सीएम विंडो पर लगी शिकायत तो दे दिए 16 नंबरछात्रा का एक साल हुआ चौपट
जुलानागांव बराड़ खेड़ा की छात्रा आशा ने मई 2016 को जींद के राजकीय महिला महाविद्यालय में बीए द्वितीय की परीक्षा दी थी। जब परीक्षा का परिणाम आया तो कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय ने छात्रा को एक पेपर में अनुपस्थित दिखाकर फेल कर दिया। जब छात्रा ने इसकी शिकायत सीएम विंडो को दी तो विश्वविद्यालय ने उसकी मार्कसीट पर 16 अंक देकर दूसरी मार्कसीट जारी कर दी। लेकिन इस दौरान छात्रा ने बीए तृतीय की परीक्षा भी पास कर ली। अब छात्रा का रि-अपिरिंयग का समय भी जा चुका है। ऐसे में अब छात्रा को दोबारा से बीए द्वितीय की परीक्षा देनी होगी। विश्वद्यालय की गलती से छात्रा का कैरियर चौपट होने के कगार पर है। अब फिर से मामले की जांच सही ढंग से करने के लिए छात्रा ने सीएम विंडो में शिकायत दर्ज की है। सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं योजना को धक्का लगा है। जानकारी के अनुसार बराड़ खेड़ा गांव की आशा जींद के राजकीय महिला कालेज में बीए की परीक्षा पास करने के लिए एडमिशन लिया। वर्ष 2016 में आशा ने बीए द्वितीय की परीक्षा दी। परीक्षा परिणाम आया तो आशा को एक विषय में गैरहाजिर दिखाकर फेल कर दिया गया। जिस पेपर में गैर हाजिर दिखाया गया था उसकी छात्रा ने परीक्षा दी थी। पेपर देने के दौरान हस्ताक्षर, हाजिर आदि कागजात लगाकर इसकी शिकायत सीएम विंडो में लगा दी। इसकी जांच हुई जांच के बाद छात्रा को विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि 15 दिन के अंदर उसकी मार्कशीट घर आ जाएगी। चार माह के बाद मार्कसीट घर आई जिस विषय में गैरहाजिर दिखाया गया था उस विषय में 16 नंबर दे दिए गए। जांच व मार्कसीट घर आने के दौरान एक वर्ष का समय लग गया और इसी दौरान छात्रा ने बीए तृतीय की परीक्षा भी पास कर ली। अब छात्रा का रि-अपिरियंग का समय भी जा चुका है और बीए तृतीय भी उसे पास कर ली है। अब छात्रा को फिर से बीए द्वितीय नए सिरे से पास करनी होगी। छात्रा ने बताया कि जिस विषय में उसे गैरहाजिर दिखाकर 16 नंबर दिए गए है उस विषय का पेपर भी अच्छा बना हुआ था। उसमें फेल होने की कोई गुंजाईश ही नहीं थी। विश्वविद्यालय की गलती के कारण उसका कैरियर ही चौपट हो गया है। अब उससे फिर से बीए द्वितीय की परीक्षा पास करनी होगी। छात्रा ने मामले की जांच करने व दोषियों को सजा देने के लिए फिर से सीएम विंडो में शिकायत दी है। छात्रा ने कहा कि कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय की लापरवाही के चलते उसका एक साल बर्बाद हो गया। वह कहीं पर भी दाखिला लेने से महरूम रह गई।
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