Thursday, 21 September 2017

शारदीय नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के दर्शनों को उमड़ी भीड़


मंदिरों में लगी श्रद्धालुओं की लाइनें 
मां भगवती से मांगी परिवार कल्याण की मन्नतें 

जींद

शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन वीरवार सुबह मंदिरों में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा तथा मां शैलपुत्री के दर्शन कर सुखी जीवन की कामना की। अल सुबह से ही श्रद्धालुओं की शहर के सभी मंदिरों में लंबी लाइन लगनी शुरू हो गई थी। माता के दर्शनों के लिए महिलाओं की संख्या अधिक थी। नवरात्रों में मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को ध्यान में रख कर मंदिर कमेटी द्वारा सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए गए हैं। मंदिर प्रबंध समिति ने महिला तथा पुरूषों के लिए मंदिर प्रांगण में बेरीकेटिंग की गई है। इस दौरान मंन्दिर की भव्य सजावट की गई। वहीं प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टिï से पुलिस की चौकसी की गई थी वहीं मेला कमेटी के सदस्य भी पूरी सतर्कता से जुटे रहे। जयंती मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने कहा कि मंदिर कमेटी ने श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई समस्या न हो, इसके लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। नवरात्र के अंतिम दिन जयंती देवी मंदिर में जागरण तथा मेले का आयोजन किया जाएगा। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिर के अंदर रेलिंग तथा बाहर बेरीगेट्स लगाए गए हैं। असामाजिक तत्वों से निपटने के लिए पुलिस सुरक्षा का प्रबंध किया गया है। 

नवरात्रों में बढ़े सब्जी और फलों के भाव
नवरात्र पर्व शुरू होते ही सब्जी और फलों के भाव काफी बढ़ गए हैं। वीरवार को केला 50 से 60 रुपये प्रति दर्जन के भाव मिल रहा था, जो पहले 30 से 40 रुपये प्रति दर्जन था। इसी तरह सेब का भाव भी 60 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 70 से 80 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया है। नवरात्रों में ज्यादातर महिलाएं माता के व्रत रखती हैं और व्रत के दौरान वह केवल सब्जी आहार में लेती हैं। इसी के चलते सब्जी के दामों में भी वृद्धि हो रही है। 
कुटू के आटे पर स्वास्थ्य विभाग की नजर
माता के नवरात्रों में व्रत रखने वाले काफी लोग कुटू के आटे की रोटी खाते हैं। कई बार कुटू का पुराना आटा सेहत के लिए बेहद नुक्सानदायी साबित होता है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने करियाणा की दुकानों के संचालकों को यह निर्देश दिए हैं कि कुटू का पुराना आटा किसी भी कीमत पर नहीं बेचा जाए। ऐसा करते कोई पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। 
देवी मंदिर में भक्तों ने की मां शैलपुत्री की पूजा 
हनुमान मंदिर के निकट देवी मंदिर में मां शैलपुत्री का पूजन हर्षोल्लास के साथ किया गया। इसमें भवानीशंकर ने सपरिवार मां शैलपुत्री का पूजन किया। इस अनुष्ठान में मन्दिर के पुजारी पं राकेश शास्त्री ने बताया कि मां दुर्गा के नौ रुपों में पहला रुप है शैलपुत्री का। नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना के साथ देवी के इसी रुप की पूजा की जाती है। मां का यह रूप सौम्य और भक्तों को प्रसन्नता देने वाला है। ऐसी मान्यता है कि देवी पार्वती पूर्व जन्म में दक्ष प्रजापति की पुत्री सती थी। दक्ष के यज्ञ कुंड में जल कर देवी सती ने जब अपने प्राण त्याग दिए तब महादेव से पुन: मिलन के लिए उन्होंने पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रुप में जन्म लिया। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण ये हेमवती और उमा नाम से जानी जाती हैं। पर्वत को शैल भी कहा जाता है इसलिए माता का प्रथम रुप शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। नवरात्र के पहले दिन मां के शैलपुत्री रुप की पूजा की जाती है। भगवती का वाहन बैल है। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है। साथ ही इन्हें समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक माना जाता है । 

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