पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाया कदम
आबादी के 5०० मीटर की परिधि में भी ईंट भट्ठे हो सकेंगे संचालित
फैसले से ईंट भट्ठों के मालिकों के चेहरों पर लौटी रोनक
जींद
ईंट भट्ठों की चिमनियों से उठने वाले धुएं से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण पर अंकु श लगाने के लिए राज्य सरकार द्वारा ईंट भट्ठों में जिग-जैग सिस्टम लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा ईंट भट्ठों के मालिकों को यह सिस्टम स्थापित करवाने के लिए नोटिस जारी कर दिए गए हैं और कहा गया है कि आगामी शीत कालीन सत्र में वहीं ईंट भट्ठों संचालित होगें जो यह सिस्टम ईंट भट्ठों में स्थापित करवाएंगे।
चिमनियों से उठने वाले धूंएसे बढ़ रहा प्रदूषण का स्तर
ईंट भट्ठों की चिमनियों से उडऩे वाल धुएं से पर्यावरण प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा था, जिसके परिणाम स्वरूप ईंट भट्ठों के आसपास रहने वाली आबादी को जानलेवा बीमारियां अपनी गिरफत में लें रही थी। लोगों को इन गंभीर बिमारियों से बचाने के लिए सरकार द्वारा ईंट भट्ठों में जिग- जैग एवं ऊंच्च तकनीकी युक्त सिस्टम लगवाना अनिवार्य कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि यह एक ऐसी तकनीक है जिसके तहत ईंट भट्ठों में ऐसे चैम्बर स्थापित किए जाएंगे जो धुएं एवं राख को बाहर पर्यावरण में नहीं आने देंगें, वे धुएं एवं राख को अपने अंदर ही सोख लेंगें।
ईंट भट्ठों व आमजन को होगा फायदा
इस तकनीक के स्थापित करवाने से ईंट भट्ठों मालिकों एवं आम जन दोनों को ही सीधा फायदा होगा। क्योंकि ईंट भट्ठों में जो चिमनियां 1०० फुट से अधिक ऊंचाई की बनाई जानी आवश्यक थी, अब यह ऊंचाई घट कर मात्र 6० फुट रह जाएगी। जो ईंट भट्ठों आबादी क्षेत्र के 5०० मीटर की परिधि में स्थापित थे और सरकार द्वारा उनके संचालन पर रोक लगा दी गई थी अब ऐसे ईंट भट्टों नई तकनीक लगवाकर दौबार भट्ठों शुरू कर सकेंगे।
जिग-जैग सिस्टम स्थापित करवाने में ईंट भट्ठों मालिकों ने दिखाई रूचि
जींद जिला में फिलहाल 154 ईंट भट्ठे संचालित हैं, जिनमें से 5० ईंट भट्ठों मालिकों ने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यालय में यह सिस्टम स्थापित करने के लिए आवेदन फार्म जमा करवा दिए हैं। यहां तक की कुछ ईंट भट्ठों मालिकों ने तो अपने यहां यह सिस्टम स्थापित करवाना भी शुरू कर दिया है। ईंट भट्ठों मालिक अपने ईंट भट्ठों में जिग-जैग सिस्टम के अलावा उच्च तकनीकी युक्त अन्य सिस्टम भी स्थापित करवा सकते हैं लेकिन इसके लिए पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सहमति प्रमाण पत्र लेना जरूरी है। सिस्टम स्थापित करवाने के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पुन: अनापति प्रमाण पत्र लेना जरूरी है। इसके बिना ईंट भट्ठों को संचालित नहीं किया जा सकता है।
अधिकारियों की संयुक्त टीमें करेंगी निरीक्षण
डीसी अमित खत्री ने बताया कि पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं वे संयुक्त रूप से दोनों विभागों की एक निरीक्षण टीम का गठन करें, जो ईंट भट्ठा मालिक आवेदन करते हंै कि उन्होंने ईंट भट्ठों ने यह सिस्टम स्थापित कर लिया है, उन ईंट भट्ठों का टीम द्वारा निरीक्षण किया जाए।
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