तालाबों में छोड़े गए जलीय खुम्बी खरपतवार नाशक विशेष कीट
किसानों को तालाबों किनारे नहीं आएगी खरपतवार की समस्या
जींद
तालाबों को जलीय खरपतवार रहित करने के लिए मंगलवार को स्थानीय लघु सचिवालय के सभागार में डीसी अमित खत्री की अध्यक्षता में अधिकारियों की बैठक का आयोजन हुआ। बैठक में कृषि, बागवानी, खरपतवार नाशक निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डा. सुशील कुमार तथा कई गांवों के सरपंच उपस्थित रहे। इस बैठक में तालाबों को किस तरह से जलीय खरपतवार से कैसे मुक्त किया जा सकता है विषय पर गहनता से विचार विमर्श किया गया। डा. सुशील कुमार ने इस विषय पर प्रोजेक्टर के माध्यम से लघु फिल्म एवं चित्र दिखा कर विस्तार से जानकारी देते हुए इसके निदान करने के तरीके बताएं।
चार तरीकों से खत्म किया जा सकता है जलीय खरपतवार
डा. सुशील कुमार ने बताया कि जलीय खरपतवारों में जल खुम्बी मुख्य खरपतवार है। यह पौधा तालाबों, झीलों, झरनों, नदियों व अन्य स्थलों की सुंदरता बढ़ाने के लिए ब्राजील से मंगवाया गया था। इस पौधे के प्रजन्न क्षमता अत्याधिक होने के कारण अब यह पौधा हर जगह फैल चुका है, यहां तक की नहरों, तालाबों, झीलों, झरनों की सुरन्दता बिगाड़ का काम कर रहा है। इसलिए इस तरह के पौधों पर अंकुश लगाना जरूरी हो गया है। चार तरीकों से जलीय खरपतवार को खत्म किया जा सकता है। पहला तरीका हाथ से खरपतवार को हटाना, दवाई छिड़क कर इसका खात्मा करने, विशेष कीट तालाबों में छोड़कर तथा तालाबों से इस खरपतवार को निकालकर वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर जलीय खरपतवार पर अंकुश लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सबसे आसान तरीका तालाबों में विशेष कीटों को छोड़ कर खरपतवार को खत्म करना है। क्योंकि इस विधि का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता है।
जिला के तालाबों में छोड़े जाएंगे विशेष कीट
जिला के तालाबों को जलीय खरपतवार से मुक्त करने के लिए तालाबों में विशेष प्रकार के कीट छोड़े जाएंगे। प्रथम चरण में यह कीट प्रयोग के तौर पर कुछ तालाबों में ही रखे जाएंगे। अगर अच्छे परिणाम आते है तो सभी खरपतवार युक्त तालाबों में इनका इस्तेमाल किया जाएगा। विशेषज्ञों की टीम द्वारा मंगलवार को जींद जिला के कई गांवों के तालाबों का दौरा किया गया और टीम द्वारा तालाबों में खरपतवार नाशक कीट छोड़े गए। टीम ने मुआना, छाप्पर, बड़ौदा व अन्य कई गांवों का दौरा किया। इस दौरान टीम के साथ कृषि एवं बागवानी विभाग के अधिकारी भी साथ रहे।
जलीय खरपतवार बड़ी समस्या पैदा कर रहे
डीसी अमित खत्री ने कहा कि ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में जलीय खरपतवार तालाबों में पैदा होकर बड़ी समस्या पैदा कर रहे है। इसका स्थायी समाधान करना बहुत जरूरी है, इसलिए खरपतवार नाशक निदेशालय से डॉक्टरों की एक टीम को यहां बुलाया गया है, जो जिला के कई गांवों का दौरा करेगी। यह दौरा कार्यक्रम आज से ही शुरू हो रहा है। दौरे के दौरान टीम के विशेषज्ञों द्वारा जलीय खरपतवार के समाधान के लिए आवश्यक कार्यवाही भी की जाएगी तथा लोगों को इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए लोगों को सुझाव भी दिए जाएंगे।
चार गांवों के तालाबों में डाले गए कीट
कृषि, बागवानी, खरपतवार नाशक निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डा. सुशील कुमार तथा उप कृषि निदेशक सुरेंद्र मलिक ने जिला के छाप्पर, मुआना, धर्मगढ़, बड़ौद गांव के तालाबों पर जाकर जलीय खुम्भी को खाने वाले कीट छोड़े। ये कीट तेजी से प्रजनन करते है और अपनी संख्या शीघ्र बढ़ा लेते है। एक गांव के पांच से छह एकड़ तक के तालाब की जल खुम्बी का पांच से छह महीने में सफाया कर देते हैं। एक तालाब से दूसरे तालाब में कीट डाले जा सकते हैं। जिन जल खुम्बी के पौधों पर ये बीटल कीट होते हैं, उन पौधों को दूसरे तालाबों में डाला जा सकता है। इन पर इन कीटों के लारवा मौजूद होते हंै, जो तेजी से अपनी संख्या बढ़ा लेते हैं। उन्होंने गांव के सरपंचों को बताया कि कीट छोडऩे की प्रक्रिया बिल्कुल आसान है, इन्हें जल खुम्बी के पौधों पर छोड़ दें, वे स्वत: ही अपनी संख्या को तेजी से बढ़ाने लगेंगे।
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