मां जयंती की स्वर्ण मूर्ति वर्षों से है सरकारी खजाने में मौजूद
श्रद्धालुओं ने मूर्ति के दर्शनों के लिए डीसी को सौंपा ज्ञापन
जींदजींद के मध्य स्थित ऐतिहासिक जयंती देवी मंदिर में मां जयंती की स्वर्ण मूर्ति को फिर से मंदिर में स्थापित किए जाने की मांग को लेकर डीसी विनय सिंह को ज्ञापन सौंपा। डीसी को ज्ञापन सौंपने आए श्रद्धालु धन्नाराम कौशिक, राजेश कौशिक, सुनील शांडिल्य, राजकुमार, मास्टर सोमबीर, मास्टर बिरखा राम, डॉ. दिनेश, फूल कुमार, महावीर जैन, सुरेश गर्ग, विनोद गुप्ता ने कहा कि बरसों से मां जयंती देवी की सोने की प्रतिमा के दर्शन नहीं हो पाएं हैं। श्रद्धालु मां के दीदार को तरस गए है। इसलिए फैसला लिया गया है कि इसके लिए जल्द ही महामहिम राज्यपाल और जींद डीसी अमित खत्री को मांग पत्र सौंपा जाएगा ताकि नवरात्रों के दिनों में मां की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित करवाया जा सके। अगर प्रशासन सुरक्षा को लेकर शंका में तो उसे उस अनुपम प्रतिमा के लिए प्रबंध करने चाहिए। भले ही वह एक दिन के लिए स्थापित हो। श्रद्धालुओं ने कहा कि बरसों पहलेे मंदिर से मां जयंती देवी की सोने की प्रतिमा और चांदी का छत्र तथा उसके श्रृंगार को खजाना कार्यालय में रखवा दिया गया था। मां के सोने के रूप का दीदार करने के लिए अब लोगों की आंखें तरस गई हैं और मांग उठने लगी है कि प्रशासन सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध करें तथा मां की सोने की प्रतिमा को पुन: स्थापित करें।
पहले श्रद्धालु करते थे प्रतिमा की प्ररिक्रमा
बताया जा रहा है कि बरसों पहले नवरात्रों के दौरान जयंता देवी की सोने की प्रतिमा को लेकर श्रद्धालु शहर में परिक्रमा करते थे। लगभग तीन सेर (किलो) की प्रतिमा को लेकर परिक्रमा के दौरान हजारों श्रद्धालु मां के जयकारों से निहाल होते थे। प्रशासन ने सुरक्षा के दृष्टिगत इसे खजाना कार्यालय में रखवा दिया। अब उस प्रतिमा को देखे हुए अरसा हो गया है। नवरात्रों पर भी उसे मंदिर में स्थापित नहीं किया जाता। धन्नाराम कौशिक और राजेश शर्मा ने बताया कि मंदिर में सप्तमी का मेला आदिकाल से लगता आ रहा है। इस मेलेे में जींद तथा आसपास से हजारों श्रद्धालु आते है तथा मां से मन्नतें मांगते हैं। मां के दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं की मुरादें पूरी होती आई हैं। इस मंदिर के लिए सोने की अद्भूत मां की प्रतिमा को सरकारी खजाने में भेजने के पीछे कोई विवाद है या फिर दूसरा कारण, यह भी जांच का विषय है। इस रहस्य से पर्दा हटाने के लिए ही श्रद्धालु सक्रिय हो चले है।
मंदिर से पहले भी चोरी हो चुकी हैं मूर्तियां
महाभारत कालीन इस मंदिर में लगभग ढाई साल पहले चोरी की घटना हुई थी। चोरी की इस घटना में चोर मंदिर में रखी हुई 150 साल पुरानी मां भगवती की पत्थर की मूर्ति और पीतल से बनी हुई महिषासुर मर्धनी की मूर्ति को उड़ा ले गए थे। आज तक दुर्लभ मूर्तियों की चोरी का राज रहस्य बना हुआ है। पुलिस दुर्लभ मूर्तियों की चोरी को अंजाम देने वाले दुस्साहसी लोगों तक पहुंच नहीं पाई है। इस बारे में मंदिर के पुजारी और श्रद्धालु कई बार पुलिस प्रशासन से आवाज भी बुलंद कर चुके है। किंतु ना मूर्तियां हाथ लगी और ना ही वह चोरों को तलाश पाई। मंदिर की देखरेख का जिम्मा जिला प्रशासन के पास है। किंतु विडम्बना यह है कि महाभारत कालीन मंदिर के साथ जो पार्क बनी हुई है, वहां शाम ढलते ही अंधेरे का साम्राज्य हो जाता है। इसलिए देर शाम यहां आने वाले श्रद्धालु भय के साये में ही मां की आराधना करने और उसके दर्शन के लिए आते हैं।
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