जींद। गुड़गांव के मानेसर में पिछले तीन दिनों से बोरवेल में फंसी पांच वषर््ीय माही की घटना से भी जिला प्रशासन सबक नहीं ले रहा है और जिले में अनेकों जगह बोरवेल खोदे हुए हैं। जोकि खुले पड़े हैं और दुर्घटना को निमंत्रण दे रहे हैं। बोरवेल का प्रचलन पिछले छह सालों से ज्यादा बढ़ा है।
जब खेतों में फसलों की सिंचाई के लिए क्षेत्र में नहरी पानी का अभाव होने लगा। किसानों द्वारा बोरवेलों को खुला रखने की जरा सी लापरवाही या चूक किसी के लिए भी जान का खतरा बन सकती है। लेकिन इन सबसे बेखबर किसान खेतों में बोरवले खुदवाने में जोर दे रहे हैं। जींद में गुड़गांव जैसे सैंकड़ों खतरनाक बोरवेल देखे जा सकते हैं। जो सरेआम खुली दुर्घटना को न्योता दे रहे हैं। लेकिन इस और न तो प्रशासन का कोई ध्यान गया है और न ही सरकार इन को बंद करवाने के लिए कोई कार्रवाई कर रही है।
जींद क्षेत्र में सिंचाई के लिए नहरी पानी का अभाव रहने लगा है। बरसात भी औसत से कम होती हो तो लोगों का रुझान टयूवैलों की तरफ बढ़ा है। तीन सितंबर क्ऽऽभ् को क्षेत्र में आई बाढ़ कव् बाद भूमि का जलस्तर बढ़ा गया। जिसके चलते किसानों ने बड़े पैमाने पर टयूवैल लगवाने शुरू कर दिए। लेकिन धीरव्धीरव् बरसात कम होने के कारण फिर भूमि का जलस्तर गिरता चला गया। लेकिन अब किसानों में बोरवेल का प्रचलन काफी बढ़ गया है। सबमर्सिबल टयूवेल कव् कारण पानी किसानों को बगैर कुआं खोदे ज्यादा मिलता है। इस कारण किसानों का रुझान अब इस और और बढ़ा है। बोरवेलों को खोदने कव् बाद जब कोई बोरवेल पानी नहीं दे पाता या फव्ल हो जाता है तो उसे लापरवाही कव् कारण या तो खुला छोड़ दिया जाता है या फिर ऊपर से इसे अस्थाई रूप से बंद कर काम चलाया जाता है। बोरवेल का व्यास कम चोड़ा होने कव् कारण यह दिखाई भी नहीं पड़ता और अस्थाई रूप से ऊपर से बंद किए गए बोरवेल थोड़े समय बाद या बरसात आने कव् बाद खुल जाते हैं।
गांव बीबीपुर के सरपंच सुनील जागलान ने बताया कि अकव्ले उनकव् ही गांव में स्त्र० से ज्यादा खुले कुंए हैं। कोई भी व्यक्ति बिना परमिशन कव् तीन फिट से ज्यादा मिट्टी नहीं खोद सकता। लेकिन यहां तो ९०९० फिट गहरव् बोरवेल खुदे हुए हैं। सरकार तथा प्रशासन को चाहिए कि इस मुद्दे को गंभीरता से ले।
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