गांव में तालाब के निकट पौधे लगा पशु पालकों को दी राहत
तालाब के पास नहीं था एक भी वृक्ष
जींददिल में अगर जुनून हो तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। ऐसा ही कुछ जुनून गांव घोघडिय़ा निवासी 30 वर्षीय राकेश आर्य को भी है। गांव के तालाब में जब पशु पालक अपने पशुओं को पानी पिलाने के लिए जाते तो तालाब के पास कोई पेड़ न होने के चलते उन्हें छांव के लिए दूर बैठ कर सुस्ताना पड़ता लेकिन इस तरफ किसी ने भी ध्यान नहीं दिया और गांव स्थित तालाब के निकट वर्षों यूं ही पशु पालक छांव के लिए जगह-जगह भटकते रहते। पशु पालकों की यही टीस राकेश आर्य से देखी नहीं गई और लगभग आठ वर्ष पहले उन्होंने अपनी कमाई से गांव के तालाब के निकट ही आठ पौधों को लगाया और प्रण लिया कि जब तक ये पौधे वृक्ष नहीं बन जाते तब तक उनकी सेवा करेंगे। राकेश ने अपने द्वारा लगाए गए इन पौधों की दिन-रात सेवा की और आज ये पौधे इस लायक हो गए हैं कि पशु पालक इनके नीचे बैठ कर छांव ले सकते हैं।
गांव के युवाओं के लिए आदर्श हैं राकेश
गांव घोघडिय़ा निवासी राकेश आर्य गांव के युवाओं के लिए अब एक आदर्श बन गए हैं। उनकी एक छोटी से टीस ने गांव को हरा-भरा बनाने की मुहिम दे दी और गांव में रहने वाले युवा भी समय-समय पर गांव में पौधा रोपण अभियान चला कर पौधे तो लगाते ही हैं साथ ही उनकी देखभाल का भी प्रण लेते हैं। गांव के लोगों का कहना है कि राकेश के पौधा रोपण कार्य को गांव के लोगों ने भी अपनाया है और अब वो भी पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने की मुहिम में अपनी आहूति दे रहे हैं। इसके साथ ही सामाजिक बुराइयों को दूर करने में भी युवा अहम भूमिका निभा रहे हैं।
पौधे हमारे लिए हैं पे्ररणा स्त्रोत
राकेश आर्य का मानना है कि हमें अपने जीवन में वृक्षों से कुछ सीख लेनी चाहिए। जिस प्रकार वृक्ष बिना किसी स्वार्थ के फल व छाया प्रदान करते है। उसी प्रकार हमें भी निस्वार्थ होकर अपने जीवन को दूसरों के प्रति समर्पित कर देना चाहिए ताकि आने वाले समय हमें किसी प्रकार का कोई प्रश्न न कर सके। जिसका जवाब देना हमारे लिये मुश्किल हो जाए।
हर व्यक्ति को पर्यावरण बचाने में अपना सहयोग देना चाहिए : राकेश
राकेश आर्य ने बताया कि गांव स्थित तालाब के पास जब पशु पालक आते तो उन्हें यहां पेड़ों की छांव नहीं मिल पाती थी। उन्होंने यहां आठ पौधों से शुरूआत की और उनकी दिन-रात सेवा की। इसके लिए उन्होंने किसी से कुछ भी आर्थिक सहायता नहीं ली। उनके द्वारा लगाए गए पौधे अब वृक्ष बनने जा रहे हैं और तालाब पर आने वाले लोगों को छांव उपलब्ध करवा रहे हैं। उन्होंने आठ साल पहले पांच बरगद के, एक नीम का, एक पीपल का और एक डेग का पौधा लगाया था। अब उन्होंने तालाब के दूसरी तरफ भी 20 पौधे लगाए हैं। अब वो पुराने पौधों के साथ-साथ इन पौधों की सेवा करने में लगे हैं। एक दिन ऐसा आएगा जब तालाब के चारों तरफ हरियाली ही हरियाली होगी और यहां आने वाले ग्रामीणों को इन पौधों से लाभ मिलेगा।
No comments:
Post a Comment