Friday, 24 November 2017

इंटर-स्टेट रूटों पर बस सेवा बंद करने का विरोध

रोडवेज कर्मचारियों ने धरना देकर की नारेबाजी
नारेबाजी के बाद किया चक्का जाम, लोगों को हुई परेशानी
जींद : हरियाणा रोडवेज संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर शुक्रवार को रोडवेज कर्मचारियों ने पहले धरना देकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उसके बाद कुछ घंटे के लिए जींद डिपो की बसों का चक्का जाम कर दिया। यह प्रदर्शन और चक्का जाम प्रदेश सरकार के उस फैसले के विरोध में किया गया, जिसमें सरकार ने इंटर-स्टेट रूटों पर रोडवेज की बस सेवा बंद की है। इसके अलावा रोडवेज के 8200 कर्मचारियों के साथ सरकार द्वारा की गई ज्यादती के विरोध में और रोडवेज के बेड़े में नई बसों को शामिल किए जाने की मांग भी प्रदर्शनकारी रोडवेज कर्मचारियों ने की। लगभग 4 घंटे तक रोडवेज के चक्का जाम से हजारों यात्रियों को भारी परेशानी हुई। 
शुक्रवार सुबह रोडवेज कर्मचारियों की विभिन्न यूनियनों से जुड़े कार्यकर्ता जींद डिपो की वर्कशाप के गेट पर जमा हुए। यहां रोडवेज कर्मचारियों ने धरना दिया और सरकार के खिलाफ काफी देर तक नारेबाजी की। नारेबाजी कर रहे कर्मचारियों ने कहा किकुछ महीने पहले प्रदेश सरकार की नई परिवहन नीति के विरोध में रोडवेज कर्मियों द्वारा चक्का जाम किया गया था, तब सरकार ने बातचीत कर यूनियन नेताओं को आश्वासन दिया था कि एक नवम्बर से उनकी मांगों को लागू कर दिया जाएगा। इसके बावजूद 8200 रोडवेज कर्मियों को दोराहे पर खड़ा कर दिया गया। 6 राज्यों में जाने पर हरियाणा रोडवेज की बसों पर रोक लगा दी गई। इससे साफ है कि सरकार की नीयत में बहुत बड़ा खोट है। वह रोडवेज का निजीकरण करना चाहती है। इसमें पहले सरकार ने लोकल रूटों पर निजी आप्रेटरों को बस परमिट दिए। अब सरकार इंटर-स्टेट रूटों पर रोडवेज की बस सेवा बंद कर इन रूटों पर भी निजी आप्रेटरों को बस परमिट देना चाहती है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या के हिसाब से रोडवेज के बेड़े में 10 हजार नई बसें शामिल की जानी चाहिएं थी लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। वह धीरे-धीरे रोडवेज के अस्तित्व को ही समाप्त करने की चाल पर चल रही है। रोडवेज का निजीकरण किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जींद डिपो के प्रधान अजीत नेहरा, महिपाल बिघाना, दलबीर ढिल्लों, जयचंद सैनी ने कहा कि सरकार रोडवेज के निजीकरण के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। रोडवेज संयुक्त संघर्ष समिति की प्रदेश कार्यकारिणी के साथ अतीत में मुख्यमंत्री मनोहरलाल से बातचीत हुई थी। इसमें 12 मांगों पर सहमति बनी थी। एक नवम्बर को मुख्यमंत्री को इन मांगों को लागू करने की घोषणा करनी थी। इसके बावजूद घोषणा नहीं की गई। इसके विरोध में शुक्रवार को 11 से 3 बजे तक धरना देने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि एक दिसम्बर से 6 राज्यों को जाने वाली रोडवेज बसों की सेवाओं को बंद किया जा रहा है। इसी प्रकार 8200 चालक तथा परिचालकों को कच्चा कर दिया गया। उन्होंने साफ कहा कि इससे कर्मचारियों में रोष है और राज्य कार्यकारिणी के फैसले के बाद आगामी ठोस निर्णय लिया जाएगा। धरने में नरेंद्र, राजेश, रामनिवास, सेवा, आजाद पांचाल, बिजेंद्र ढांडा, सुदर्शन लाठर, सुरेंद्र, शेर सिंह, सत्यनारायण शर्मा आदि शामिल हुए। 
चक्का जाम से यात्री हुए परेशान
शुक्रवार को लगभग 4 घंटे तक जींद डिपो की बसों का चक्का जाम होने से हजारों यात्रियों को परेशानी हुई। बसों के अभाव में यात्री इधर-उधर भटकते और परेशान नजर आए। सबसे ज्यादा दिक्कत महिलाओं और बच्चों को हुई। चक्का जाम करने का पहले कोई फैसला नहीं लिया गया था। रोडवेज कर्मचारियों में सरकार के रवैये को लेकर इतना रोष था कि वर्कशाप के गेट पर धरना देने के बाद वह प्रदर्शन करते हुए बस अड्डे पर आए तो एकाएक उन्होंने रोडवेज का चक्का भी जाम कर दिया। 
क्या कहना है एसपीओ का
रोडवेज विभाग के एसपीओ तथा कार्यवाहक जीएम रामपाल ने बताया कि लगभग अढ़ाई घंटे तक डिपो की बसों का चक्का जाम रहा। इससे रोडवेज को नुक्सान हुआ और यात्रियों को परेशानी हुई। रोडवेज के चक्का जाम को लेकर परिवहन विभाग के उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी गई है। इसमें जो भी कार्रवाई होगी, वह मुख्यालय के स्तर पर तय होगी। 

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