मेले में श्रद्धालुओं ने की जमकर खरीददारी
मंदिर परिसर में आयोजित जागरण में झूमे श्रद्धालु
जींद : शारदीय नवरात्र की सप्तमी के मौकेपर जयंती देवी मंदिर में बुधवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मां भगवती की पूजा अर्चना कर मन्नतें मांगी। जयंती देवी मंदिर में मां भगवती के दर्शन करने के लिए बुधवार को पूरे दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मंगलवार की रात मंदिर में मां भगवती का जागरण भी किया गया इसमें गायकों ने मां भगवती का गुणगान करके श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया।
जयंती देवी मंदिर में बुधवार को अल सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी लाइनें लगनी शुरू हो गई थी। दिन निकलते निकलते मंदिर परिसर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु जमा हो गए तथा चारों तरफ मां भगवती के जयकारें गुंजने लगे। श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण मंदिर के सामने कई बार जाम की स्थित बन गई। इस मौके पर मेले का भी आयोजन किया गया। इसमें सैकड़ों की संख्या में दुकाने लगाई गई थी। इन दुकानों पर महिलाओं तथा बच्चों ने जमकर खरीददारी की। श्रद्धालुओं को मां भगवती के दर्शन के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ा। देवी के दर्शन के लिए दूर दराज से महिलाओं की टोलियां भजन गाते हुए दर्शन के लिए आए। मां भगवती के दर्शनों के लिए उमड़ी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस तथा मंदिर प्रबंध समिति के पदाधिकारियों को अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ी।
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पटियाला चौक पर रही पूरा दिन जाम जैसी स्थिति
शारदीय नवरात्र की सप्तमी पर जयंती देवी मंदिर के बाहर लगे मेले के कारण पटियाला चौक पर पूरा दिन जाम जैसी स्थिति लगी रही। मंदिर के बाहर सजी दुकानों पर श्रद्धालुओं ने जमकर खरीददारी की। श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते सडक़ के दोनों और वाहनों की लंबी-लंबी कतारें लगी रही। इससे वाहन चालकों को अच्छी खासी परेशानी का सामना करना पड़ा।
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मां जयंती हर श्रद्धालु की करती है मंशा पूरी
जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि जयंती देवी मंदिर निर्माण से अनेक कथाएं जुड़ी हैं। सागर मंथन के दौरान जब असुरों ने देवताओं से अमृत कलश छीन लिया था तो राजा जयंत ने अमृत कलश लेने के लिए यहां मां जयंती की मूर्ति स्थापित का अराधना की थी। मां जयंती के आर्शीवाद से ही देवताओं ने असुरों पर विजय पाई और अमृत कलश वापस छीन लिया। मंदिर निर्माण की दूसरी किदवंती के बारे में उन्होंने बताया कि जब पांडवों व कौरवों के बीच कुरूक्षेत्र युद्ध का ऐलान हुआ तो भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों से कहा कि जब तक जयंती देवी तीर्थ में मां जयंती की पूजा नहीं की जाती तब तक कौरवों पर विजय पाना असंभव है। श्री कृष्ण के कहे अनुसार पांडवों ने यहां आकर मां जयंती की पूजा की और कुरूक्षेत्र युद्ध जीत लिया। उन्होंने बताया कि पहले जींद को जयंतीपुरी के नाम से जाना जाता था। बाद में मां जयंती के नाम से ही इसका नाम जींद पड़ा। उन्होंने बताया कि मंदिर के निकट ही सरोवर भी बना हुआ है जहां नहाने से चंद्रमा को कोढ़ दूर हुआ था। जो भी भक्त सच्चे मन से यहां मां जयंती की पूजा अर्चना करता है, मां जयंती उसकी हर मनोकामना पूरी करती है।
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