदेश का बल्कि देश का नाम भी दुनिया में रोशन करेगी।
या कहते है कोच
रव्नू के कबड्डी कोच दलबीर सिंह ने कहा कि कबड्डी में रव्नू लड़कों को पछाड़ने की ताकत रखती है। लड़कों के साथ कबड्डी खेलते समय किसी को अहसास नहीं होता कि टीम में लड़की खेल रही है और न ही रव्नू खेलते समय खुद को लड़की समझती है, बल्कि खेल की भावना से खेलती है। रव्नू अच्छी रव्डर तथा कैचर है।
या कहते है एकेडमी के निदेशक
बीएसएम स्पोटर्स एकेडमी के निदेशक अरूण खर्ब ने कहा कि उनका स्पोटर्स एकेडमी खोलने का उदेश्य ही क्षेत्र में छुपी प्रतिभाओं को मंच प्रदान करना है। खिलाड़ियों को गहन प्रशिक्षण देकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जा रहा है। रव्नू को भी उसी गहन प्रशिक्षण से गुजरना पड़ रहा है। लड़कों के साथ खेलने से रव्नू का न केवल गुर सिखें है बल्कि आत्मविश्र्वास भी बढ़ा है।
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