469 केस समाधान के लिए रखे, 118 केसों का किया निपटारा
1.85 करोड़ 94 हजार से अधिक की सैटलमेंट राशि की हुई रिकवरी
जींद
जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत लगाई गई। जिसमें अधिकाधिक केसों का निपटारा करने के लिए नौ बैंच बनाए गए। इस लोक अदालत में परिलिटीगेशन के 118 तथा 1०17 पैंडिग केसों का निपटारा आपसी सहमति से किया गया। यह जानकारी जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी डा. अशोक कुमार ने शनिवार को दी। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने बताया कि यह लोक अदालत जिला एवं सत्र न्यायधीश सुभाष माहला के मार्गदर्शन में लगाई गई। इसमें परिलिटीगेशन के 469 केस समाधान के लिए रखे गए। इनमें से 118 केसों का निपटारा आपसी सहमति से कर लिया गया और इन केसों में एक करोड़ 85 लाख 94 हजार रुपये से अधिक की सैटलमेंट राशि की रिकवरी हुई। एनआई एक्ट के तहत 72 मामलों का निपटारा हुआ और एक करोड़ 28 लाख रुपये की सेटलमेंट राशि की रिकवरी हुई। इसी प्रकार बैंक रिकवरी के 336 केस समाधान के लिए रखे गए इनमें से 44 का निपटारा हुआ जिनमें 25 लाख 34 हजार रुपये की रिकवरी हुई। दूसरे आपराधिक वैवाहिक बीमा इत्यादि के 29 केस समाधान के लिए रखे गए जिनमें से दो का निपटारा हुआ और 32 लाख 6० हजार रुपये की रिकवरी हुई। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने बताया कि लोक अदालत में विभिन्न प्रकार के लम्बित 1739 केस समाधान के लिए रखे गए। जिनमें से 1०17 केसों का निपटारा आपसी सहमति से कर लिया गया। लम्बित केसों में एक करोड़ 14 हजार 87 हजार रुपये की सैटलमेंट राशि की रिकवरी हुई। उन्होंने बताया कि लम्बित केसों में आपराधिक किस्म के 36० केस समाधान के लिए रखे गए। जिनमें से 71 का समाधान कर लिया गया और 851० रूपए की रिकवरी हुई। एनआई एक्ट के अंडर सैक्शन 138 के 7० केस समाधान के लिए रखे गए। इनमें से 32 केसों का निपटारा कर लिया गया और 26 लाख 44 हजार रुपये की राशि की रिकवरी हुई। इसी प्रकार बैंक रिकवरी के 27 केसों में से तीन निपटा लिए गए और चार लाख 54 हजार रुपये की रिकवरी हुई। वाहन दुर्घटना अधिनियम के 84 मामलों में से 15 को निपटा लिया गया और 75 लाख 18 हजार रुपये की रिकवरी हुई। बिजली बिलों से सम्बंधित सभी 77० केसों का निपटारा हुआ। हिन्दू विवाह अधिनियम के 26 केसों में से 12 का निपटारा हुआ। राजस्व के ऐसे केस जो जिला कोर्ट व हाई कोर्ट में लम्बित थे ऐसे 291 केस समाधान के लिए रखे गए। इनमें से 54 केसों को सुलझा लिया गया और 28 हजार रूपए की रिकवरी हुई। दूसरे प्रकार के 111 केसों में से 6० का निपटारा हुआ और आठ लाख 34 हजार रुपये की रिकवरी हुई। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने बताया कि लोक अदालतें काफी कारगर सिद्ध हो रही है। इनमें दोनों पक्षों को न्याय मिल जाता है। इस प्रकार लोक अदालत में न किसी की जीत होती है और न किसी की हार। लोक अदालतें समाज में समरसता लाने की दिशा में कारगर साबित हो रही है।
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