गीता महोत्सव को देखने के लिए उमड़ी लोगों की भीड़
स्कूली बच्चों ने प्रस्तुत किए रंगारंग कार्यक्रम
जींद
गीता जयंती समारोह के दूसरे दिन सफीदों के विधायक जसबीर देशवाल ने कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के रूप में शिरकत की। उन्हें बीन बांसूरी के मधुर संगीत के बीच समारोह स्थल तक ले जाया गया। इसके बाद उन्होंने समारोह स्थल पर विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी स्टालों का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने समारोह स्थल पर बनाये गए प्राचीनकालीन दंगल में कुश्ती कर रहे पहलवानों से परिचय लिया और कुश्ती देखी। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के स्टाल पर लगाये गये बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के तहत लगाये गये बैनर पर हस्ताक्षर कर अभियान को गति प्रदान की। विधायक जसबीर देशवाल ने समारोह स्थल पर बने अस्थाई जींद धरोहरशाला का भी अवलोकन किया।
उन्होंने यहां जींद रियासत के राजाओं के चित्र, उनके समय के दौरान प्रयोग होने वाले स्टाम्प पेपर, राजाओं द्वारा लिये गये निजी पत्रों, राजाओं के सरकारी रिकार्ड को भी देखा। उन्होंने धरोहरशाला में रखी प्राचीन कालीन वस्तुओं का भी अवलोकन किया। धरोहरशाला के एक प्रतिनिधि ने विधायक को बताया कि यहां 4०० से 5०० साल पुरानी वस्तुओं को संजोया गया है। वहां मौजूद पर्यटकों ने इन पुरानी वस्तुओं के साथ विधायक जसबीर देशवाल के साथ सैल्फि भी ली। इस दौरान उन्होंने एक स्टाल पर बनी मशरूम की जलेबियों तथा पकोडिय़ों का भी आनंद भी लिया। इसके उपरान्त मुख्य अतिथि को घासफूस से बने अतिथि गृह में ले जाकर जलपान करवाया गया। उन्होंने कहा कि यहां आकर लगता है कि हम प्रकृति की गोद में आ गये है और वह हमें धीरे-धीरे प्यार से सहला रही है। इसके बाद विधायक जसबीर देशवाल ने विजिटर बुक में हस्ताक्षर कर गीता जयन्ती समारोह पर टिप्पणी करते हुए इसे लाजवाब करार दिया। इस दौरान उनके साथ नगराधीश सत्यवान सिंह मान, जिला परिषद के सीईओ मंदीप कुमार व अन्य अधिकारीगण साथ रहे।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने मोहा मन
गीता जयंती समारोह के दूसरे दिन भी स्थानीय बाल कृष्ण रंगशाला में शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में स्वामी आर्यवेश ने बतौर मुख्यअतिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने दीप प्रवल्लिजत कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर नगराधीश सत्यवान सिंह मान, जिला परिषद के सीईओ मंदीप कुमार, जिला रैडक्रॉस सोसायटी के सचिव राजकपूर सूरा समेत कई प्रशासनिक अधिकारी एवं मौजिज व्यक्ति मौजूद थे। सांस्कृतिक समारोह को सम्बोधित करते हुए स्वामी आर्यवेश ने कहा कि श्रीमद् भगवत गीता जीवन का मुल है। मानव को गीता में दिए संदेशों के अनुरूप ही जीवन बिताना चाहिए, जो व्यक्ति गीता के अनुरूप जीवन बिताता है उसे न केवल जीवन में बल्कि जीवन के बाद भी किसी प्रकार का कोई कष्ट नहीं होता। उन्होंने कहा कि गीता एक ऐसा पवित्र ग्रंथ है जिसमें सभी समस्याओं का समाधान छूपा हुआ है। इसलिए व्यक्ति को अपनी समस्याओं का समाधान खोजने के लिए इधर उधर भटकने की जरूरत नहीं है। उसे समस्या के समाधान के लिए गीता का पाठ पढऩा चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि गीता हमें सदकर्म करने की प्रेरणा देती है। इसलिए जीवनभर सदकर्म करते हुए समाज को आगे ले जाने के प्रयास करने चाहिए। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दे रहे कलाकारों की प्रशंसा करते हुए स्वामी आर्यवेश ने कहा कि कलाकारों द्वारा एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गई है। सबसे बड़ी बात यह है कि सभी प्रस्तुतियां भगवान श्रीकृष्ण की जीवन लीलाओं एवं उनके जीवन से प्रेरित रही। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति जो देखता है, सुनता है एवं बोलता है वह उसी प्रकार से संस्कारित होता चला जाता है। आज बच्चों की प्रस्तुतियां देखकर लगा कि बच्चों के अन्दर का मानव पूरी तरह से कृष्णमय हो चुका है। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से गीता जयन्ती मनाने का औचित्य सही साबित हो रहा है, क्योंकि हजारों की संख्या में लोग यहां आकर गीता ज्ञान अर्जित कर रहे हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम में कलाकारों एवं स्कूली बच्चों द्वारा एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। सभी प्रस्तुतियां शानदार रही। लगभग सभी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भगवान श्री कृष्ण की जीवन लीलाओं एवं एवं उनके जीवन पर आधारित रही। सभी प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोहा।
