जींद।
शिक्षक का दर्जा समाज में हमेशा से ही पूजनीय रहा है। कोई उसे गुरु कहता है, कोई शिक्षक कहता है, कोई आचार्य कहता है तो कोई अध्यापक या टीचर कहता है। ये सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को चित्रित करते हैं जो सभी को ज्ञान देता है, सिखाता है और जिसका योगदान किसी भी देश या राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करना है। सही मायनो में कहा जाये तो एक शिक्षक ही अपने विद्यार्थी का जीवन गढ़ता है। शिक्षक ही समाज की आधारशिला है। एक शिक्षक अपने जीवन के अन्त तक मार्गदर्शक की भूमिका अदा करता है और समाज को राह दिखाता रहता है तभी शिक्षक को समाज में उच्च दर्जा दिया जाता है। अध्यापक दिवस पर कुछ अध्यापकों ने हरिभूमि संवाददाता से विचार सांझा किए।
विद्यार्थी को हर मोड़ पर राह दिखाता है शिक्षक : सुनीता नारंग
महर्षि दयानंद पब्लिक स्कू ल की प्राचार्य सुनीता नारंग ने कहा कि माता-पिता बच्चे को जन्म देते हैं। उनका स्थान कोई नहीं ले सकता, उनका कर्ज हम किसी भी रूप में नहीं उतार सकते हें लेकिन शिक्षक ही हैं जिन्हें हमारी भारतीय संस्कृति में माता-पिता के बराबर दर्जा दिया जाता है क्योंकि शिक्षक ही हमें समाज में रहने योग्य बनाता है। इसलिए ही शिक्षक को समाज का शिल्पकार कहा जाता है। गुरु या शिक्षक का संबंध केवल विद्यार्थी को शिक्षा देने से ही नहीं होता बल्कि वह अपने विद्यार्थी को हर मोड़ पर उसको राह दिखाता है और उसका हाथ थामने के लिए हमेशा तैयार रहता है। विद्यार्थी के मन में उमड़े हर सवाल का जवाब देता है और विद्यार्थी को सही सुझाव देता है और जीवन में आगे बढऩे के लिए सदा प्रेरित करता है।
शिक्षक ही अपने विद्यार्थी को आगे बढऩे के लिए प्रेरित करता है : सुदेश
गांव दनौदा स्थित संत नेकी राम की प्राचार्य सुदेश चहल ने कहा कि एक शिक्षक या गुरु द्वारा अपने विद्यार्थी को स्कूल में जो सिखाया जाता है या जैसा वो सीखता है वे वैसा ही व्यवहार करते हैं। उनकी मानसिकता भी कुछ वैसी ही बन जाती है जैसा वह अपने आसपास होता देखते हैं। इसलिए एक शिक्षक या गुरु ही अपने विद्यार्थी को आगे बढऩे के लिए प्रेरित करता है। सफल जीवन के लिए शिक्षा बहुत उपयोगी है जो हमें गुरु द्वारा प्रदान की जाती है। विश्व में केवल भारत ही ऐसा देश है जहां पर शिक्षक अपने शिक्षार्थी को ज्ञान देने के साथ-साथ गुणवत्तायुक्त शिक्षा भी देते हैं जोकि एक विद्यार्थी में उच्च मूल्य स्थापित करने में बहुत उपयोगी है। जब अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश का राष्ट्रपति आता है तो वह भी भारत की गुणवत्तायुक्त शिक्षा की तारीफ करता है।
शिक्षा ही शिक्षार्थी के सर्वांगीण विकास का मूल आधार : रमेश वत्स
चिराग पब्लिक स्कूल के प्राचार्य रमेश ने कहा कि एक शिक्षक द्वारा दी गई शिक्षा ही शिक्षार्थी के सर्वांगीण विकास का मूल आधार है। शिक्षकों द्वारा प्रारंभ से ही पाठ्यक्रम के साथ ही साथ जीवन मूल्यों की शिक्षा भी दी जाती है। शिक्षा हमें ज्ञान, विनम्रता, व्यवहार कुशलता और योग्यता प्रदान करती है। शिक्षक को ईश्वर तुल्य माना जाता है। आज भी बहुत से शिक्षक शिक्षकीय आदर्शों पर चल कर एक आदर्श मानव समाज की स्थापना में अपनी महती भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं।
