Monday, 6 November 2017

जींद में स्थापित होगा सकून सैंटर

नागरिक अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में खोला जाएगा सकून सैंटर
रेप पीडि़त महिलाओं को उपलब्ध करवाई जाएगी सरकारी सहायता

जींद 
राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के चार जिलों में सकून सैंटर स्थापित किए जाएंगे। यह सैंटर फरीदाबाद, रेवाड़ी, गुरुग्राम तथा जींद जिला में खोले जाएंगे। जींद में स्थापित होने वाला यह सैंटर नागरिक अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में खोला जाएगा। इन सैंटरों में रेप पीडि़त महिलाओं को सरकार की ओर से उपलब्ध करवाई जाने वाली तमाम प्रकार की सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएंगे। जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण की ओर से स्थानीय एडीआर सैंटर में आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए डा. नवनीत ने दी। सेमिनार की अध्यक्षता जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकरी डा. अशोक कुमार ने की। बैठक में प्राधिकरण के कई अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग तथा प्राधिकरण के पैनल में नियुक्त वकीलों तथा कई विभागों के अधिकारी शामिल हुए। डा. नवनीत ने आगे कहा कि नागरिक अस्पताल में जल्द ही सकून सैंटर शुरू किया जाएगा। इस सैंटर में मानसिक व शारीरिक रूप से पीडि़त महिलाओं को सरकार की ओर से तमाम प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएगी। 
काउंसलर और कानूनी सहायता होगी उपलब्ध 
इस सैंटर में पीडि़त महिलाओं को काउंसलर, डीएलएसए की ओर से कानूनी सेवाएं, महिला पुलिसकर्मी सहित अनेक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। उन्होंने बताया कि सैंटर में न केवल पीडि़त महिलाओं को बल्कि आठ वर्ष तक आयु के पीडि़त बच्चों को भी उक्त तमाम प्रकार की सेवाएं दी जाएगी। जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव डा. अशोक कुमार ने कहा कि महिला उत्पीडऩ पर अंकुश लगाने के लिए सरकार की ओर से ठोस कदम उठाये जा रहे हैं लेकिन इस सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त करने के लिए लोगों को महिलाओं के प्रति अपनी सोच में सकारात्मक बदलाव लाना होगा, तभी हम एक सभ्य समाज के निर्माण की परिकल्पना को साकार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि  समाज में शिक्षा का स्तर काफी ऊंचा उठा है लेकिन इसके बावजूद भी महिला उत्पीडऩ बढ़ता जा रहा है। यह पूरे समाज के सामने एक बड़ी चुनौती की तरह है। इस समस्या से निपटने के लिए अनेक कानून भी बनाये गये है, लेकिन इन कानूनों की जानकारी न होने की वजह से कानून धरे के धरे रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को कानून की अधिकाधिक  जानकारी हासिल करनी चाहिए और इसका प्रयोग महिला उत्पीडऩ को रोकने के लिए हथियार के रूप में करना चाहिए। उन्होंने जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा महिला उत्पीडऩ रोकने एवं पीडि़त महिलाओं के सहायतार्थ शुरू की गई योजनाओं की एक- एक कर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दुख एवं खुशी को पूरी तरह से शब्दों से ब्यान नहीं किया जा सकता, इसलिए दुखी, पीडि़त व्यक्ति की व्यथा को उसकी भाव भंगीमाओं से समझने का प्रयास करते हुए पीडि़त व्यक्ति की मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज को सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए हर सकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि महिला एवं पुरूष समाज रूपी रथ के दो पहियों की तरह होते है। जब तक दोनों पहिये बराबर गति से आगे नहीं बढ़ेंगे तब तक समाज आगे नहीं बढ़ सकता है। इसके लिए लोगों को शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा को भी ग्रहण करना होगा और आने वाली पीढिय़ों को इस सम्बन्ध में जागरूक करना होगा। 

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