Thursday, 30 November 2017

बनभौरी धाम के सरकारीकरण के विरोध में ब्राह्मणों ने खोला मोर्चा

सरकारीकरण केवल उनकी लाशों पर चलकर ही होगा
मंदिर के साथ-साथ गुरूद्वारों, मस्जिदों का भी करें सरकारीकरण : दीक्षित
षडय़ंत्र के पीछे बताया मुख्यमंत्री के निजी सचिव का हाथ
जींद
माता बनभौरी धाम के सरकारीकरण का फैसला करने वाली मनो सरकार के खिलाफ ब्राह्मणों ने मोर्चा खोल दिया है। ब्राह्मणों ने इसे सीधे-सीधे बड़ा षडयंत्र बताते हुए सरकार को अपना फैसला वापिस लेने के लिए 15 जनवरी तक का अल्टीमेटम दिया है। इसके लिए उन्होंने साफ चेताया है कि सरकारीकरण केवल हजारों लाशों के ढेर पर चलकर ही किया जा सकता है। मंदिर के सरकारीकरण के विरोध में वे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी, सुषमा स्वराज सहित कई केंद्रीय मंत्रियों के अलावा करनाल सांसद अश्विनी चोपड़ा, कुरूक्षेत्र सांसद राजकुमार सैनी, कांग्रेस तथा इनेलो सांसदों से भी साथ देने की अपेक्षा की है। ब्राह्मण आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरीराम दीक्षित, कौशिक खाप के उपप्रधान बलवान कौशिक, इंद्रप्रस्थ शिक्षण संस्थान के चेयरेमेन कपिल शर्मा, ब्राह्मण सभा के पूर्व प्रधान रामफूल शर्मा, डा. वेदप्रकाश, सतपाल शर्मा, प्रेम भारद्वाज,पवन शर्मा ने गुरूवार को बुलबुल टूरिस्ट कॉम्पलेक्स में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि देश-प्रदेश के जिन श्रद्धालुओं की आस्था माता बननभौरी में है, उनकी भावनाओं के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बड़ा भारी खिलवाड़ किया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों माता बनभौरी धाम का सरकारीकरण करने का जो तुगलकी फरमान सुनाया है, उसने मुगल जमाने के तानाशाह शासक औरंगजेब की याद दिला दी है। जिसने अपनी चौधर जमाने के लिए हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ किया था। शर्म की बात है कि मंदिर के नाम से सत्ता में आने वाली और लोगों के जहन में बसने वाली भाजपा सरकार आज मंदिरों पर कब्जा करने पर उतारू हो गई है। 200 साल पुराने माता के मंदिर जिसे 14 पीढिय़ां अपनी अथक आस्था और परिश्रम से सिंचती आई, उसका मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने सरकारीकरण करने का फैसला लिया। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से न केवल ब्राह्मणों को चोट पहुंची है, अपितु देश के कई राज्यों में फैले हुए श्रद्धालुओं को आघात पहुंचा है। माता के करोड़ों श्रद्धालु आज मनोहर सरकार से सवाल पूछ रहे है कि अगर मुख्यमंत्री को इस मंदिर का सरकारीकरण करना है तो वे पहले गुरूद्वारों, मस्जिदों,डेरों तथा गिरिजाघरों का करें। किंतु मुख्यमंत्री में ऐसा करने की हिमाकत नहीं है। भाजपा सरकार उन्हीं सिढिय़ों को धराशायी कर रही है, जिसके बलबूते पर सत्ता में पहुंची। भाजपा सरकार ने बनभौरी धाम की सालाना आमदनी और वहां की व्यवस्था को आधार बनाकर उसका सरकारीकरण किया है। माता भनभौरी धाम में व्यवस्था भली-भांति अच्छी है। रही बात आमदनी की वह श्रद्धालुओं की श्रद्धा पर निर्भर है। अगर मां के भक्त वहां अपनी आस्था अनुरूप चढ़ावा चढ़ाते है, तो इसमें मुख्यमंत्री को दर्द नहीं होना चाहिए। अगर भाजपा सरकार ने आमदनी को लेकर मंदिर का सरकारीकरण किया है तो कल को गुरूद्वारों, मस्जिदों, गिरिजाघरों प्राइवे हस्पतालों तथा उन दुकानों का भी सरकारीकरण होगा, जो अपनी नेक नीति और परिश्रम के कारण फलीभूत हो चुके हैं। प्रदेश सरकार ने जो सरकारीकरण की तलवार लटकाई है, वह रंजिशन है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस रंजिशन के पीछे हरियाणा के मुख्यमंत्री के निजि सचिव राजेश गोयल और उनके इर्द गिर्द घूमने वाले गिने-चुने चंद लोगों का हाथ है। दीक्षित ने कहा कि प्रदेश सरकार का यह निर्णय ना केवल हरियाणा में अपितु देश भर में भाजपा को रसातल में पहुंचा देगा। क्योंकि ब्राह्मण, श्रद्धालु और समस्त संत-समाज माता बनभौरी धाम का सरकारीकरण किसी भी कीमत पर नहीं होने देगा। मंदिर का सरकारीकरण अगर प्रदेश के मुख्यमंत्री को करना है तो उसे लाखों लाशों से गुजरकर करना होगा। इससे पहले कि देश-प्रदेश में ये माता भक्त अपनी जान की आहुति दें, प्रदेश सरकार अपना तुगलकी फरमान वापिस लें। भाजपा के मैनेजर के इर्द-गिर्द घूमने वाले जिन लोगों ने मंदिर के सरकारीकरण के फरमान पर लड्डू बांट कर सराहना की है, उनको माता बनभौरी का प्रकोप नहीं छोड़ेगा। दीक्षित ने कहा कि अगर भाजपा सरकार के आला नेता और हरियाणा में उनके लोकसभा सांसद ब्राह्मणों, साधू-संतों और करोड़ों श्रद्धालुओं की कद्र करते है तो अपने अनुभवहीन मुख्यमंत्री मनोहरलाल और चंद लोगों की टोली पर लगाम लगाएं। मंदिर के सरकारीकरण के विरोध में वे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी, सुषमा स्वराज सहित कई केंद्रीय मंत्रियों के अलावा करनाल सांसद अश्विनी चोपड़ा, कुरूक्षेत्र सांसद राजकुमार सैनी, कांग्रेस तथा इनेलो सांसदों से भी साथ देने की अपेक्षा कर रहे है। अगर मुख्यमंत्री ने सरकारीकरण की अपनी हठ नहीं छोड़ी तो यह माना जाएगा कि वे हरियाणा को चौथी बार लहुलूहान करने की सोच रखते है। इस बार लहुलुहान माता के लाखों श्रद्धालु ब्राह्मण तथा साधू-संत अपनी जान न्यौछावर करेंगे। उन्होंने कहा इस विरोध के ट्रेलर जल्दी ही देश-प्रदेश के सामने दिखाएं जाएंगे। इससे पहले की कोई बड़ा जलजला उठे। प्रदेश की भाजपा सरकार अपना निर्णय वापस लें। 


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