शिक्षार्थी के सफ ल जीवन की नींव रखते है शिक्षक : भरपूर सिंह
सरकारी विद्यालय राजगढ़ ढोबी में कार्यरत भरपूर सिंह ने कहा कि गुरु एवं शिक्षक ही वो हैं जो एक शिक्षार्थी में उचित आदर्शों की स्थापना करते हैं और सही मार्ग दिखाते हैं। एक शिक्षार्थी को अपने शिक्षक या गुरु प्रति सदा आदर और कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए। किसी भी राष्ट्र का भविष्य निर्माता कहे जाने वाले शिक्षक का महत्व यहीं समाप्त नहीं होता क्योंकि वह ना सिर्फ हमको सही आदर्श मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं बल्कि प्रत्येक शिक्षार्थी के सफ ल जीवन की नींव भी उन्हीं के हाथों द्वारा रखी जाती है।
शिक्षक बेकार शिक्षा नीति को भी अच्छी शिक्षा नीति में तब्दील कर देता ह
श्री श्याम बाल वाटिका ग्रुप ऑफ एजुकेशन की प्राचार्य ज्योति अरोड़ा ने कहा कि किसी भी राष्ट्र का आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास उस देश की शिक्षा पर निर्भर करता है। अगर राष्ट्र की शिक्षा नीति अच्छी है तो उस देश को आगे बढऩे से कोई रोक नहीं सकता अगर राष्ट्र की शिक्षा नीति अच्छी नहीं होगी तो वहां की प्रतिभा दब कर रह जाएगी बेशक किसी भी राष्ट्र की शिक्षा नीति बेकार हो लेकिन एक शिक्षक बेकार शिक्षा नीति को भी अच्छी शिक्षा नीति में तबदील कर देता है। शिक्षा के अनेक आयाम हैं जो किसी भी देश के विकास में शिक्षा के महत्व को अधोरेखांकित करते हैं।
शिक्षक का दर्जा समाज में हमेशा से ही पूजनीय रहा है। कोई उसे गुरु कहता है, कोई शिक्षक कहता है, कोई आचार्य कहता है तो कोई अध्यापक या टीचर कहता है। ये सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को चित्रित करते हैं जो सभी को ज्ञान देता है, सिखाता है और जिसका योगदान किसी भी देश या राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करना है। सही मायनो में कहा जाये तो एक शिक्षक ही अपने विद्यार्थी का जीवन गढ़ता है। शिक्षक ही समाज की आधारशिला है। एक शिक्षक अपने जीवन के अन्त तक मार्गदर्शक की भूमिका अदा करता है और समाज को राह दिखाता रहता है तभी शिक्षक को समाज में उच्च दर्जा दिया जाता है। अध्यापक दिवस पर कुछ अध्यापकों ने हरिभूमि संवाददाता से विचार सांझा किए।
विद्यार्थी को हर मोड़ पर राह दिखाता है शिक्षक : सुनीता नारंग
महर्षि दयानंद पब्लिक स्कू ल की प्राचार्य सुनीता नारंग ने कहा कि माता-पिता बच्चे को जन्म देते हैं। उनका स्थान कोई नहीं ले सकता, उनका कर्ज हम किसी भी रूप में नहीं उतार सकते हें लेकिन शिक्षक ही हैं जिन्हें हमारी भारतीय संस्कृति में माता-पिता के बराबर दर्जा दिया जाता है क्योंकि शिक्षक ही हमें समाज में रहने योग्य बनाता है। इसलिए ही शिक्षक को समाज का शिल्पकार कहा जाता है। गुरु या शिक्षक का संबंध केवल विद्यार्थी को शिक्षा देने से ही नहीं होता बल्कि वह अपने विद्यार्थी को हर मोड़ पर उसको राह दिखाता है और उसका हाथ थामने के लिए हमेशा तैयार रहता है। विद्यार्थी के मन में उमड़े हर सवाल का जवाब देता है और विद्यार्थी को सही सुझाव देता है और जीवन में आगे बढऩे के लिए सदा प्रेरित करता है।
