Sunday, 24 June 2012

खाप पंचायत में कन्या भू्रण हत्या के प्रति महिलाएं करव्ंगी जागरूक गांव बीबीपुर में १४ जुलाई को होगी खाप पंचायतों की बैठक

जींद। कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में अब महिलाओं को जागरूक करने के लिए महिलाएं स्वयं खाप पंचायतों की बैठक में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए संयुक्त पंचायत कर इस बुराई के प्रति जागरूक करव्ंगी। पिछले दिनों १८ जून को गांव बीबीपुर में महिला ग्राम सभा कार्यक्रम की कामयाबी के बाद महिलाओं के हौंसले बुलंद हैं और वे अब कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ खाप पंचायतों के साथ मिल कर अलख जगाने का मन बना चुकी हैं। इनमें से अधिकतर महिलाएं कम पढ़ी लिखी हैं। लेकिन उनका हौंसला देखते ही बनता है। ६५ वषर््ीय मूर्ति देवी जोकि अनपढ़ है, लेकिन कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में मूर्ति देवी का कहना है कि बेटा व बेटी में कोई फर्क नहीं है। २८ वषर््ीय सुमन देवी जोकि आठवीं पास है, ४५ वषर््ीय अनीता आठवीं पास है, २४ वषर््ीय संतोष् ने जेबीटी की हुई है। ऐसी ही अनेक महिलाएं इस गांव से उभर कर आई हैं जो १४ जुलाई को गांव के स्कूल मे कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में खाप पंचायतों की बैठक करव्ंगी।
कभी गांव की चौपाल के आगे से घूंघट कर निकलने वाली महिलाएं अब अब उन्हीं खाप प्रतिनिधियों के बीच बैठक वादविवाद सुलझाएगी।

जिन खाप पंचायतियों ने कभी महिलाओं को गांव की चौपाल तक में नहीं आने दिया। लेकिन आज गांव बीबीपुर की फिजा बदली नजर आने लगी है और महिलाएं सुबह से शाम तक बैठ कर इस पंचायत के लिए रणनीति तैयार कर रही हैं। ५२ वषर््ीय बीरमती बताती हैं कि घर में जब लड़की पैदा होती है तो मातम होता है और  जब लड़का होता है तो थाली बजायी यों बजायी जाती है। बीरमति ने कहा कि लड़के लड़की में सबसे ज्यादा भेद करने वाली महिलाएं ही हैं। उन्होंने कहा जब तक महिलाओं की सोच लड़कियों को लेकर नहीं बदलेगी तो तब तक कोई भी कुछ कर लें। समाज में कोई परिवर्तन नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा कि बेटी देवी होती है। लेकिन लड़का देवता नहीं हो सकता है।
छात्रा सविता बताती हैं कि सभी को मालूम है कि लड़कियों की कमी के कारण समाज में उनके प्रकार की सामाजिक विकृतियां पैदा हो रही हैं। फिर भी समाज लड़कों को प्राथमिकता देता है। उन्होंने कहा कि जब बेटी नहीं होगी तो घर में बहु कहां से आएंगी। जेबीटी कोर्स पास कर चुकी बबली बताती हैं कि लड़की मां की सहेली होती है। फिर मां ही उसकी कोख हत्या करने का जघन्य अपराध करती है। ऐसे यों होता है, इस बारव् में पूछे जाने पर बबली बताती है कि लड़की को माता पिता ने भारी भरकम दहेज देना होता है और इसके बावजूद भी यह विश्र्वास नहीं होता है कि ससुराल वाले किस प्रकार के होंगे। यह चिंता माता पिता को लड़की के जन्म लेते ही शुरू हो जाती है। ससुराल वाले ठीक मिल जाते हैं तो सब ठीक हो जाता है। लेकिन ससुराल वाले सही नहीं मिलते तो दुख ताउम्र का हो जाता है।  

दसवीं पास व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संतोष् बताती हैं कि जब तक औरतों में लड़कियों को लेकर बदलाव नहीं होगा। तब तक कन्या भ्रूण हत्याएं होती रहेंगी। उन्होंने बताया कि सरकार भी इस और बहुत कुछ कर रही है। लेकिन तब सरकार के प्रयास सफल नहीं होंगे जब तक समाज में परिवर्तन नहीं होगा। अनपढ़ कमलेश देवी बताती हैं कि एक महीने का गर्भ होते ही उसका पंजीकरण अस्पताल में करवाना चाहिए ताकि गर्भपात न करवाया जा सके। उन्होंने कहा कि चौदह जुलाई की खापों की बैठक इसके लिए आहूत की गई है। उन्होंने उमीद लगायी है कि बैठक में कोई ठोस निर्णय हो। कमलेश देवी बताती हैं कि पिछले दस साल यह समस्या सबसे ज्यादा बढ़ी है और इस समस्या के मूल महिलाएं हैं और वे ही समस्या का समाधान बनेंगी। तब कहीं जाकर समस्या हल हो सकती है।


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