बेशक वन विभाग प्रदेश में करोड़ों पौधे हर साल लगाने के दावे करता हो, लेकिन लगाए गए यह पौधे पानी के अभाव में हर साल दम तोड़ जाते हैं। सबसे ज्यादा नुकसान तपती गर्मी के मौसम में होता है। जब पानी पूरा न मिलने से पौधे जल जाते हैं। आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि वन विभाग के पास अधिकतर पौधों को साल में मात्र पांच बार ही पानी देने का बजट उपलब्ध होता है जबकि कुछ पौधों में मात्र दो से तीन बार पानी देने का बजट मिलता है, बाकी समय यह पौधे बरसात पर ही निर्भर रहते हैं। यदि बरसात न हो तो पौधों को नुकसान पहुंचना लाजमी है। वन विभाग जो पौधे हर साल लगाता है, उनमें साल में मात्र तीन से पांच बार ही पानी देने का प्रावधान नियमों में किया गया है। उसी के अनुसार ही वन विभाग को पौधों में पानी देने का बजट मिलता है। पहला पानी पौधारोपण के समय दिया जाता है जबकि बाकी पानी मौसम व जरूरत के अनुसार पौधों में पानी दिया जाता है। इसमें एक बार गर्मी तथा दूसरा सर्दी में पानी देने की बात कही गई है। हालांकि जिस तरह से अबकी बार गर्मी पड़ रही है और आम आदमी भी बुरी तरह से परेशान हो चुका है, वहां इस तपती गर्मी में पौधों का क्या हाल होगा? यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। यही नहीं साल में तीन बार ही पानी देने से क्या पौधे बच पाएंगे, यह भी सवाल उठता है। बाकी बचे दिनों में लगाए गए पौधे बरसात पर ही निर्भर रहते हैं।
यदि बरसात सही समय व अच्छी होती है तो पौधों की ग्रोथ बढ़ जाती है, अन्यथा यह पौधे जलकर खराब हो जाते हैं, जिससे विभाग को नुकसान होता है। विभाग ने अबकी बार प्रति पौधे के लिए 1.86 रुपये जारी किए हैं जबकि अधिकतर पौधों को पांच बार जबकि कुछ पौधों को दो से तीन बार ही पानी देने का प्रावधान किया गया है। फिलहाल विभाग के पास अभी पूरा बजट नहीं पहुंचा है।
कई बार की जा चुकी है संशोधन की मांग
मात्र तीन बार पानी देना पौधों का काफी नहीं होता, जिस कारण पौधे खराब हो जाते हैं। इसलिए विभागीय अधिकारियों ने कई बार मुख्यालय के उच्चाधिकारियों से इस नार्म के संशोधन की मांग भी की जा चुकी है ताकि पौधों की पानी देने की संख्या में बढ़ोतरी हो सके।
विभाग द्वारा लगाए गए पौधों में बजट अनुसार साल में सिर्फ तीन बार ही पानी दिया जाता है। उसके अलावा भी कुछ प्रयास किए जाते हैं। बाकी बरसात पर ही पौधा निर्भर रहता है। यदि बरसात न हो तो दिक्कत आती है।
सुनील कुंडू, वन राजिक अधिकारी, जींद
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