Thursday, 23 November 2017

35 लाख से बनेगा अर्जुन स्टेडियम में डे्रनेज सिस्टम : डीसी अमित

उचाना में बनेगा सिक्योरिटी गार्ड स्किल सैंटर
ठोस कचरा प्रबंधन संयंत्र के लिए जमीन की तलाश जारी

जींद 
डीसी अमित खत्री ने बताया कि अर्जुन स्टेडियम में बारिश के बाद जलभराव नहीं हो और यह स्टेडियम बारिश के कई दिनों बाद तक तरणताल बनकर नहीं रहे, इसके लिए अब 35 लाख रुपये की लागत से डे्रनेज सिस्टम बनेगा। डे्रनेज सिस्टम पर जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्य शुरू कर दिया गया है। स्टेडियम के बरसाती पानी की निकासी के लिए 10 क्यूसिक क्षमता के तीन पंप लगेंगे। आने वाले तीन महीने में काम पूरा कर लिया जाएगा। डीसी अमित खत्री बुधवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि जींद में 50 लाख रुपये की लागत से मोबाइल टे्रनिंग बस और जीआईएस लैब की सुविधा मिलेगी। डीआईएफ योजना के तहत जींद जिले को 50 लाख रूपए की राशि मिली है। इसमें से लगभग 25-30 लाख रुपये की लागत से लघु सचिवालय परिसर में जीआईएस लैब बनाने का काम शुरू हो चुका है। जीआईएस लैब में सभी सरकारी विभागों की मैपिंग उपलब्ध होगी और जब भी किसी विकास परियोजना के लिए साइट निरीक्षण की बात आएगी तो मौके पर जाने की जरूरत नहीं होगी। जीआईएस लैब में एक क्लिक पर ही सब स्क्रीन पर होगा। किसी को जरूरत होगी तो मैप भी एक क्लिक में मिल जाएगा। इसके अलावा लगभग 25 लाख रुपये की लागत से मोबाइल ट्रेनिंग बस तैयार होगी। इससे ग्रामीण क्षेत्र में कम्प्यूटर समेत दूसरी ट्रेनिंग आसानी से दी जा सकेंगी। 
उचाना में बनेगा सिक्योरिटी गार्ड स्किल सैंटर
डीसी अमित ने बताया कि उचाना में सिक्योरिटी गार्ड स्किल सैंटर बनेगा। इसमें एक बैच में 100 युवाओं को सिक्योरिटी गार्ड की ट्रेनिंग दी जाएगी। इस तरह की टे्रनिंग लेने के बाद युवाओं को आसानी से रोजगार मिल सकेगा और विभिन्न कंपनियों को उनकी जरूरत के अनुसार पूरी तरह से प्रशिक्षित सिक्योरिटी गार्ड आसानी से मिल जाएंगे। 
ठोस कचरा प्रबंधन संयंत्र के लिए जमीन की तलाश जारी
डीसी अमित खत्री ने बताया कि शहर के हर रोज निकलने वाले लगभग 80 टन ठोस कचरे के सुरक्षित निस्तारण के लिए जींद प्रशासन को जमीन की तलाश है। इस संयंत्र के लिए 10 एकड़ जमीन चाहिए। सरकार जमीन खरीदेगी और जो गांव जमीन देगा, उसे एक करोड़ रुपये की राशि विकास कार्यों के लिए अलग से दी जाएगी। इसमें उन्होंने साफ किया कि पहले इस तरह के संयंत्र लगने से आसपास प्रदूषण से मक्खी आदि पैदा होने की शिकायत रहती थी लेकिन अब ऐसी तकनीक आ गई है कि इस तरह की कोई समस्या नहीं आएगी। इसके अलावा शहर के  गीले कचरे के सुरक्षित निस्तारण के लिए गुरूग्राम की तर्ज पर पहले चरण में शहर के वार्ड 14 और 16 में गीले कचरे से कंपोस्ट खाद बनाने का काम होगा। 

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