शिक्षक ही अपने विद्यार्थी को आगे बढऩे के लिए प्रेरित करता है : सुदेश
गांव दनौदा स्थित संत नेकी राम की प्राचार्य सुदेश चहल ने कहा कि एक शिक्षक या गुरु द्वारा अपने विद्यार्थी को स्कूल में जो सिखाया जाता है या जैसा वो सीखता है वे वैसा ही व्यवहार करते हैं। उनकी मानसिकता भी कुछ वैसी ही बन जाती है जैसा वह अपने आसपास होता देखते हैं। इसलिए एक शिक्षक या गुरु ही अपने विद्यार्थी को आगे बढऩे के लिए प्रेरित करता है। सफल जीवन के लिए शिक्षा बहुत उपयोगी है जो हमें गुरु द्वारा प्रदान की जाती है। विश्व में केवल भारत ही ऐसा देश है जहां पर शिक्षक अपने शिक्षार्थी को ज्ञान देने के साथ-साथ गुणवत्तायुक्त शिक्षा भी देते हैं जोकि एक विद्यार्थी में उच्च मूल्य स्थापित करने में बहुत उपयोगी है। जब अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश का राष्ट्रपति आता है तो वह भी भारत की गुणवत्तायुक्त शिक्षा की तारीफ करता है।
शिक्षा ही शिक्षार्थी के सर्वांगीण विकास का मूल आधार : रमेश वत्स
चिराग पब्लिक स्कूल के प्राचार्य रमेश ने कहा कि एक शिक्षक द्वारा दी गई शिक्षा ही शिक्षार्थी के सर्वांगीण विकास का मूल आधार है। शिक्षकों द्वारा प्रारंभ से ही पाठ्यक्रम के साथ ही साथ जीवन मूल्यों की शिक्षा भी दी जाती है। शिक्षा हमें ज्ञान, विनम्रता, व्यवहार कुशलता और योग्यता प्रदान करती है। शिक्षक को ईश्वर तुल्य माना जाता है। आज भी बहुत से शिक्षक शिक्षकीय आदर्शों पर चल कर एक आदर्श मानव समाज की स्थापना में अपनी महती भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं।
शिक्षार्थी के सफ ल जीवन की नींव रखते है शिक्षक : भरपूर सिंह
सरकारी विद्यालय राजगढ़ ढोबी में कार्यरत भरपूर सिंह ने कहा कि गुरु एवं शिक्षक ही वो हैं जो एक शिक्षार्थी में उचित आदर्शों की स्थापना करते हैं और सही मार्ग दिखाते हैं। एक शिक्षार्थी को अपने शिक्षक या गुरु प्रति सदा आदर और कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए। किसी भी राष्ट्र का भविष्य निर्माता कहे जाने वाले शिक्षक का महत्व यहीं समाप्त नहीं होता क्योंकि वह ना सिर्फ हमको सही आदर्श मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं बल्कि प्रत्येक शिक्षार्थी के सफ ल जीवन की नींव भी उन्हीं के हाथों द्वारा रखी जाती है।
शिक्षक बेकार शिक्षा नीति को भी अच्छी शिक्षा नीति में तब्दील कर देता ह
श्री श्याम बाल वाटिका ग्रुप ऑफ एजुकेशन की प्राचार्य ज्योति अरोड़ा ने कहा कि किसी भी राष्ट्र का आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास उस देश की शिक्षा पर निर्भर करता है। अगर राष्ट्र की शिक्षा नीति अच्छी है तो उस देश को आगे बढऩे से कोई रोक नहीं सकता अगर राष्ट्र की शिक्षा नीति अच्छी नहीं होगी तो वहां की प्रतिभा दब कर रह जाएगी बेशक किसी भी राष्ट्र की शिक्षा नीति बेकार हो लेकिन एक शिक्षक बेकार शिक्षा नीति को भी अच्छी शिक्षा नीति में तबदील कर देता है। शिक्षा के अनेक आयाम हैं जो किसी भी देश के विकास में शिक्षा के महत्व को अधोरेखांकित करते हैं।
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