Wednesday, 27 September 2017

प्रदूषण को रोकने के लिए प्रशासन गंभीर

किसानों को फसल नहीं जलाने के लिए किया जाएगा प्रेरित
अवशेष जलाने वाले गांव की डीसी ने मांगी जानकारी

जींद
: जिले में कोई भी किसान धान या अन्य प्रकार की फसलों में आग लगाकर प्रदूषण नहीं फैला पाएगा। जिला प्रशासन ने प्रदूषण को काफी गंभीर समस्या मानते हुए इसको रोकने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। जिला प्रशासन द्वारा गांवों में जागरूकता अभियान लगाकर किसानों को फसल नहीं जलाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके अलावा डीसी ने ऐसे गांवों की सूची मांगी है, जहां पिछले 3 साल में किसानों ने ज्यादा फसलों में आग लगाई है।
फसल कटाई के बाद शेष रहने वाले अवशेषों और डंठलों के जलाने पर पूर्ण अंकुश लगाने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए एक विशेष चेतना अभियान प्रशासन शुरू कर दिया है। राजस्व विभाग, विकास एवं पंचायत, पुलिस, स्वास्थ्य, कृषि, पशुपालन, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, मार्कीट कमेटी मिलकर फसलों के अवशेष नहीं जलाने के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाएंगे। डीसी अमित खत्री ने बताया कि इस जागरूकता की मुहिम को प्रभावी तरीके से चलाने के लिए सभी विभागों के क्षेत्रीय कर्मियों को इस मुहिम को गांव स्तर तक ले जाने के लिए कहा गया है। कृषि विभाग द्वारा गांवों में लोगों को जागरूक करने के लिए चेतना शिविर आयोजित करने के लिए कहा गया है। विभाग द्वारा स्वच्छता समृद्वि कार्यक्रम आयोजित करवाए जाएंगे। इनमें ग्रामीणों को फसलों के अवशेष जलाने से होने वाली हानियों बारे जानकारी दी जाएगी। ग्राम सभा की बैठक में भी इस मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर प्रचारित किया जाएगा। 
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भूकंप से बचाव को लेकर होगा कार्यक्रम
डीसी अमित खत्री ने बताया कि 9 अक्तूबर से 13 अक्तूबर तक जिला में भूकंप से बचाव को लेकर चेतना सुरक्षा सप्ताह का आयोजन किया जाएगा। इसमें हिप्पा के प्रशिक्षण देने वाले कर्मियों को विशेष हिदायत दी गई है कि वह अपने जागरूकता के कार्यक्रम में फसलों के अवशेष जलाने से होने वाली हानियों को विशेष रूप से उजागर करे ताकि लोगों में चेताना लाई जा सके।
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पिछले 3 सालों में फसलों के अवशेष जलाने वाले गांवों को किया जाएगा चिह्नित
डीसी अमित खत्री ने बताया कि पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कर्मियों को कहा गया है कि वह जिला के ऐसे गांव जिनमें अधिक मात्रा में फसलों के अवशेष जलाए जाते हैं, उनको सूचीबद्ध किया जाए और उनमें फसल अवशेष जलाने से होने वाली हानियों को लेकर सघन चेतना अभियान चलाया जाएगा। इसी प्रकार औद्योगिक वैस्ट तथा ईंट भ_ों से उतपन्न होने वाले पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए नहर उद्योग तथा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को कार्य योजना तैयार करने के लिए निर्देश दिए गए है। 
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फसल अवशेषों से तुड़ी बनाने के लिए मशीन व अन्य उपकरणों पर सब्सिडी देने की योजना को लोकप्रिय बनाने 
फसल कटाई के बाद शेष बचने वाले डंठलों से पशुओं के चारे के लिए तुड़ी बनाई जा सकती है। तुड़ी बनाने के लिए जो मशीन या उपकरण उपलब्ध है, उन पर सब सीडि दी जाती है। इस योजना का किसानों में अधिकाधिक प्रचार प्रसार करने के लिए कृषि विभाग के उपनिदेशक को दायित्व सौंपा गया है। डीसी ने बताया कि डंठलों के जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है। पर्यावरण संरक्षण के लिए कई विभागों के अधिकारियों को सामूहिक जागरूकता की मुहिम चलाने के लिए निर्देश दिए गए है। 

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