गीता जीवन जीने की कला है : जसबीर देशवाल
गीता नि:स्वार्थ भाव से कर्म करने का संदेश देती है : स्वामी आर्यवेश
गीता जयंती महोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को स्थानीय डीआरडीए के सभागार में पवित्र ग्रंथ गीता का मानव जीवन में महत्व विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। सफीदों के विधायक जसबीर देशवाल ने बतौर मुख्यअतिथि के रूप में शिरकत करते हुए सेमिनार का विधिवत रूप से उद्घाटन किया। विधायक जसबीर देशवाल ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है बल्कि गीता जीवन जीने की कलां है। आने वाली पीढिय़ो को गीता ज्ञान उपलब्ध करवाने के लिए सरकार द्वारा गीता के कुछ श्लोकों को पाठयक्रम में भी शामिल करवाया गया है। उन्होंने कहा कि गीता ज्ञान का भण्डार है। हर व्यक्ति को गीता का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। सेमिनार में पवित्र ग्रंथ गीता की विस्तृत जानकारी रखने वाले प्रबुद्ध व्यक्ताओं ने गीता के सम्बन्ध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ज्ञान हर चीज का आधार होता है। कर्म योग ज्ञान का साकार रूप है। गीता ज्ञान का भंडार है। सदकर्म करने के लिए गीता ज्ञान को प्राप्त करना होगा। कर्म को बदलने के लिए ज्ञान को बदलना होता है, ज्ञाान से ही कर्म बनता है। उन्होंने कहा कि आज गीता का ज्ञान घर-घर पंहुच रहा है। सरकार द्वारा गीता जयंती मनाने के निर्णय की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि सरकार का यह निर्णय स्वस्थ समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाएगा।
गीता नि:स्वार्थ भाव से कर्म करने का संदेश देती है : स्वामी आर्यवेश
स्वामी आर्यवेश ने अपने व्याख्यान में कहा कि गीता नि:स्वार्थ भाव से कर्म करने का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि इस तरह की दुरगामी सोच रखने वाले लोग ही इतिहास रचते है। ज्ञान के बगैर कोई भी कार्य नहीं हो सकता और गीता ज्ञान का भंडार है। इसलिए गीता को न केवल पढऩा चाहिए बल्कि इसे अपने जीवन में भी आत्मसात करना चाहिए। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके जीवन से हमें जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। उनके द्वारा दिया गया गीता का ज्ञान आज भी प्रासांगिक है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को गीता का अधिकाधिक ज्ञान प्राप्त करना चाहिए, जीवन को सुखमय एवं कष्टमुक्त बनाना है तो गीता में दिए गए संदेश के अनुरूप दूसरों का अपने प्रति जो आच्चरण चाहते है, वहीं आच्चरण दूसरे के साथ करना चाहिए। जीवन में कभी भी गलती से भी गलती नहीं करनी चाहिए, क्योंकि जो कर्म हम करते है, उसी के फल हमें भोगने पड़ते है। उन्होंने संयासी का मतलब समझाते हुए कहा कि संयासी वस्त्रों का धारण कर निठला बैठ जाने से कोई व्यक्ति संयासी नहीं बन जाता बल्कि संयासी वह व्यक्ति है जो संयास धारण कर धर्म की राह पर चलकर समाज को आगे ले जाने का काम करता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को अगर बाल्यकाल से ही गीता का ज्ञान दिया जाये तो समाज से हर प्रकार की बूराई को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। जिस दिन बच्चों ने बाल्यकाल से ही गीता के ज्ञान को आत्म सात करना शुरू कर दिया तो उस भारत को दूनिया का सिरमौर बनने से कोई ताकत नहीं रोक पायेगी। उन्होंने यह भी कहा कि पवित्र ग्रंथ गीता दूनिया में सबसे अधिक पढ़ाया जाता है। एक सर्वे के अनुसार दूनिया में बाईबल को 19० करोड़ लोग मानते है। लेकिन गीता को इस से भी बड़ी संख्या में लोग पढ़ते है। सियाराम शास्त्री ने कहा कि भारत को विश्व गुरू बनाने में ऋषियों, महात्माओं, एवं संतों का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि गीता, गंगा, गायत्री, गुरु, गऊ तथा गौरी ये छह ऐसे बिन्दू है अगर इनकी दशा सही रही तो देश की दशा भी सही रहती है। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मंदीप कुमार ने सेमीनार में आये वक्ताओं को गीता की एक प्रति एवं चदर भेंट कर स्वागत किया। इस अवसर पर एडीसी धीरेंद्र खडगटा, नगराधीश सत्यवान सिंह मान, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मंदीप कुमार मौजूद रहे। सेमिनार में स्वामी आर्यवेश, स्वामी रामवेश तथा आचार्य देवी दयाल, राजेश स्वरूप शास्त्री, कुमारी सिवानी शर्मा ने मुख्य व्यक्ताओं के रूप में शिरकत की।
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