Monday, 11 September 2017

मनुष्य का जीवन कर्म प्रधान होना चाहिए : स्वामी रामवेश

आश्रम में मासिक वैदिक सत्संग का आयोजन

जींद
अर्बन एस्टेट स्थित महर्षि दयानंद योग चिकित्सा आश्रम मासिक वैदिक सत्संग का आयोजन स्वामी रामवेश की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस अवसर पर देवराज शास्त्री व सुनील शास्त्री ने भी विचार व्यक्त किए।  स्वामी रामवेश ने कहा कि मनुष्य का जीवन कर्म प्रधान होना चाहिए। इस जन्म में हम जैसे कर्म करते हैं अगले जन्म में जन्म, आयु  और भोग उसी प्रकार से मिलता है। कुछ  कर्म ऐसे होते हैं जिनका चालू जन्म में तुरंत फल मिल जात हैं। कुछ कर्म ऐसे होते है जिनके आधार पर अगला जन्म, आयु और भोग मिलता है। मनुष्य के कर्मों की तस्वीर उसके चेहरे से देख सकते हैं। क्रूर और जल्लाद का चेहरा अलग से ही दिखाई पड़ेगा। ईश्वर भगत और परोपकारी व्यक्ति का चेहरा प्रसन्न और स्वस्थ दिखाई देगा। स्वामी रामवेश ने कहा कि यदि हम सुख चाहते हैं तो अच्छे कर्म करते रहें। हमारे जीवन में पाप कर्म और पुण्य कर्मों का अलग-अलग परिणाम होता है। वेद ने भी मनुष्य को उपदेश दिया है कि हे मनुष्य तू कर्म करते हुए सौ साल तक जीने की इच्छा कर। कर्म बंधन से छूटने का केवल मात्र यही रास्ता है। स्वामी रामवेश ने कहा कि अच्छे कर्म मनुष्य को बंधन से मुक्त करते हैं और बुरे कर्म बंधन में डालते हैं। क्योंकि बुरे कर्म करने वाले को ही दस्यु कहा है। जब तक अच्छे बुरे कर्मों का कर्माष्य इक_ा होता रहेगा तो जन्म और मरण का सिलसिला चलता रहेगा। जब अच्छे और बुरे समस्त कर्मों की समाप्ति हो जाएगी तो मोक्ष मिल जाएगा। देवराज शास्त्री ने कहा कि हम कर्म प्रधान जीवन जीएं और सुनील शास्त्री ने भजनों के माध्यम से उपस्थित लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया। इस अवसर पर मा. जगदीश चंद्र आर्य, रघुवीर सिंह मलिक, कैप्टन रामदत्त आर्य, जगफूल ढिल्लों, मा. मोहनलाल आर्य आदि उपस्थित रहे। 

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