Tuesday, 5 September 2017

18 वर्षो से एक भी छात्र नहीं हुआ फेल

गणित की महारथी अध्यापिका कृष्णा आर्य को मिला स्टेट बेस्ट अध्यापक का अवार्ड
कमीशनरी लेवल समेत कई बार हो चुकी हैं सम्मानित
खेल-खेल में रूचि पैदा करती हैं गणित को लेकर

जींद
अध्यापिका कृष्णा आर्य की तालीम ऐसी है कि पिछले 18 वर्षो से एक भी बच्चा गणित विषय में फेल नहीं हुआ है। उनकी जिस भी स्कूल में नियुक्ति होती है उस स्कूल का परिणाम बेहतर होता है। मेरिट और टॉपरों की तो गिनती ही नहीं है। शैक्षणिक कार्यो, प्रबंधन तथा छात्रों के सवाॄगण विकास में योगदान को देखते हुए उन्हें पांच सितम्बर को अध्यापक दिवस पर राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी द्वारा स्टेट बेस्ट टीचर अवार्ड से सम्मानित किया जा जा रहा है। वर्ष 1989 से फूल भगत सिंह खानपुर कन्या विद्यालय से अध्यापन का कार्य शुरु करने वाली कृष्णा आर्य आज भी नई चुनौतियां तलाशती हैं। कहती हैं कि चुनौतियां नहीं होंगी तो पढ़ाने में भी मजा नहीं आएगा। यही कुछ मानना है गांव ढिगाना राजकीय स्कूल की गणित अध्यापिका कृष्णा आर्य का। छह वर्ष तक भगत फूलसिंह कन्या विद्यालय में सेवा देने के बाद वर्ष 1995 में जेबीटी अध्यापिका के पद पर सरकारी स्कूल में नियुक्त हुई। इकनौमिक्स से एमए तथा बीएड अध्यापिका कृष्णा आर्य वर्ष 1999 में गणित अध्यापक के तौर पर प्रमोट हुई। तब से अब तक उनके विषय गणित का परीक्षा परिणाम शत प्रतिशत आता रहा है। वर्ष 2010 में शत प्रतिशत रिजल्ट देने पर जिला शिखा अधिकारी ने सम्मानित किया। तो वर्ष 2013-14 में कक्षा तत्परता कार्यक्रम में गोल्ड जीतने पर मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया। कृष्णा आर्य ने बताया कि पहले पांचवी कक्षा तक पढ़ाया फिर पांचवी कक्षा से ऊपर की कक्षाओं को पढ़ाया। छात्रों में गणित को लेकर रूचि पैदा हो इसके लिए वो ऐसी तकनीक अपनाती हैं कि छात्र गणित में रूचि लेते हैं। जिसका परिणाम यह रहा कि पिछले 18 वर्षो से उनके विषय का परीक्षा परिणाम शत प्रतिशत आ रहा है। शैक्षणिक गतिविधियों में स्कूल के अव्वल रहने पर उन्हें हिसार कमीशनर द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। वे पिछले 11 वर्षो से स्कूल हैड हैं। स्टेट बेस्ट टीचर अवार्ड का श्रेय उन्होंने अपने पति गणित अध्यापक कुलदीप सिंह आर्य, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के मुखिया सतबीर नेहरा, खंड शिक्षा अधिकारी आदर्श राजन, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सत्यवती नांदल को दिया है।
खेल-खेल में तथा प्रोजेक्टों के माध्यम से सिखाती है गणित
गणित अध्यापिका कृष्णा आर्य ने बताया कि अध्यापक और छात्रों के बीच गहरा रिश्ता होना जरूरी है। उसी रिश्ते के तहत छात्रों को प्रोत्साहित कर उनका विश्वास बढ़ाया जाता है। तकनीकी हिसाब से विषय को रोचक बनाकर छात्रों के सामने रखा जाता है। इसके अलावा प्रोजेक्ट बनाकर भी खेल-खेल में छात्रों को गणित समझाकर रोचक बनाया जाता है। जिसके चलते छात्र गणित विषय में रूचि दिखाते हैं और उसके सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं।
पिता पढ़े लिखे तो मां थी गृहणी
साधारण परिवार में जन्मी कृष्णा आर्य के पिता वेद सिंह आर्य पढ़े लिखे थे और आर्य समाजी थे और मां साधारण गृहणी थी। पिता लड़कियों की शिक्षा को लेकर गंभीर थे और उन्होंने उस दौरान पढऩे की प्रेरणा दी जब लड़कियां घर से बाहर नहीं जाती थी। उनका जोर भी ज्यादा लड़कियों की शिक्षा तथा संस्कारों की तरफ है। क्योंकि अगर लड़की पढ़ी लिखी होगी तो उससे दो परिवारों का सुधार होगा और परिवार संस्कार वान भी होगा। दिनचर्या में शुरूआत हवन तथा मंत्रोचारण के साथ होती है, जो उन्हें आर्य समाज परिवार से जुड़े होने के कारण उन्हें विरासत में मिले हैं।
मेहनत की तो छात्रा ने जीता मैथ ओलिम्पयाड में गोल्ड मैडल
गणित विषय में छात्रों की रूचि उत्पन्न करने के बारे में अध्यापिका कृष्णा आर्य बताती हैं कि वर्ष 2012-13 में उसके पास पढऩे वाली आठवीं कक्षा की छात्रा काफी ने नेशनल स्तर पर मैथ ओलिम्पयाड में भाग लिया और राष्ट्रीय छात्रवृति जीती। जो ग्रामीण आंचल के स्कूल के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। गांव दिल्लूवाला में खोले गए कस्तूरबा गांधी स्कूल की शुरुआत भी उन्होंने की थी। मुख्यमंत्री सौंदर्यकरण में राजकीय स्कूल ढिगाना ब्लॉक में प्रथम स्थान पर रहा। वर्ष 2016 में वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने सम्मानित किया। शैक्षणिक कार्यो में उल्लेखनीय योगदान के लिए 15 अगस्त को भी सम्मानित किया गया। 

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