कुलदीप सिंह
जींद। सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के चाहे हजार दावें करती हो मगर धरातल पर कुछ और ही स्थिति है। इसके लिए जिला में लाइब्रेरी तो बना दी गई है मगर उनको संभालने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की भारी कमी चल रही हैं। हजारोंें किताबें हों और उनकों सहजने के लिए केवल एक व्यक्ति हो तो ऐसे में हाल व्यवस्थित हो इसकी कल्पना करना भी समझदारी नहीं होगी। इस तरह का सूरते हाल इन दिनों जींद जिला लाइब्रेरी का है। स्टाफ की कमी के चलते लाइब्रेरी अव्यवस्था के दौर से गुजर रही हैं। भले ही विभाग ने पुस्तकें भिजवाने में कोई कोरकसर न छोड़ी हो मगर उनकों सहजने वालों की कमी के कारण वह लाभप्रद साबित नहीं हो रही हैं। लाइब्रेरी को कंपयूटर तो उपलध करवा दिये गये हैं। मगर उनको चलाने के लिए आप्रेटरों की दरकार है। जिसके चलते रजिस्टर पे रजिस्टर भरव् जा रहे हैं।
लाइब्रेरी में पुस्तकालयध्यक्ष सहित सात कर्मियों की आवश्यकता होने के बावजूद महज दो लोगों के सहारव् काम को धक्का धकेला जा रहा हैं। मगर इनमें से भी लाइब्रेरी का सारा भार एक ही अधिकारी उठा रहे हैं। फिलहाल यहां सीनियर लाइब्रेरियन बलबीर सिंह चहल और स्वीपर कम चौकीदार रमेश कुमार ही ड्यूटी कर रहे हैं।
ऐसे में अकेले सीनियर लाइब्रेरियन बलबीर सिंह चहल ही ही काम के लिए भागदौड़ में लगे रहते हैं। लाइब्रेरी की पुस्तकों को सहजने में हाथ बटवाने वाली चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बबली शर्मा भी पदोन्नति होकर यहां से जा चुकी हैं। ऐसे में ब्ब् हजार क्फ्ब् पुस्तकों के भंडार को सहजने के लिए केवल सीनियर लाइब्रेरियन ही रह गये हैं। इनकों ही कनिष्ठ पुस्तकालाध्यक्ष, रिस्टोरर, लिपिक ओर पियन कम माली के खाली पदों की कमी में कसरत करनी पड़ रही हैं। इस भागदौड़ में लाइब्रेरी से अखबार और किताबों के भंडार से कब कौन हाथ साफ कर दे इस पर नजर रखने के लिए कोई नहीं है। सीनियर लाईब्रेरियन यदि कार्यालय के काम से बाहर जाते है तो पीछे से सब रामभरोसे ही काम चलता है। पुस्कालय में आने वाले पाठक नरवाना रोड निवासी पविता लेखराम सहित कई अन्य पाठकों ने बताया कि स्टाफ की कमी के कारण परव्शानी झेलनी पड़ रही हैं। अलमारियों में अव्यवस्थित तरीके से रखी किताबों को खोजने के लिए बड़ी ही मशक्कत करनी पड़ती है। उनकी मानी जाए तो अगर किताबों को विष्य के हिसाब से अलगअलग अलमीरा में रख कर उनका रिकार्ड कंप्यूटर में फीड हो तो उनको खोजने में समय बरबाद नहीं करना पड़ेगा। पाठक कविता और खेहा का मानना है कि पुस्तकालय में पहले एक महिला कर्मी थी। मगर अब उनके जाने के बाद दूसरी मंजिल में रखी पुस्तकें खोजने में झिझक महसूस होती है। इसलिए पुस्तकालय में स्टाफ बढ़ जाए तो पाठकों को आ रही परव्शानियों से छुटकारा मिल सकता है।
सीनियर लाइब्रेरियन बलबीर सिंह चहल के अनुसार स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए वे विभाग को लिख चुके हैं। लेकिन अभी तक नए स्टाफ की यहां नियुक्ति नहीं की गई है।
जिला लाइब्रेरी की कंट्रोलर एवं राजकीय खातकाोर महाविनालय की प्राचार्य बिमला देवी ने कहा कि स्टाफ की कमी को लेकर उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया जा चुका है। उनका पूरा प्रयास है कि जिला लाईब्रेरी में पाठकों को किसी तरह की दिक्कत न आने दी जाए। शीघ्र ही लाइब्रेरी के लिए किसी कर्मचारी की नियुक्ति की जाएगी।
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