नाटक के माध्यम से वर्तमान सरकारी परिस्थतियों पर किए कटाक्ष
जींद, 28 सितम्बर (का.प्र.) : एक्टिव थियेटर एंड वैलफेयर सोसायटी द्वारा हरियाणा कला परिषद और हरियाणा संस्कृत अकादमी पंचकूला के तत्वावधान में चल रहे 11 दिवसीय नवरस राष्ट्रीय नाट्य उत्सव के आठवें दिन मैं भगत सिंह नाटक का मंचन रंगकर्मी कीर्ति किरपाल के निर्देशन में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ उद्योगपति दीवान बाल कृष्ण, सीएमओ डा. संजय दहिया, समाजसेवी नरेश सिंगला, अजेश जैन, डा. सुरेश जैन ने द्वीप प्रज्जवलित करके किया। नाटक चाचे की टी स्टॉल से शुरू होता है जहां स्टॉल पर कुछ व्यक्ति आपस में बात रहे हैं कि अब हमारे मकान और यह जगह तोड़ कर यहां फैक्टरी बनाई जाएगी। हम गरीबों के बारें में कोई नहीं सोचता। यहां चाय की दुकान पर एक बच्चा भी काम करता है, जिसको एक क्रांतिकारी भगत सिंह की कुछ पुस्तकें देता है। वह बच्चा उन पुस्तकों पढ़ता है और अपने आप को भगत सिंह जैसा महसूस करता है और अपने क्रांतिकारी विचार रखता है तथा लोगों से आह्वान करता है कि आज हमारे सामने अंग्रेज नहीं हैं लेकिन उनकी नस्ल में यह काले लोग हमारा खून चूस रहे हैं। नाटक में एक किसान परिवार दिखाया है, जिसकी पहले फसल सूखे से मर जाती है, फिर ज्यादा बारिश के कारण बर्बाद हो जाती है। इससे किसान परिवार कर्जे के नीचे आ जाता है और सारा परिवार इक_ा होकर आत्महत्या कर लेता है। यह सारी घटनाएं छोटा भगत सिंह आज के दौर में देख रहा है और एक दिन सपने में भगत सिंह उसे मिलने आता है। इसी बीच जब भगत सिंह मंच पर आता है तो उनके आते ही दर्शकों से भरी रंगशाला में इंकलाब जिंदाबाद के नारों से गुंज उठती हैं। छोटा भगत सिंह उनसे पूछता है कि तुम आतंकवादी थे या तुम गोली चलाने में विश्वास करते थे। तब भगत सिंह कहता है कि आदमी की कीमत मेरे से बेहतर कोई नहीं जानता। ज
ब हमनें असेम्बली हॉल में बम फैंका, किसी भी इंसान को नुक्सान नहीं हुआ था। हमने वो बम सिर्फ इसलिए फैंका कि अंग्रेजों की ये बहरी सरकार हमारी बात सुनें। मैं इंसानों से बहुत प्यार करता हूं। मैं कहता हूं कि एक इंसान दूसरे इंसान का शोषण ना करें सभी इंसान बराबर हों तथा सभी को जीने का अधिकार हो। आज ग्लोबलाइजेशन के दौर ने आम इंसान की कीमत क्या है उसकी जगह क्या है। ऐसे सवाल खड़े किए हैं इस नाटक ने। नाटक के अंत में सभी चरित्र कहते हैं कि मैं भगत सिंह हूं मैं भगत सिंह हूं मैं भगत सिंह हूं। मुख्य अतिथि दीवान बाल कृष्ण ने कहा कि यह संस्था रंगमंच के क्षेत्र में बड़ा काम कर रही है। डा. संजय दहिया ने कहा कि यह नाटक मेरे जीवन के लिये बहुत प्ररेणादायक रहा है। इस मौके पर डा. राजेश जैन, डीसी विकास, मंगतराम शास्त्री सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।
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