राष्ट्रपिता महात्मा गाधी को महात्मा और राष्ट्रपिता का दर्जा किसने और कब दिया? देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को चाचा का दर्जा किसने और कब दिया? यह सवाल अमूमन हमारे दिमाग में आ जाते हैं, लेकिन देश के प्रधानमंत्री कार्यालय को भी इनकी जानकारी नहीं है कि आखिर यह नाम किसने और कब दिए।
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जब नामों को किसने व कब दिए जाने बारे जानकारी मांगी गई तो प्रधानमंत्री कार्यालय ने समक्ष किया कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। प्रधानमंत्री कार्यालय भी आरटीआइ के तहत मागी गई पूरी सूचना न दे पाए तो फिर आम विभाग से क्या उम्मीद लगाई जा सकती है।
अखिल भारतीय अग्रवाल समाज हरियाणा के अध्यक्ष राजकुमार गोयल ने प्रधानमंत्री कार्यालय से आरटीआइ के तहत सात अप्रैल 2012 यह सूचना मागी थी कि भारत सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार राष्ट्रपिता महात्मा गाधी को राष्ट्रपिता का दर्जा किसने और कब दिया?, भारत सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार राष्ट्रपिता महात्मा गाधी को महात्मा का दर्जा किसने और कब दिया? देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को चाचा का दर्जा किसने और कब दिया? देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री देवी लाल को ताऊ का दर्जा किसने और कब दिया? देश का वैश्य समाज विभिन्न कार्यक्रमों में यह दर्शाता है कि महात्मा गाधी वैश्य समाज के थे, क्या यह सही है?, ये सूचनाएं प्रधानमंत्री कार्यालय से मागी गई, जिसके जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय ने 13 अप्रैल 2012 को यह कहकर सूचना के अधिकार को ठेगा दिखाने की कोशिश की ये सूचनाएं इस कार्यालय में संधारित अभिलेख की विषय वस्तु नहीं है।
जब राजकुमार गोयल को प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा यह सूचना प्रेषित की गई तो राजकुमार गोयल ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 19 के तहत 23 अप्रैल 2012 को अपील की। प्रधानमंत्री कार्यालय के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी को की गई अपील में राजकुमार गोयल ने लिखा कि उन्हे मागी गई सभी सूचनाओं की जानकारी उपलब्ध करवाएं।
यदि यह सूचना प्रधानमंत्री कार्यालय में संधारित अभिलेख की विषय वस्तु नहीं है तो यह सूचित करने की कृपा करे कि यह सूचना कौन सा विभाग देगा। इस अपील के जवाब में 21 मई 2012 को निदेशक एवं अपील प्राधिकारी द्वारा यह सूचना प्रेषित की गई कि आप द्वारा मागी गई सूचनाएं इस कार्यालय में संधारित अभिलेख की विषय वस्तु नहीं है और जहा तक अन्य विभाग का प्रश्न है तो उनके पास ऐसे किसी भी मंत्रालय या विभाग की जानकारी नहीं है, जिसके पास आप द्वारा चाही गई सूचना उपलब्ध हो सकती है, इसलिए आवेदन पत्र अन्य विभाग को अंतरित किया जाना संभव नहीं। गोयल का कहना है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने सूचना का सही जवाब नहीं दिया गया। या तो प्रधानमंत्री कार्यालय को यह लिखना चाहिए था कि उनके पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है।
प्रधानमंत्री कार्यालय एक तरफ तो यह कह रहा है कि ये सूचनाएं इस कार्यालय में संधारित अभिलेख की विषय वस्तु नहीं है, साथ ही यह भी कह रहा है कि उन्हे यह भी जानकारी नहीं है कि यह सूचना कौन सा विभाग देगा। प्रधानमंत्री कार्यालय अपना पल्ला झाड़ रहा है।
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