Thursday, 14 September 2017

मिश्रिम मछली पालन किसानों के लिए वरदान

मछली पालन से किसान कर सकते हैं अतिरिक्त आय
जिला में 577.1 हैक्टेयर क्षेत्र में मछली पालन किया 

जींद 
जिला में मिश्रित मछली पालन किसानों की आय उपार्जन का अच्छा जरिया बन सकता है। इस साल जिला में 817 हैक्टेयर जलक्षेत्र मछली पालन के अधीन लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें से 577.1 हैक्टेयर क्षेत्र में मछली पालन किया जा चुका है। जिला के किसानों को राहू, मिरगल, कतला ,कामनकार्प किस्म का मिश्रित  मछली पालन का धंधा शुरू करने की सलाह दी जा रही है।  
एक ही तालाब में कई प्रकार की मछली पाली जा सकती हैं 
तालाब के पानी में कुछ मछली उपरी सतह पर रहती हैं, कुछ गहरे पानी में तथा कुछ किस्म की मछली मध्यम पानी स्तर पर रहती है। इस प्रकार एक तालाब में ही तीन किस्म का मछली पालन का कार्य किया जा सकता है। जिला में लोगों का रूझान मछली पालन व्यवसाय की तरफ बढ़ रहा है। मछली पालन को लाभकारी सौदा बनाने के लिए मछली पालन विभाग द्वारा विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर किसानों को मछली पालन की ओर आकृष्ठ किया जा रहा है। जिला में किसानों को खेतीबाड़ी के साथ-साथ मछली पालन करने के लिये प्रेरित किया जा रहा है। जिला के किसानों को मछली पालन के लिये मछली बीज जिला में  उपलब्ध हो जाये, इसके लिये किसानों के निजी तालाबों में पर्याप्त मछली बीज तैयार करवाया जा रहा है। 
पंजाब के बाद हरियाणा दूसरे नंबर पर 
मछली पालन के मामले में पंजाब के बाद हरियाणा का नम्बर आता है। जिला के अनेक ऐसे किसान हैं जिन्होंने अव्वल किस्म की मछली पालन का कार्य शुरू किया है। पहले अच्छी नसल का मछली बीज बाहर से मंगवाना पड़ता था अब जिला के किसान ही पर्याप्त मछली बीज तैयार कर लेते हैं । जिला में 65 लाख से अधिक मछली बीज को स्टाक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अब तक 57.95 लाख मछली बीज का स्टाक किया जा चुका है।  मछली पैदा करने का वार्षिक लक्ष्य 832० टन का है। गत मास तक 3635 टन मछली पैदा की जा चुकी है। पंचायती तालाबों को पटटे पर देने से पंचायतों को भी आमदनी हो रही है। इस पटटे से प्राप्त राशि को गांव के विकास पर खर्च कियाजा रहा है। 
18.2 हैक्टेयर तालाब पट्टे पर दिए
अबतक 18.2 हैक्टेयर तालाब पट्टे पर दिए जा चुके है। नए तालाबों के विस्तार को भी प्राथमिकता दी जा रही है। इस साल 15  हैक्टेयर नए तालाब विस्तार की योजना है, अब तक 16 हैक्टेयर क्षेत्र में तालाबों का विस्तारीकरण किया जा चुका है। इसी प्रकार 45 हैक्टेयर जल क्षेत्र के पुराने तालाबों का नवीनीकरण किया जाएगा। इसके विरूद्ध 18 हैक्टेयर क्षेत्र में तालाबों का नवीनीकरण किया जा चुका है।   
मछली पालन से किसानों को होती अतिरिक्त आय 
जिला मत्स्य अधिकारी युद्धबीर सिंह सांगवान ने बताया कि मछली पालन को आमदनी का अच्छा साधन बनाने के लिए विभाग द्वारा प्रशिक्षण शिविरों का भी आयोजन किया जाता है जिनमें किसानों को मछली पालन से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी दी जाती है। 
क्या कहना है डीसी का 
डीसी अमित खत्री ने बताया कि बीस सूत्रीय कार्यक्रम के तहत अनुसूचित जाति के 9० परिवारों को  मछली पालन व्यवसाय के लिए प्रेरित किया जाना है। अब तक 19 मछली पालकों को प्रोत्साहित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि वार्षिक लक्ष्य  118 लाख मछली बीज तैयार करने का है। अब तक 1०० लाख मछली बीज तैयार किया जा चुका है। उन्होंने जिला के किसानों को सलाह दी है कि वे खेती को साथ-साथ प्रथम चरण में छोटे स्तर पर मछली पालन करें तथा धीरे-धीरे इस काम को बड़े पैमाने पर किया जा सकता है। 

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