कात्यायनी देवी के दर्शन को उमड़ी भीड़
श्रद्धालुओं ने मां कात्यायनी की पूजा कर मांगी मन्नतें
जींद : शारदीय नवरात्र कीछठ पर मंगलवार को सोमनाथ मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवती दुर्गा तथा मां कात्यायनी के दर्शन कर सुखी जीवन की कामना की। छठे नवरात्र पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मध्यरात्रि से ही सोमनाथ मंदिर में जमा होने शुरू हो गए। नवरात्र के छठ के दिन कात्यायनी देवी के दर्शन का विशेष महत्व समझा जाता है। सोमनाथ मंदिर में देवी भगवती के दर्शन के श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी लाइनें लग गई। इस मौके पर मंदिर में उमडऩे वाली भीड़ को ध्यान में रखकर सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए गए थे। मंदिर प्रबंध समिति ने भीड़ को देखते हुए महिला तथा पुरूषों के लिए मंदिर प्रांगण में बेरीकेटिंग की थी। देवी भगवती के दर्शन के लिए महिलाओं की संख्या अधिक थी। इस दौरान मंदिर की भव्य सजावट की गई। भीड़ को देखते हुए श्रद्धालुओं के प्रवेश व निकास के लिए अलग-अलग व्यवस्था करनी पड़ी। वहीं प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टिï से पुलिस की चौकसी की गई थी वहीं मेला कमेटी के सदस्य भी पूरी सतर्कता से जुटे रहे।
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श्रद्धालुओं ने की जमकर खरीददारी
नवरात्र की छठ पर सोमनाथ मंदिर के बाद मेले का आयोजन किया गया। इसमें श्रद्धालुओं ने जमकर खरीददारी की। महिलाओं ने जहां घर के साजो सामान खरीदा वहीं बच्चों ने अपने लिए खिलौने खरीदे। पूरा दिन मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।
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यहां पर हर मन्नत होती है पूरी
श्री सोमनाथ मंशा देवी मंदिर में जो भी भक्त अपनी मन्नत लेकर जाता है, उसकी मन्नत हमेशा पूरी हुई है। ऐसा हम नहीं कहते बल्कि यहां आने वाले सैकड़ों भक्त कहते हैं। बताते हैं कि यह मंदिर द्वापर काल से यहां पर है। यहां पर श्रीकृष्ण ने पूजा अर्चना की थी और सोम तीर्थ की स्थापना की थी। इस तीर्थ में स्नान करने से अनेक व्याधियां दूर होते थे। चर्चा तो यहां तक है कि कोढ़ी का भी कोढ़ दूर होता था। मंदिर के आस-पास प्राचीन भवन बने हुए हैं। इसके अलावा मंदिर के पास में तालाब आज भी स्थापित है। इस तालाब का काफी महत्व है। एक समय था, जब आस-पास क्षेत्र से लोग यहां पर कपड़े धोने के लिए आते थे लेकिन धीरे-धीरे यह परंपरा खत्म होती जा रही है। यहां पर तालाब के चारों ओर दीवार खींच दी गई है। एक समय ऐसा होता था जब यहां पर न तो कोई दीवार होती थी। यहां से आसपास के लोग चिकनी मिट्टी तालाब से लेकर जाते थे। अब मान्यता है कि यहां पर छठे नवरात्र पर मेला भरता है। यहां पर दूर दराज क्षेत्र से हजारों श्रद्धालु भाग लेने के लिए आते हैं। मंदिर में प्रत्येक देवी देवता का मंदिर है। मंदिर में प्राचीन मूर्तियां भी है। समय बीतने के साथ ही मंदिर को भक्तों के सहयोग से अच्छा लुक दिया गया है। मंदिर में नवरात्रों के दिनों में भारी भीड़ होती है।
कृष्ण ने दिया था पांडवों को उपदेश
माता मंशा देवी के बारे में बताते हैं कि जिस समय पांडव और कौरवों के बीच युद्ध हुआ था। युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने पांडुओं को उपदेश दिया था कि वे माता मंशा देवी की पूजा कर फिर युद्ध करें। माता मंशा देवी की पूजा करने के बाद युद्ध में तु हें विजयश्री मि
लेगी। भगवान श्रीकृष्ण ने माता मंशा देवी को यही से प्रकट किया था।
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आज जयंती देवी मंदिर में लगेगा मेला
हांसी ब्रांच नहर के पास स्थित जयंती देवी मंदिर में बुधवार को मेला लगेगा। मंदिर की प्रबंधक समिति ने मेले को देखते हुए सभी तैयारियों पूरी कर ली है। मंदिर की प्रबंधक समिति पहले ही बैठक कर पदाधिकारियों की डयूटी लगा चुकी है। श्रद्धालुओं को माता के दर्शन करने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हो, इसी को देखते हुए श्रद्धालुओं के आने-जाने के लिए अलग-अलग बैरीकेडिंग की गई है।
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