जींद। शहर में दुकानों तथा चौबारों में चल रहे शिक्षण संस्थानों में दूसरव् राज्यों से विभिन्न प्रकार के कोर्स करवाने का झांसा देकर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जगहजगह चल रहे ऐसे शिक्षण संस्थानों में न केवल छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ की जा रही है बल्कि उन्हें मोटा चूना भी लगाया जा रहा है। यहां तक की रुपये ऐंठने के लिए शिक्षण संस्थान संचालक छात्रों को विािन्न राज्यों के शिक्षण संस्थानों के फर्जी पहचान पत्र तक जारी कर देते हैं। ऐसा ही मामला हाऊसिंग बोर्ड़ में चल रहे शिक्षण संस्थान में आया है। पीड़ित लोगों ने शिक्षण संस्थान संचालिका के खिलाफ पुलिस अधिक्षक को शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की है। पटियाला चौक निवासी सुरेंद्र कुमार ने पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार को दी शिकायत में बताया कि उसने वर्ष् २०११ में उसका संपर्क हाऊसिंग बोर्ड में बीसीएमईटी शिक्षण संस्थान की संचालिका शशिप्रभा त्रिपाठी से हुआ। उसने बताया था कि वह दूसरव् राज्यों से विभिन्न प्रकार के कोर्स करवाती है। जिसके चलते उसने अपने रिश्तेदार को जमू से बीएड करवाने के लिए कहा। जिसकी एवज में उसने ६५ हजार रुपये की राशि वसूली। संचालिका ने बताया कि बीएड की रव्गूलर कक्षाएं उसके जींद संस्थान में लगेगी और अप्रैल २०१२ में परीक्षा होने की बात कही। जब उसने अप्रैल माह में परीक्षा न होने पर शशिप्रभा त्रिपाठी से संपर्क किया तो उन्होंने कोई संतोष्जनक जवाब नहीं दिया। दबाव देने पर संचालिका ने जय हिंद बिस्मिल शिक्षा महाविनालय, अबाह, जिला मुरैना (मध्य प्रदेश) का सर्टिफिकेट दे दिया। जबकि उन्हें इस बारव् में कोई जानकारी नहीं दी गई। ऐतराज जताने पर संचालिका ने उन्हें एक सप्ताह बाद आने के लिए कहा। दोबारा जब वे शिक्षण संस्थान पहुंचे तो उन्हें विनार्थी कव् नाम से अलमदार आंगनवाड़ी वर्करज टे्रनिंग इंसटीच्यूट सोपोर (कश्मीर)का पहचान पत्र उन्हें थमा दिया। सुरव्ंद्र ने आरोप लगाया कि इंस्टीच्यूट संचालिका ने पहले तो फर्जी सर्टिफिकेट छात्र के नाम से जारी कर दिया। ऐतराज जताये जाने पर फिर उसी छात्र का कश्मीर के एक इंस्टीच्यूट में दाखिला दिखा कर पहचान पत्र जारी कर दिया। परीक्षा न होने पर जब उससे राशि मांगी गई तो उसने राशि लौटाने से मना कर दिया।
संचालिका शशिप्रभा त्रिपाठी से जब इस बारव् में बात की गई तो उन्होंने बताया कि दाखिला हो चुका है। परीक्षाएं विश्र्वविनालय ने आयोजित करनी है। लेकिन जब विश्र्वविनालय बदले जाने से संबंधित पूछा गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली।
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