Sunday, 17 June 2012

खेती के साथ मछली पालन बना लाभ का व्यवसाय मछली पालन में पंजाब के बाद हरियाणा का दूसरा नंबर जला में क्भ्० लाख मछली बीज तैयार किया गया अब तक पैदा हो चुकी हैं क्ख्ख्० टन मछली पैदा


जींद। समय की मांग के अनुसार किसान भी अब प्रगति की सोच रखने लगे हैं। इसी सोच के चलते किसान अब खेती के साथसाथ अन्य व्यवसायों को जोड़ कर खेती को लाभकारी व्यवसाय बनाने लगे हैं। जिला प्रशासन द्वारा भी किसानों के बीच मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाए हुए है। अभियान के तहत किसानों को खेतीबाड़ी के साथसाथ मछली पालन करने के लिये प्रेरित किया जा रहा है। जिला के किसानों को मछली पालन के लिए मछली बीज जिला में ही उपलध हो जाए, इसके लिए किसानों के निजी तालाबों में पर्याप्त मछली बीज तैयार करवाया जा रहा है। किसानों को यह भी सलाह दी जा रही है कि वे मिश्रित मछली पालन करव्ं।

मछली पालन के मामले में पंजाब के बाद हरियाणा का दूसरा नंबर आता है। जिला के अनेक किसान ऐसे हैं, जिन्होंने अव्वल नस्ल का मछली पालन शुरू किया है। पहले अच्छी नसल का मछली बीज बाहर से मंगवाना पड़ता था। लेकिन अब जिला के किसान ही पर्याप्त मछली बीज तैयार कर लेते हैं। जिला में राहू, मिरगल, कतला, कॉमनकार्प किस्म की मछली पालन का धंधा आय उपार्जन का अच्छा जरिया बन सकता है। तालाब के पानी में कुछ मछली ऊपरी सतह पर रहती हैं, कुछ गहरव् पानी में तथा कुछ किस्म की मछली मध्यम पानी स्तर पर रहती है। इस प्रकार एक तालाब में ही तीन किस्म की मछली पालन का कार्य किया जा सकता है। जिला में अब भ्फ्त्त् हेटेयर से अधिक जल क्षेत्र में मछली पालन किया जाने लगा है। जिला में क्भ्० लाख मछली बीज तैयार किया गया है। अब तक क्ख्ख्० टन मछली पैदा भी की जा चुकी है। पंचायती तालाबों को पट्‌टे पर देने से पंचायतों को भी आमदनी होने लगी है। इस पट्‌टे से प्राप्त राशि को गांव के विकास कार्यों पर खर्च किया जा रहा है।
जिला मत्स्य अधिकारी युद्धवीर सिंह सांगवान ने जिला के किसानों को सलाह दी है कि वे खेती को साथसाथ प्रथम चरण में छोटे स्तर पर मछली पालन करव्ं तथा धीरव्धीरव् इस काम को बड़े पैमाने पर किया जा सकता है। खेतीबाड़ी के साथसाथ मछली पालन किसानों के लिए लाभ का सौदा साबित हो सकता है।

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